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पर्यावरण मित्र और उनके बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने का मामला, HC ने मांगी रिपोर्ट - UTTARAKHAND HIGH COURT

नैनीताल हाईकोर्ट ने कूड़ा बीनने वालों और उनके बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने के मामले की सुनवाई की.

UTTARAKHAND HIGHCOURT
उत्तराखंड हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 2, 2025, 4:50 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कूड़ा बीनने वाले लोगों और उनके बच्चों को सरकार के द्वारा जारी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिए जाने के मामले पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की.
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले में नियुक्त न्यायमित्र अवनीश से कहा कि वे स्वयं जाकर इन लोगों की समस्याओं को देखें. इनके व इनके बच्चों की क्या समस्याएं हैं? उनको राज्य और केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है या नहीं? 9 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि इनके और इनके बच्चों के कल्याण के लिए एक प्लान बनाकर 2 जनवरी तक कोर्ट में एक प्रपोजल पेश करें. आज 2 दिसंबर को निदेशक शहरी विकास ने प्रपोजल पेश कर कहा है कि कोर्ट के आदेश पर इनको चिन्हित किया जा रहा है. अभी तक प्रदेश में 1200 लोगों को चिन्हित किया जा चुका है. जिनमें से अधिकांश लोगों को वोटर आईडी, राशन कार्ड और आधार कार्ड निर्गत कर दिए गए हैं. इनमें से कई लोग सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं.

राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए इनके लिए कुछ स्थायी और अस्थायी शेल्टर होम का निर्माण किया है. ठंड से बचने के लिए इन्हें अलाव, कंबल की व्यवस्था भी की गई है. राज्य सरकार इनके बच्चों की पढ़ाई लिखाई का ध्यान भी रख रही है. न्यायमित्र ने कहा कि पहली रिपोर्ट में इनकी इनकी संख्या 550 बताई गई. कोर्ट के आदेश पर आज 1000 के करीब है. जबकि प्रदेश में इससे अधिक हैं.

मामले के मुताबिक, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने अपनी एक सर्वे रिपोर्ट में पाया था कि उच्च न्यायालय और अन्य जिला विधिक प्राधिकरणों की रिपोर्ट के अनुसार कूड़ा बीनने वालों को जरूरी सामान और उनके बच्चों को राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का सहारा नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से उनके बच्चे वहीं काम करते आ रहे है. जिससे उनका मानसिक और बौद्धिक विकास नहीं हो पा रहा है. इसलिए उन्हें भी केंद्र और सरकार की तरफ से जारी सभी योजनाओं का लाभ दिया जाए. ताकि उनके बच्चों को वही कार्य नहीं करना पड़े. उनके बच्चों का भी विकास होना भी अति आवशयक है. क्योंकि वे हमारे समाज का अहम हिस्से से जुड़े हुए हैं. वे एक सच्चे पर्यावरण मित्र भी हैं. कम से कम सरकार द्वारा जारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सके.

ये भी पढ़ेंः कूड़ा बीनने वाला आकाश बनेगा 'मिल्खा सिंह', 400 मीटर दौड़ में दिखाएगा दम, कबड्डी और खो-खो में करेगा कमाल

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कूड़ा बीनने वाले लोगों और उनके बच्चों को सरकार के द्वारा जारी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिए जाने के मामले पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की.
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले में नियुक्त न्यायमित्र अवनीश से कहा कि वे स्वयं जाकर इन लोगों की समस्याओं को देखें. इनके व इनके बच्चों की क्या समस्याएं हैं? उनको राज्य और केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है या नहीं? 9 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि इनके और इनके बच्चों के कल्याण के लिए एक प्लान बनाकर 2 जनवरी तक कोर्ट में एक प्रपोजल पेश करें. आज 2 दिसंबर को निदेशक शहरी विकास ने प्रपोजल पेश कर कहा है कि कोर्ट के आदेश पर इनको चिन्हित किया जा रहा है. अभी तक प्रदेश में 1200 लोगों को चिन्हित किया जा चुका है. जिनमें से अधिकांश लोगों को वोटर आईडी, राशन कार्ड और आधार कार्ड निर्गत कर दिए गए हैं. इनमें से कई लोग सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं.

राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए इनके लिए कुछ स्थायी और अस्थायी शेल्टर होम का निर्माण किया है. ठंड से बचने के लिए इन्हें अलाव, कंबल की व्यवस्था भी की गई है. राज्य सरकार इनके बच्चों की पढ़ाई लिखाई का ध्यान भी रख रही है. न्यायमित्र ने कहा कि पहली रिपोर्ट में इनकी इनकी संख्या 550 बताई गई. कोर्ट के आदेश पर आज 1000 के करीब है. जबकि प्रदेश में इससे अधिक हैं.

मामले के मुताबिक, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने अपनी एक सर्वे रिपोर्ट में पाया था कि उच्च न्यायालय और अन्य जिला विधिक प्राधिकरणों की रिपोर्ट के अनुसार कूड़ा बीनने वालों को जरूरी सामान और उनके बच्चों को राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का सहारा नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से उनके बच्चे वहीं काम करते आ रहे है. जिससे उनका मानसिक और बौद्धिक विकास नहीं हो पा रहा है. इसलिए उन्हें भी केंद्र और सरकार की तरफ से जारी सभी योजनाओं का लाभ दिया जाए. ताकि उनके बच्चों को वही कार्य नहीं करना पड़े. उनके बच्चों का भी विकास होना भी अति आवशयक है. क्योंकि वे हमारे समाज का अहम हिस्से से जुड़े हुए हैं. वे एक सच्चे पर्यावरण मित्र भी हैं. कम से कम सरकार द्वारा जारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सके.

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