गाजीपुरः माफिया मुख्तार अंसारी के वकील रहे लियाकत अली के खिलाफ सिविल बार एसोसिएशन ने बड़ी कार्रवाई की है. एसोसिएशन ने लियाकत अली की सदस्यता रद करते हुए आजीवन के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है. यह जानकारी सिविल बार एसोसिएशन गाजीपुर के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता गोपाल लाल जी श्रीवास्तव ने दी है.
गोपाल लाल ने बताया कि 6 अक्टूबर को सदर कोतवाली के शिवपुरी कालोनी में उनके घर के पास वकील लियाकत अली के बेटे और उसी मोहल्ले में रहने वाले एक युवक से गाड़ी हटाने को लेकर कहासुनी हुई थी. इसके बाद लियाकत अली के बेटे ने युवक को पीट दिया था. इसके बाद वकील सत्येंद्र यादव समेत अन्य लोग उनके घर पहुंचे और हाथापाई हुई थी. जिसका वीडियो लियाकत अली ने मीडिया में दिया था.
इसी दौरान लियाकत अली खान ने कहा था कि अगर उनकी गलती होगी तो उसके जिम्मेदार सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष होंगे. इस संबंध में 8 अक्टूबर को डीएम-एसपी गाजीपुर को भी एक पत्र दिया गया. साथ ही हाथापाई को लेकर सत्येंद्र यादव समेत अन्य के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कराया गया.
इन सभी प्रकरण को लेकर लियाकत अली और सत्येंद्र यादव का प्रस्ताव आया था. इस प्रस्ताव को सिविल बार एसोसिएशन की कमेटी के बीच रखा गया था. जिसमें अधिवक्ताओं ने वकील लियाकत अली के खिलाफ प्रस्ताव दिया. इस पर लियाकत अली की आजीवन के लिए सिविल बार एसोसिएशन गाजीपुर से सदस्यता समाप्त कर दी गई.
साथ ही उनका नाम बार एसोसिएशन के रजिस्टर पर लाल कलम से रंगीन कर दिया गया और कम्प्यूटर से नाम डिलीट कर दिया है. गोपाल लाल ने बताया कि लियाकत अली पहले भी कई अधिवक्ताओं के साथ मारपीट कर चुके हैं. इसको लेकर मुकदमे दर्ज हैं.
बता दें कि गाजीपुर में 15 जुलाई 2001 के बहुचर्चित उसरी चट्टी कांड में माफिया मुख्तार अंसारी के वकील लियाकत अली थे. इसके साथ ही मुख्तार के अन्य मुकदमों की भी लियाकत अली कोर्ट में पैरवी करते थे.
कौन था मुख्तार अंसारी: माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी मऊ से रिकॉर्ड 5 बार विधायक चुने गए. अंसारी ने बसपा के एक उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था. 2009 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन, असफलता मिली. इसके बाद बसपा ने 2010 में उन्हें आपराधिक गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था. बाद में मुख्तार अपने भाइयों के साथ नई पार्टी कौमी एकता दल बनाया. 2017 में बसपा के साथ कौमी एकता दल का विलय कर दिया और बसपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव में 5वीं बार विधायक बने.
कैसे हुई थी मुख्तार अंसारी की मौत: माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत बांदा जेल में 28 मार्च, 2024 को हुई थी. मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हुई थी. मुख्तार की मौत की वजह हार्ट अटैक पाई गई थी. लेकिन, मुख्तार के परिजनों ने जेल में स्लो पॉइजन देने का आरोप लगाया था. हालांकि, पोस्टमार्टम और विसरा जांच रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हार्ट अटैक से ही मौत की पुष्टि हुई थी. जबकि विसरा जांच के लिए लखनऊ भेजा गया था. 20 अप्रैल को विसरा रिपोर्ट में भी जहर की पुष्टि नहीं हुई थी.
मुख्तार ने कब और कैसे अपराध की दुनिया में रखा कदम: गाजीपुर में मुख्तार अंसारी और उसके परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान के रूपी में है. पहली बार मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया में 1988 में कदम रखा था. 25 अक्टूबर 1988 को आजमगढ़ के ढकवा के संजय प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था. लेकिन, अगस्त 2007 में इस मामले में मुख्तार को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया था.
मुख्तार अंसारी के खिलाफ चर्चित केस
- 24 जुलाई 1990 को शिवपुर के देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ बड़ागांव थाने में डिकैती और अपहरण का मामला दर्ज कराया. इस मामले में सितंबर 1990 को पुलिस ने कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी.
- 3 अगस्त 1991 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी के खिलाफ चेतगंज थाने में पूर्व विधायक अजय राय ने मुकदमा दर्ज कराया.
- 23 जनवरी 1997 को अपहरण के मामले में वाराणसी के भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया. इस मामले में वह निचली अदालत में दोषमुक्त हो गया था.
- 6 फरवरी 1998 को भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ NSA लगाया गया.
- 1 दिसंबर 1997 को मुख्तार के खिलाफ धमकाने का मामला दर्ज किया गया.
- 17 जनवरी 1999 को भेलूपुर थाने में मुख्तार के खिलाफ धमकाने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया.
- 20 जुलाई 2022 को कैंट थाने में आपराधिक साजिश समेत अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया.
अपराध की दुनिया में कदम रखने के दो साल बाद बना लिया अपना गैंग: मुख्तार अंसारी ने 1990 अपना गैंग बना लिया और उसने कोयला खनन, रेलवे के ठेके लेना शुरू कर दिया. इनके जरिए उसने 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया. फिर वो गुंडा टैक्स, जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी कूद गया. उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था.
ब्रजेश सिंह गैंग से शुरू हुई दुश्मनी: पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे. एक ब्रजेश सिंह का और दूसरा मुख्तार अंसारी का गैंग. 1990 में गाजीपुर में तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था. ठेकों की लड़ाई में ब्रजेश का सामना मुख्तार गैंग से हुआ. यहीं से ब्रजेश सिंह और मुख्तार में दुश्मनी शुरू हो गई. ब्रजेश ने मुख्तार के काफिले पर हमले भी कराए थे.
मुख्तार अंसारी पर दर्ज हुए थे 65 केस: मुख्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी समेत 65 मामले दर्ज हुए थे. इनमें 18 मामले हत्या के थे. मुख्तार के खिलाफ लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मऊ, आगरा, बाराबंकी, आजमगढ़ के अलावा नई दिल्ली और पंजाब में भी मुकदमे थे.
मुख्तार अंसारी को मिली थी उम्रकैद की सजा: अपराध की दुनिया का बादशाह बनने के बाद साल 2005 में जेल गया था. उसके बाद से वह बाहर नहीं आ सका. मुख्तार अंसारी को 7 मामलों में सजा मिल चुकी थी, जबकि 8 मामले में वह दोषी करार दिया गया था. अप्रैल 2023 में बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में उसे 10 साल कैद की सजा हुई. 13 मार्च 2024 को आर्म्स एक्ट में अंसारी को उम्रकैद की सजा मिली.