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रामानुजगंज के नागेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़, यहां प्रकट हुए थे नाग देव, जानिए पूरा इतिहास - Nag Panchami 2024

रामानुजगंज क्षेत्र के कालिकापुर गांव स्थित नागेश्वर धाम में नागपंचमी के असवर पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. आसपास और दूर दराज से श्रद्धालु नागपंचमी की पूजा करने नागेश्वर धाम पहुंच रहे हैं. नागेश्वर धाम की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. आइए जानें कि नाग देवता के इस धाम का इतिहास और इससे जुड़ी मान्यता क्या है.

NAG PANCHAMI 2024
रामानुजगंज के नागेश्वर धाम (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 9, 2024, 7:30 PM IST

नागेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

बलरामपुर : रामानुजगंज से रामचंद्रपुर जाने वाले मुख्यमार्ग पर कालिकापुर गांव में नागेश्वर धाम स्थित है. इस धाम में नाग देवता की पत्थर से निर्मित प्राचीन मूर्ति और शिवलिंग है. नागेश्वर धाम को लेकर मान्यता है कि यहां मार जाति के देवी देवता निवास करते हैं. यहां पूजा पाठ करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

नागेश्वर धाम का इतिहास : रामानुजगंज के पास नागेश्वर धाम में नाग देवता की पत्थर से निर्मित प्राचीन मूर्ति और शिवलिंग स्थापित है. कालिकापुर सहित हरिहरपुर, रामचंद्रपुर, छतरपुर, नीलकंठपुर और बेलभंडार के आसपास के ग्रामीणों में नागेश्वर धाम के प्रति गहरी आस्था है. कालिकापुर गांव के रहने वाले बंधू राम ने ईटीवी भारत को बाताया, "सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-पाठ करने पहुंचते हैं."

"साल 2015 के दौरान सावन महीने में अपने दोस्तों के साथ यहां जंगल में खुखड़ी लेने आए थे. उसी दौरान सड़क पर हमें नाग देवता का दर्शन हुआ. वह सावन सोमवार के बाद मंगलवार का दिन था. हम लोगों ने उसी रात से इस स्थान पर भक्ति-भजन कीर्तन शुरू कर दिया. फिर यहां मंदिर का स्थापना हुआ. तब से हम लोग हर साल सावन सोमवार और नागपंचमी पर यहां पूजा-पाठ कर रहे हैं." - बंधू राम, स्थानीय निवासी

खुदाई में मिली मूर्ति और शिवलिंग : कालिकापुर गांव के रहने वाले श्रद्धालु विजय यादव ने ईटीवी बताया, "यहां नाग देवता के दर्शन के बाद रात को एक मित्र को सपना आया कि यहां शिवलिंग भी है. हमने रात में ही इसी जगह खुदाई की और शिवलिंग को खोज निकाला. तब यहां पर चबुतरा निर्माण कर दिया और शिवलिंग की स्थापना हुई. पंडित को बुलाकर हमने यहां प्राण-प्रतिष्ठा करा दिया."

"यहां खजूर के पेड़ के नीचे हमें शिवलिंग मिला था. हम लोग यहां पूजा-पाठ शुरू कर दिया. पूर्वज बताते हैं कि पहले यहां मार जाति के लोग रहते थे. जब वे इस जगह को छोड़कर चले गए, तब नाग देवता की मूर्ति और शिवलिंग मिट्टी के नीचे दब गए थे. यहां ग्रामीणों की खुदाई के दौरान नाग देवता की प्राचीन मूर्ति और शिवलिंग फिर मिली. तब से यहां ग्रामीणों ने पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया. मान्यता है कि मार जाति के देवी-देवता यहां निवास करते हैं." - विजय यादव, स्थानीय निवासी

नागेश्वर धाम को विकसित करने की मांग : स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं वे नागेश्वर धाम को विकसित करने की मांग की है. नागेश्वर भव्य मंदिर, शेड और पेयजल व्यवस्था कराने की मांग प्रशासन और सरकार से की है. इसके साथ ही इस स्थान को विकसित करने की मांग किया जा रहा है ताकि नागेश्वर धाम की प्रसिद्धि बढ़े और आसपास सहित दूसरे राज्यों से भी यहां लोग दर्शन-पूजन करने पहुंचे.

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नागेश्वर धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

बलरामपुर : रामानुजगंज से रामचंद्रपुर जाने वाले मुख्यमार्ग पर कालिकापुर गांव में नागेश्वर धाम स्थित है. इस धाम में नाग देवता की पत्थर से निर्मित प्राचीन मूर्ति और शिवलिंग है. नागेश्वर धाम को लेकर मान्यता है कि यहां मार जाति के देवी देवता निवास करते हैं. यहां पूजा पाठ करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

नागेश्वर धाम का इतिहास : रामानुजगंज के पास नागेश्वर धाम में नाग देवता की पत्थर से निर्मित प्राचीन मूर्ति और शिवलिंग स्थापित है. कालिकापुर सहित हरिहरपुर, रामचंद्रपुर, छतरपुर, नीलकंठपुर और बेलभंडार के आसपास के ग्रामीणों में नागेश्वर धाम के प्रति गहरी आस्था है. कालिकापुर गांव के रहने वाले बंधू राम ने ईटीवी भारत को बाताया, "सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-पाठ करने पहुंचते हैं."

"साल 2015 के दौरान सावन महीने में अपने दोस्तों के साथ यहां जंगल में खुखड़ी लेने आए थे. उसी दौरान सड़क पर हमें नाग देवता का दर्शन हुआ. वह सावन सोमवार के बाद मंगलवार का दिन था. हम लोगों ने उसी रात से इस स्थान पर भक्ति-भजन कीर्तन शुरू कर दिया. फिर यहां मंदिर का स्थापना हुआ. तब से हम लोग हर साल सावन सोमवार और नागपंचमी पर यहां पूजा-पाठ कर रहे हैं." - बंधू राम, स्थानीय निवासी

खुदाई में मिली मूर्ति और शिवलिंग : कालिकापुर गांव के रहने वाले श्रद्धालु विजय यादव ने ईटीवी बताया, "यहां नाग देवता के दर्शन के बाद रात को एक मित्र को सपना आया कि यहां शिवलिंग भी है. हमने रात में ही इसी जगह खुदाई की और शिवलिंग को खोज निकाला. तब यहां पर चबुतरा निर्माण कर दिया और शिवलिंग की स्थापना हुई. पंडित को बुलाकर हमने यहां प्राण-प्रतिष्ठा करा दिया."

"यहां खजूर के पेड़ के नीचे हमें शिवलिंग मिला था. हम लोग यहां पूजा-पाठ शुरू कर दिया. पूर्वज बताते हैं कि पहले यहां मार जाति के लोग रहते थे. जब वे इस जगह को छोड़कर चले गए, तब नाग देवता की मूर्ति और शिवलिंग मिट्टी के नीचे दब गए थे. यहां ग्रामीणों की खुदाई के दौरान नाग देवता की प्राचीन मूर्ति और शिवलिंग फिर मिली. तब से यहां ग्रामीणों ने पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया. मान्यता है कि मार जाति के देवी-देवता यहां निवास करते हैं." - विजय यादव, स्थानीय निवासी

नागेश्वर धाम को विकसित करने की मांग : स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं वे नागेश्वर धाम को विकसित करने की मांग की है. नागेश्वर भव्य मंदिर, शेड और पेयजल व्यवस्था कराने की मांग प्रशासन और सरकार से की है. इसके साथ ही इस स्थान को विकसित करने की मांग किया जा रहा है ताकि नागेश्वर धाम की प्रसिद्धि बढ़े और आसपास सहित दूसरे राज्यों से भी यहां लोग दर्शन-पूजन करने पहुंचे.

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