लखनऊ: इस्लाम को दुश्मनों ने दो तरह से नुकसान पहुंचाने की कोशिशें की हैं. एक खुले तौर पर और दूसरे दोस्ती के पर्दे में दुश्मनी कर. यह कहना मुश्किल है, कि इस्लाम को खुले दुश्मनों से ज्यादा नुकसान मुनाफिकों ने पहुंचाया है. जन्नत के नौजवानों के सरदार हजरत इमाम हुसैन को भी दोनों तरह के दुश्मनों ने नुकसान पहुंचाया था. यह बात मौलाना मोहम्मद अजहरुद्दीन ने इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से ऐशबाग ईदगाह जामा मस्जिद में आयोजित जलसे को खिताब करते हुए कही.
जलसे में उन्होंने कहा, कि मुसलमान अच्छी तरह जानता है कि नबी के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने दीन की बुनियादी चीजों में तब्दीली देखी तो, वो बेचैन हो गये. यह बेचैनी इतनी बढ़ी, कि इसकी निशानदेही के लिए उन्होंने अपना सब कुछ लुटा दिया. यही वजह है, कि हजरत इमाम हुसैन हक की अलामत बन कर उभरे है. इस्लाम की तारीख शुहदाए इस्लाम के खून से रंगीन है. 10 मोहर्रम 61 हिजरी को मैदाने कर्बला में हजरत इमाम हुसैन ने दुनिया को सच्चाई साबित करने, बातिल को खत्म करने और ईसार और कुर्बानी का जो पैगाम दिया है, वह सबके लिए बेहतरीन नमूना है.
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मेडिकल कॉलेज स्थित शाहमीना शाह की मजार पर मीनाई एजूकेशनल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से आयोजित राशिद अली मीनाई की अध्यक्षता में जलसे को मौलाना वहीदुल हसन ने खिताब किया. जलसे को खिताब करते हुए उन्होंने कहा, कि इस्लाम की तारीख में बेशुमार जंगें लड़ी गयीं. बेशुमार शोहदा ने अल्लाह की राह में अपनी जान कुर्बान की. लेकिन, कर्बला की जमीन पर इमाम हुसैन ने जो कुर्बानी पेश की वह बेमिसाल है.
इमाम हुसैन की शहादत के लगभग 1385 साल गुजरने के बाद भी ऐसा मालूम होता है, कि आपकी शहादत को अभी कुछ साल ही हुए हैं. हमारे दिलों से इमाम हुसैन की मोहब्बत को कोई निकाल नहीं सकता. मौलाना ने कहा, कि यजीद को हक पर मानने वाले अपने बच्चों के नाम यजीद क्यों नहीं रखते. यही हमारे इमाम की जिन्दा जावेदानी का रोशन सबूत है.
मौलाना कल्बे जव्वाद ने ये कहा...
इमामबाड़ा गुफरानमआब में अशरा ए मुहर्रम की चौथी मजलिस को मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने खिताब करते हुए कहा, कि हमारे लिए रसूल अल्लाह (स.अ.व) की सीरत और सुन्नत हुज्जत है. जिस तरह पहले मुहम्मद (स.अ.व) की सीरत हुज्जत है. उसी तरह आखरी मुहम्मद (स.अ.व) कि सीरत भी हुज्जत है. क्योकि ये सब के सब मुहम्मद है. मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा, कि हमने 6 मुहर्रम को जिलाधिकारी के बंगले पर मजलिस पढ़ने का ऐलान किया है. इंशाअल्लाह मैं एहतेजाज करने वहां जाऊंगा. जो आना चाहता है, वह हमारे साथ आ सकता है. मौलाना ने कहा, कि इस ऐलान के बाद जिला प्रशासन से बातचीत चल रही है. अब्बास बाग की करबला पर अदालत का स्टे है. इसलिए वहां कोई निर्माण नहीं हो सकता है.
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