उज्जैन: 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ कुंभ की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के 15 वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम प्रयागराज में गंगा के संगम तट पर पहुंची, जहां उन्होंने उत्तर प्रदेश के अफसरों से वहां की व्यवस्थाओं का गहराई से अध्ययन किया. वहीं, शुक्रवार को उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी भी टीम में शामिल हुए. इस अध्ययन यात्रा का उद्देश्य 2028 सिंहस्थ के लिए प्रभावी व्यवस्थाएं तैयार करना है
प्रयागराज कुंभ से सीखा कुशल प्रबंधन का फॉर्मूला
मध्य प्रदेश की टीम ने प्रयागराज में कुंभ आयोजन के दौरान किए गए क्राउड मैनेजमेंट और आपदा प्रबंधन का विश्लेषण किया. प्रयागराज कुंभ, जिसमें लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं ने शिरकत की थी, उसकी व्यवस्थाओं का बारीकी से अध्ययन किया गया. टीम ने वहां के वॉच टॉवर, डिजास्टर टीम, 200 प्रशिक्षित गोताखोरों और रिवर पुलिस की कार्यशैली का अनुभव किया. उज्जैन में भी ऐसी व्यवस्थाओं को लागू करने पर विचार किया जा रहा है.
टीम लीडर और सदस्यों की भूमिका
इस टीम का नेतृत्व एडीजी रैंक के आईपीएस अफसर उमेश जोगा ने किया. उनके साथ उज्जैन संभाग के कमिश्नर संजय गुप्ता, डीआईजी नवनीत भसीन, डीआईजी तरुण नायक और एसपी राहुल लोधा जैसे वरिष्ठ अधिकारी थे. प्रत्येक अधिकारी ने ट्रैफिक, सुरक्षा, रेलवे और इंटेलिजेंस प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं का गहन अध्ययन किया. इसके साथ में ट्रैफिक और क्राउड मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान.
टीम लीडर उमेश जोगा ने बताया कि, ''सिंहस्थ कुंभ के लिए प्रयागराज की क्राउड मैनेजमेंट रणनीति काफी शिक्षाप्रद रही. वहां श्रद्धालुओं की भीड़ को अलग-अलग घाटों पर वितरित किया गया. ताकि किसी भी क्षेत्र में अत्यधिक भीड़ न हो. उज्जैन में भी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इसी तरह की सुविधाओं को विकसित किया जाएगा.''
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पुलिस बल की संख्या और संरचनाओं में बढ़ोतरी
प्रयागराज कुंभ के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए उज्जैन सिंहस्थ 2028 में 40 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी, जो पिछली बार 2016 में तैनात 22 हजार पुलिस बल से लगभग दोगुना होगी. अधिकारियों ने यह भी तय किया है कि पुलिस बल के रहने के लिए स्थायी निर्माण किया जाएगा, जिससे यह संरचनाएं भविष्य में भी उपयोगी हों.
फ्रॉड और तकनीकी इस्तेमाल पर होगी नजर
कुंभ के दौरान होटल बुकिंग और ऑनलाइन फ्रॉड से निपटने के लिए यूपी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी अध्ययन किया गया. मध्य प्रदेश में फर्जी वेबसाइट्स और धोखाधड़ी रोकने के लिए एडवांस मॉनिटरिंग तकनीक को लागू किया जाएगा. इसके साथ ही कुंभ मेले में खोया पाया केंद्र में AI तकनीक के उपयोग पर भी विचार किया जा रहा है.