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चौथे चरण में एमपी में घटती-बढ़ती वोटिंग, 8 सीटों की जीत-हार से तय होगा सीएम और मंत्रियों का राजनीतिक भविष्य - MP 8 SEATS VOTING IN 4TH PHASE

एमपी में चौथे चरण में घटती-बढ़ती वोटिंग और मालवा-निमाड़ इलाके की 8 सीटों पर जीत हार के नतीजे बीजेपी के दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य को तय करेंगे. वैसे तो सीएम मोहन यादव का लिटमस टेस्ट 29 सीटों पर ही है लेकिन मालवा उनका गृह क्षेत्र होने से नतीजे उनके कद पर सीधा असर डाल सकते हैं.

MP 8 SEATS VOTING IN 4TH PHASE
चौथे चरण में एमपी में घटती-बढ़ती वोटिंग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 13, 2024, 4:31 PM IST

भोपाल। चौथे फेज में एमपी के मालवा-निमाड़ इलाके की 8 सीटों पर हो रही वोटिंग के नतीजे इस चुनाव में केवल कांग्रेस बीजेपी की जीत हार नहीं बताएंगे. ये इस इलाके से आने वाले कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य के सूचकांक भी तय करेंगे. इंदौर जैसे जागरुक मतदाताओं वाले शहर में बाकी लोकसभा सीटों के मुकाबले घटा हुआ मतदान क्या एकतरफा चुनाव का नतीजा है. क्या इसका असर कैलाश विजयवर्गीय की सियासी सेहत पर पड़ेगा. क्यों देवास में वोटर बंपर वोट के लिए बाहर आया. सीएम डॉ मोहन यादव का लिटमस टेस्ट तो यूं पूरी 29 सीटों पर ही है लेकिन मालवा निमाड़ की इन 8 सीटों की जीत हार मोहन यादव के एमपी के राजनीतिक कद पर सीधा असर डालने वाली है. वजह ये है कि मालवा उनका गृह क्षेत्र है. दूसरा इस फेज में जितने मंत्रियों के इलाके हैं उनके राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगी ये वोटिंग और उसके नतीजे.

इंदौर में घटता वोट प्रतिशत

बीजेपी के गढ़ रहे जिस इंदौर में पार्टी के उम्मीदवार केवल लीड बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ते हों और हर बार जिस सीट पर जनता बढ़चढ़कर वोट देती रही हो. क्या वजह है कि स्वच्छता को लेकर जागरुक उस लोकसभा सीट के नागरिक लोकतंत्र के अपने सबसे बड़े अधिकार को लेकर इस बार उदासीन दिखाई दे रहे हैं.

मालवा की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा कहते हैं कि "इंदौर में जो कुछ हुआ अक्षय बम एपीसोड से हुआ, उसे लेकर संघ के नेता भी खुश नहीं है. सुमित्रा महाजन तो खुले तौर पर अपनी नाराजगी दर्ज करा चुकी हैं. मध्यप्रदेश में नोटा ऐतिहासिक हो जाता है 50 हजार से ऊपर जाता है तो तय मानिए कि कैलाश विजयवर्गीय के अच्छे दिन संकट में आ जाएंगे. बीजेपी का कोर वोटर तो वोटिंग करेगा लेकिन वोटिंग प्रतिशत कम होता है तो ये बीजेपी के खिलाफ जाएगा. पिछली बार शंकर लालवानी पांच लाख की लीड से चुनाव जीते थे,अबकि लीड डबल होनी चाहिए ये अपेक्षा है क्योंकि उनके मुकाबले कोई उम्मीदवार नहीं है."

मोहन यादव के इम्तिहान का आखिरी चरण

एमपी में सीएम डॉ मोहन यादव ने 13 दिसम्बर को ही कार्यभार ग्रहण किया था. ये अंतिम चरण का चुनाव है और इत्तेफाक की बात है कि 13 मई को ही उनके इस पहले इम्तेहान के आखिरी चरण की वोटिंग हो रही है. वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा कहते हैं "बीजेपी के लिए ये 8 सीटें मुश्किल नहीं कही जा सकती लेकिन जीत का अंतर कितना बढ़ता है ये देखने वाली बात होगी."

ये भी पढ़ें:

वोटिंग में खरगौन ने देवास को पछाड़ा, इंदौर सबसे पीछे, देखें मध्यप्रदेश की 8 लोकसभा सीटों का लाइव पोल पर्सेंटेज

इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने नोटा को लेकर लगाई टेबल, पुलिस ने हटाई तो इलेक्शन कमीशन पर लगाए आरोप

8 सीटों पर मंत्रियों की भी साख दांव पर

इन 8 सीटों पर बढ़े मतदान प्रतिशत ने बीजेपी को थोड़ी राहत की सांस दी है. वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा कहते हैं कि "तीसरे चरण में थोड़ा मतदान बढ़ा था लेकिन इस बार उससे बेहतर है. असल में ये अमित शाह की उस चेतावनी का भी असर कहा जाएगा जिसमें उन्होंने कहा था कि वोटिंग प्रतिशत नहीं बढ़ा तो मंत्री फिर देख लें पांच जून के बाद.अगर मंत्रियों की सीटों पर मतदान कम होता है तो उनका सरकार में बने रहना मुश्किल है. विभाग में भी फेरबदल हो सकता है. झाबुआ की सीट पर ही तीन मंत्री हैं, नागर सिंह चौहान, चेतन कश्यप, निर्मला भूरिया एक सीट पर तीन मंत्री हैं. इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट हैं. ऐसे में इन मंत्रियों की साख दांव पर है."

भोपाल। चौथे फेज में एमपी के मालवा-निमाड़ इलाके की 8 सीटों पर हो रही वोटिंग के नतीजे इस चुनाव में केवल कांग्रेस बीजेपी की जीत हार नहीं बताएंगे. ये इस इलाके से आने वाले कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेताओं के सियासी भविष्य के सूचकांक भी तय करेंगे. इंदौर जैसे जागरुक मतदाताओं वाले शहर में बाकी लोकसभा सीटों के मुकाबले घटा हुआ मतदान क्या एकतरफा चुनाव का नतीजा है. क्या इसका असर कैलाश विजयवर्गीय की सियासी सेहत पर पड़ेगा. क्यों देवास में वोटर बंपर वोट के लिए बाहर आया. सीएम डॉ मोहन यादव का लिटमस टेस्ट तो यूं पूरी 29 सीटों पर ही है लेकिन मालवा निमाड़ की इन 8 सीटों की जीत हार मोहन यादव के एमपी के राजनीतिक कद पर सीधा असर डालने वाली है. वजह ये है कि मालवा उनका गृह क्षेत्र है. दूसरा इस फेज में जितने मंत्रियों के इलाके हैं उनके राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगी ये वोटिंग और उसके नतीजे.

इंदौर में घटता वोट प्रतिशत

बीजेपी के गढ़ रहे जिस इंदौर में पार्टी के उम्मीदवार केवल लीड बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ते हों और हर बार जिस सीट पर जनता बढ़चढ़कर वोट देती रही हो. क्या वजह है कि स्वच्छता को लेकर जागरुक उस लोकसभा सीट के नागरिक लोकतंत्र के अपने सबसे बड़े अधिकार को लेकर इस बार उदासीन दिखाई दे रहे हैं.

मालवा की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा कहते हैं कि "इंदौर में जो कुछ हुआ अक्षय बम एपीसोड से हुआ, उसे लेकर संघ के नेता भी खुश नहीं है. सुमित्रा महाजन तो खुले तौर पर अपनी नाराजगी दर्ज करा चुकी हैं. मध्यप्रदेश में नोटा ऐतिहासिक हो जाता है 50 हजार से ऊपर जाता है तो तय मानिए कि कैलाश विजयवर्गीय के अच्छे दिन संकट में आ जाएंगे. बीजेपी का कोर वोटर तो वोटिंग करेगा लेकिन वोटिंग प्रतिशत कम होता है तो ये बीजेपी के खिलाफ जाएगा. पिछली बार शंकर लालवानी पांच लाख की लीड से चुनाव जीते थे,अबकि लीड डबल होनी चाहिए ये अपेक्षा है क्योंकि उनके मुकाबले कोई उम्मीदवार नहीं है."

मोहन यादव के इम्तिहान का आखिरी चरण

एमपी में सीएम डॉ मोहन यादव ने 13 दिसम्बर को ही कार्यभार ग्रहण किया था. ये अंतिम चरण का चुनाव है और इत्तेफाक की बात है कि 13 मई को ही उनके इस पहले इम्तेहान के आखिरी चरण की वोटिंग हो रही है. वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा कहते हैं "बीजेपी के लिए ये 8 सीटें मुश्किल नहीं कही जा सकती लेकिन जीत का अंतर कितना बढ़ता है ये देखने वाली बात होगी."

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8 सीटों पर मंत्रियों की भी साख दांव पर

इन 8 सीटों पर बढ़े मतदान प्रतिशत ने बीजेपी को थोड़ी राहत की सांस दी है. वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा कहते हैं कि "तीसरे चरण में थोड़ा मतदान बढ़ा था लेकिन इस बार उससे बेहतर है. असल में ये अमित शाह की उस चेतावनी का भी असर कहा जाएगा जिसमें उन्होंने कहा था कि वोटिंग प्रतिशत नहीं बढ़ा तो मंत्री फिर देख लें पांच जून के बाद.अगर मंत्रियों की सीटों पर मतदान कम होता है तो उनका सरकार में बने रहना मुश्किल है. विभाग में भी फेरबदल हो सकता है. झाबुआ की सीट पर ही तीन मंत्री हैं, नागर सिंह चौहान, चेतन कश्यप, निर्मला भूरिया एक सीट पर तीन मंत्री हैं. इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट हैं. ऐसे में इन मंत्रियों की साख दांव पर है."

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