भोपाल। मध्य प्रदेश में 12 अप्रैल तक मौसम खराब रहने के आसार हैं. पूरे प्रदेश में शुक्रवार तक गरज चमक के साथ तेज बारिश की संभावना जताई गई है. इनमें से एक दर्जन जिलों में तेज बारिश और तूफान के साथ ओले गिरने का अलर्ट भी जारी किया गया है. भोपाल में सोमवार सुबह से ही बादल छाये रहे. शाम 4:30 बजे तक कुछ स्थानों पर बारिश भी हुई. जिसके बाद मौसम में हल्की ठंडक आ गई है. भारतीय मौसम विभाग ने लोगों से कहा है कि फिलहाल भीषण गर्मी से राहत मिलेगी लेकिन उसके बाद एक बार फिर से तपा देने वाली गर्मी और हीट वेव के लिए तैयार रहना होगा.
मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह के अनुसार, "मंगलवार और बुधवार को पूरे मध्य प्रदेश में तेज बारिश हो सकती है. आज रात तक मध्य और पूर्वी मध्य प्रदेश में तेज बरसात हो सकती है. जबकि मंगलवार को पश्चिमी मध्य प्रदेश के खरगोन, झाबुआ, बड़वानी, इंदौर और रतलाम समेत आसपास के जिलों में तेज बारिश होने की संभावना जताई गई है."
9 जिलों में गिर सकते हैं ओले
मध्य प्रदेश में वेदर सिस्टम में चेंज की वजह से बेमौसम कई जिलों में ओले गिरने का भी अलर्ट जारी हुआ है. वो जिले जहां ओलावृष्टि हो सकती है उनमें, 1.) बैतूल, 2.) उमरिया, 3.) कटनी, 4.) डिंडोरी, 5.) जबलपुर, 6.) छिंदवाड़ा, 7.) पांढुर्ना, 8.) सिवनी और 9.) बालाघाट है.
10 अप्रैल को सिस्टम रहेगा स्ट्रांग
मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि, "10 अप्रैल को सिस्टम ज्यादा स्ट्रॉन्ग रहेगा. साइक्लोनिक सकुर्लेशन सिस्टम और वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के एक्टिव होने का असर भोपाल में भी देखने को मिलेगा.अप्रैल महीने में हवा का रुख पश्चिमी, उत्तर-पश्चिमी रहता है. धूल भरी आंधी भी चलती है. उत्तर भारत में वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से कभी-कभी बारिश का दौर भी रहता है. आकाशीय बिजली चमकने, गरज-चमक के साथ बारिश भी हो जाती है." भोपाल में अप्रैल में औसत बारिश 4.8 मिमी है.
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ये बना है सिस्टम, जो बदल रहा मौसम का मिजाज
वर्तमान में पश्चिमी विक्षोभ उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऊपर माध्य समुद्र तल से 3.1 किलो मीटर की ऊंचाई पर चक्रवाती हवाओं का घेरा और ट्रफ बना हुआ है. साथ ही समुद्र तल से 1.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ीसा से लेकर छत्तीसगढ़, विदर्भ, कर्नाटक और मराठवाड़ा होते हुए उत्तरी तमिलनाडू तक हवाओं में विअर्ड डेंसिसीटी है. एक चक्रवातीय परिसंचरण दक्षिणी पर्वी राजस्थान के ऊपर समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई तक सक्रिय है. इसके साथ ही 10 अप्रैल और 13 अप्रैल से दो नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रीय होने की संभावना बनी हुई है.