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अर्श से फर्श पर लहसुन, किसानों को 45 हजार रुपये क्विंटल की ऊटी लहसुन ने डुबोया - OOTY GARLIC PRICE DOWN IN MP

लहसुन के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश की रतलाम, मंदसौर और नीमच की मंडियों में लहसुन के दाम औंधे मुंह गिर गए हैं.

OOTY GARLIC PRICE DOWN IN MP
ऊटी लहसुन के दाम 10 हजार से कम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 30, 2025, 5:48 PM IST

Updated : Jan 30, 2025, 6:17 PM IST

रतलाम: साल 2024 में किसानों को मालामाल करने वाली ऊटी लहसुन अब किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. करीब 45 से 50 हजार रुपये क्विंटल तक का महंगा बीज खरीद कर बुवाई करने वाले किसानों को अब ऊटी लहसुन का दाम उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल रहा है. लहसुन के लिए प्रसिद्ध रतलाम, मंदसौर और नीमच की मंडियों में ऊटी लहसुन का दाम ₹10000 क्विंटल से भी कम मिल रहा है. जिससे किसान निराश हैं और इस स्थिति के लिए चाइना की लहसुन और केन्द्र सरकार की नीति को जिम्मेदार बता रहे हैं. वहीं, अब किसान लहसुन और प्याज की एमएसपी तय करने की मांग केंद्र सरकार और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कर रहे हैं.

ऊटी लहसुन के दाम 10 हजार से कम

मध्य प्रदेश में रतलाम, मंदसौर और नीमच लहसुन के लिए जाना जाता है. यहां लहसुन मंडी में नई लहसुन आना शुरू हो चुकी है. खासकर ऊटी लहसुन (ऊटी क्षेत्र में बोई जाने वाली बड़ी कली की लहसुन) की हार्वेस्टिंग शुरू हो चुकी है. लेकिन किसानों को इसके दाम ही नहीं मिल पा रहे हैं. बहुत अच्छी क्वालिटी की ऊटी लहसुन भी 12 से 13000 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक नहीं बिक रही है. वहीं ऊटी लहसुन का एवरेज रेट 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल से कम मिल रहा है.

मध्य प्रदेश की रतलाम, मंदसौर और नीमच की मंडियों में लहसुन के दाम औंधे मुंह गिरे (ETV Bharat)

'एक लाख रुपये प्रति बीघा किया खर्च'

मंडी में पहुंचे किसान अमृतलाल, कैलाश पाटीदार और कुलदीप सिंह बताते हैं कि "उन्होंने महंगा बीज खेतों में लगाकर करीब 80 हजार से ₹1 लाख प्रति बीघा खर्च किया है. लेकिन अब उन्हें ऊटी लहसुन के दाम 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल से कम मिल रहा है. जिससे उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है." किसान नेता राजेश पुरोहित बताते हैं कि "दाम में कमी आने का मुख्य कारण केन्द्र सरकार की आयात नीति है. जिसके चलते चीन से लहसुन भारत की मंडियों में बड़ी मात्रा में पहुंच रहा है. अब समय आ गया है कि सरकार लहसुन और प्याज जैसी फसलों का भी एमएसपी तय करें."

GARLIC PRICE DOWN FARMERS WORRIED
किसानों को नहीं मिल रहे लहसुन के दाम (ETV Bharat)

लागत ज्यादा मुनाफा जीरो

लहसुन उत्पादन करने वाले किसानों की मानें तो एक बीघा जमीन पर लहसुन का उत्पादन करने में ₹1 लाख से अधिक का खर्च आ रहा है. महंगे दामों पर खरीदा गया ऊटी का एक क्विंटल बीज 45 से ₹50 हजार का पड़ता है. वहीं, हंकाई,जुताई, मजदूर, खाद पेस्टीसाइड और हार्वेस्टिंग का खर्च मिलकर एक लाख रुपए से अधिक की लागत हो जाती है. वहीं इस वर्ष ऊटी लहसुन का उत्पादन दाम भी नहीं निकल पा रहा है. किसानों को 8 से 10 क्विंटल तक ही एक बीघा में उत्पादन प्राप्त हो रहा है. ऐसे में यदि दाम 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल ही मिलता है तो किसानों के लिए यह घाटे का सौदा साबित होगा.

RATLAM MARKET GARLIC RATE
रतलाम में अर्श से फर्श पर लहसुन के दाम (ETV Bharat)

चीन की लहसुन ने रूलाया

किसानों को नई लहसुन का दाम उनकी उम्मीद से बेहद कम मिल रहा है. इसके बाद अब किसानों को अपनी खेत में खड़ी फसल की चिंता भी सताने लगी है. किसानों को डर है कि चीन की लहसुन की वजह से इस वर्ष लहसुन के दाम निचले स्तर पर ही ना रह जाए. इसके लिए किसान केंद्र सरकार और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगा रहे हैं. किसान नेता राजेश पुरोहित का कहना है कि "सरकार को अपनी नीति बदलनी होगी और चाइना लहसुन को भारत में आने से रोकना होगा. ऐसा होने के बाद ही किसानों को दाम मिलेंगे और लोगों की जेब पर भी डाका नहीं डलेगा."

रतलाम: साल 2024 में किसानों को मालामाल करने वाली ऊटी लहसुन अब किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. करीब 45 से 50 हजार रुपये क्विंटल तक का महंगा बीज खरीद कर बुवाई करने वाले किसानों को अब ऊटी लहसुन का दाम उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल रहा है. लहसुन के लिए प्रसिद्ध रतलाम, मंदसौर और नीमच की मंडियों में ऊटी लहसुन का दाम ₹10000 क्विंटल से भी कम मिल रहा है. जिससे किसान निराश हैं और इस स्थिति के लिए चाइना की लहसुन और केन्द्र सरकार की नीति को जिम्मेदार बता रहे हैं. वहीं, अब किसान लहसुन और प्याज की एमएसपी तय करने की मांग केंद्र सरकार और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कर रहे हैं.

ऊटी लहसुन के दाम 10 हजार से कम

मध्य प्रदेश में रतलाम, मंदसौर और नीमच लहसुन के लिए जाना जाता है. यहां लहसुन मंडी में नई लहसुन आना शुरू हो चुकी है. खासकर ऊटी लहसुन (ऊटी क्षेत्र में बोई जाने वाली बड़ी कली की लहसुन) की हार्वेस्टिंग शुरू हो चुकी है. लेकिन किसानों को इसके दाम ही नहीं मिल पा रहे हैं. बहुत अच्छी क्वालिटी की ऊटी लहसुन भी 12 से 13000 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक नहीं बिक रही है. वहीं ऊटी लहसुन का एवरेज रेट 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल से कम मिल रहा है.

मध्य प्रदेश की रतलाम, मंदसौर और नीमच की मंडियों में लहसुन के दाम औंधे मुंह गिरे (ETV Bharat)

'एक लाख रुपये प्रति बीघा किया खर्च'

मंडी में पहुंचे किसान अमृतलाल, कैलाश पाटीदार और कुलदीप सिंह बताते हैं कि "उन्होंने महंगा बीज खेतों में लगाकर करीब 80 हजार से ₹1 लाख प्रति बीघा खर्च किया है. लेकिन अब उन्हें ऊटी लहसुन के दाम 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल से कम मिल रहा है. जिससे उनकी लागत तक नहीं निकल पा रही है." किसान नेता राजेश पुरोहित बताते हैं कि "दाम में कमी आने का मुख्य कारण केन्द्र सरकार की आयात नीति है. जिसके चलते चीन से लहसुन भारत की मंडियों में बड़ी मात्रा में पहुंच रहा है. अब समय आ गया है कि सरकार लहसुन और प्याज जैसी फसलों का भी एमएसपी तय करें."

GARLIC PRICE DOWN FARMERS WORRIED
किसानों को नहीं मिल रहे लहसुन के दाम (ETV Bharat)

लागत ज्यादा मुनाफा जीरो

लहसुन उत्पादन करने वाले किसानों की मानें तो एक बीघा जमीन पर लहसुन का उत्पादन करने में ₹1 लाख से अधिक का खर्च आ रहा है. महंगे दामों पर खरीदा गया ऊटी का एक क्विंटल बीज 45 से ₹50 हजार का पड़ता है. वहीं, हंकाई,जुताई, मजदूर, खाद पेस्टीसाइड और हार्वेस्टिंग का खर्च मिलकर एक लाख रुपए से अधिक की लागत हो जाती है. वहीं इस वर्ष ऊटी लहसुन का उत्पादन दाम भी नहीं निकल पा रहा है. किसानों को 8 से 10 क्विंटल तक ही एक बीघा में उत्पादन प्राप्त हो रहा है. ऐसे में यदि दाम 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल ही मिलता है तो किसानों के लिए यह घाटे का सौदा साबित होगा.

RATLAM MARKET GARLIC RATE
रतलाम में अर्श से फर्श पर लहसुन के दाम (ETV Bharat)

चीन की लहसुन ने रूलाया

किसानों को नई लहसुन का दाम उनकी उम्मीद से बेहद कम मिल रहा है. इसके बाद अब किसानों को अपनी खेत में खड़ी फसल की चिंता भी सताने लगी है. किसानों को डर है कि चीन की लहसुन की वजह से इस वर्ष लहसुन के दाम निचले स्तर पर ही ना रह जाए. इसके लिए किसान केंद्र सरकार और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगा रहे हैं. किसान नेता राजेश पुरोहित का कहना है कि "सरकार को अपनी नीति बदलनी होगी और चाइना लहसुन को भारत में आने से रोकना होगा. ऐसा होने के बाद ही किसानों को दाम मिलेंगे और लोगों की जेब पर भी डाका नहीं डलेगा."

Last Updated : Jan 30, 2025, 6:17 PM IST
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