वाराणसी : मुख्तार अंसारी के 36 साल पुराने शस्त्र लाइसेंस में धोखाधड़ी मामले को लेकर आज एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई होगी. मुख्तार अंसारी ने दो नाली बंदूक खरीदने के लिए फर्जी तरीके से हस्ताक्षर कर लाइसेंस लिया था. इसे लेकर मुकदमा चल रहा है. मामले में दोनों पक्षों की तरफ से जिरह चल रही है. मुख्तार अंसारी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की रूलिंग के अनुसार लिखित तौर पर अपनी बहस दाखिल कर चुके हैं. दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद आज अभियोजन पक्ष अधिकारी उदय राज शुक्ला और एडीसी विनय सिंह की ओर अपनी बात रखी जाएगी.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक 36 साल पहले फर्जी हस्ताक्षर से शस्त्र लाइसेंस लेने के मामले में आरोपी मुख्तार अंसारी के खिलाफ विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए अवनीश गौतम की अदालत में वाद दाखिल किया गया था. बांदा जेल से मुख्तार अंसारी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी कराई जा रही है.
लंबे वक्त से शस्त्र का उपयोग किए जाने और गलत तरीके से सरकार को भ्रमित करने के मामले में मुख्तार के खिलाफ कोर्ट में अब तक 10 गवाहों ने गवाही दी है. इसके बाद ट्रायल तेज हो गया है. माना जा रहा है कि इस मामले में जल्द से जल्द कोर्ट अपना निर्णय सुना सकता है.
मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप है कि उसने 10 जून 1987 को दो नाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया. जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था. इस फर्जीवाड़े का खुलासा सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज मुकदमे की जांच के दौरान किया था. इसके बाद मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था. इसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है.
यह भी पढ़ें : राज्यसभा चुनाव 2024 : भाजपा के आठवें प्रत्याशी की जीत तय, सपा का एक विधायक बदलेगा पाला