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मध्य प्रदेश ने ऐसे की बंपर कमाई फिर बना नंबर वन, ऊंगलियों पर नहीं गिन पाएंगे आंकड़ा - MP NUMBER ONE IN MINERAL AUCTION

खनिज ब्लॉक्स की नीलामी में मध्य प्रदेश ने देश में बाजी मार ली है. खनिज राजस्व बढ़कर 10 हजार करोड़ से ज्यादा पहुंच चुका है.

MP NUMBER ONE IN MINERAL AUCTION
खनिज ब्लॉक्स की नीलामी में मध्य प्रदेश अव्वल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 4, 2025, 7:54 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश को खनिज से बंपर कमाई हुई है. खनिज ब्लॉक्स की नीलामी में देश में अव्वल रहे मध्य प्रदेश को खनिज ब्लॉक्स की नीलामी से 10 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व मिला है. 2023-24 के वित्तीय वर्ष के मुकाबले देखें तो इस बार सीधे 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. प्रदेश के अब तक के इतिहास में ये पहली बार है कि खनिज से मिलने वाला राजस्व का कलेक्शन 5 अंकों में पहुंचा है. 2023-24 के वित्तीय वर्ष में खनिज राजस्व का आंकड़ा 4958.98 का आंकड़ा था, जो अब बढ़कर 10 हजार करोड़ से ज्यादा हो चुका है.

क्रिटिकल मिनरल की नीलामी में नंबर एक मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में मुख्य खनिज ब्लॉक की सबसे ज्यादा तादाद में नीलामी करने में देश में पहले स्थान पर है. प्रदेश में इस खनिज समूह के अंर्तगत ग्रेफाइट के 8 खनिज ब्लॉक, रॉक फॉस्फेट खनिज के 6 ब्लॉक नीलाम किए गए. मुख्य खनिज के 20 ब्लॉक की नीलामी के लिए विभाग की ने 9 अगस्त 2024 को निविदा जारी की थी. इसके अलावा खनिज गोल्ड के 4 ब्लॉक, मैग्नीज खनिज के 16 ब्लॉक और कॉपर का एक ब्लॉक अब तक सफलतापूर्वक नीलाम किया जा चुका है.

critical mineral blocks auction
एमपी में क्रिटिकल मिनरल की नीलामी (ETV Bharat)

भारत सरकार की ओर से जो एक्सप्लोरेशन नीति प्रभावशील की गई थी, इस नीति के अंतर्गत भी मध्य प्रदेश में क्रिटिकल मिनिरल के 2 ब्लॉक नीलामी में रखे गए. इसमें भी भारत सरकार की इस नीति का क्रियान्वयन करने वाला पहला राज्य बन गया है. मध्यप्रदेश इसी तरह खनिज अन्वेषण में भी एमपी नंबर वन पर है. प्रदेश में लगातार स्ट्रेटेजिक एवं क्रिटिकल मिनरल के साथ रॉक फास्फेट ग्रेफाइट, ग्लूकोनाइट, प्लेटिनम समेत दुर्लभ धातुओं के लिए काम किया जा रहा है.

MADHYA PRADESH MINERAL RESOURCES
मध्य प्रदेश में खनिज संसाधन (ETV Bharat)

देश में अकेला हीरे का भंडार एमपी में

प्रदेश के पन्ना जिले में देश का इकलौता हीरे का भंडार है. यहां की हीरा खदान से हर साल एक लाख कैरेट हीरे का उत्पादन होता है. मलाजखण्ड में जो कॉपर खदान है वो भारत की सबसे लंबी कॉपर माइन्स में से एक है. भारत के कुल कॉपर भंडार का 70 फीसदी कॉपर मध्य प्रदेश में है.

मध्य प्रदेश देश के कोयला उत्पादक राज्यों में भी चौथा नंबर का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है. प्रदेश में लाइम स्टोन, डायमंड और पाइरोफ्लाइट जैसे खनिज संसाधन हैं. सिलेसिलेवार देखें तो मध्य प्रदेश के विंध्य, महाकौशल, बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल का के साथ मालवा, निमाड़ हर इलाका किसी ना किसी खनिज की खान लिए बैठा है.

अवैध खनन रोकने ड्रोन से निगरानी

सीएम मोहन यादव ने बताया कि "प्रदेश में खनिज के अवैध परिवहन रोकने के लिये एआई आधारित 41 ई-चेकगेट स्थापित किए जा रहे हैं. ई-चेकगेट पर वेरीफोकल कैमरा, आरएफआईडी रीडर और ऑटोमेटिक नम्बर प्लेट रीडर की सहायता से खनिज परिवहन में संलग्न वाहन की जांच की जा सकेगी. परियोजना में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में खनिज परिवहन के लिये महत्वपूर्ण 4 स्थानों पर ई-चेकगेट स्थापित कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है."

अवैध परिवहन की निगरानी के लिये राज्य स्तर पर भोपाल में कमाण्ड एवं कंट्रोल सेंटर और जिला भोपाल एवं रायसेन में जिला कमाण्ड सेंटर स्थापित किया गया है. इस वर्ष तक सभी 41 ई-चेकगेट की स्थापना किये जाने का लक्ष्य है. अवैध खनन की रोकथाम के लिये उपग्रह और ड्रोन आधारित परियोजना प्रारंभ की गई है. इस परियोजना के माध्यम से 7 हजार खदानों को टैग देकर खदान क्षेत्र का सीमांकन किया गया है.

भोपाल: मध्य प्रदेश को खनिज से बंपर कमाई हुई है. खनिज ब्लॉक्स की नीलामी में देश में अव्वल रहे मध्य प्रदेश को खनिज ब्लॉक्स की नीलामी से 10 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व मिला है. 2023-24 के वित्तीय वर्ष के मुकाबले देखें तो इस बार सीधे 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. प्रदेश के अब तक के इतिहास में ये पहली बार है कि खनिज से मिलने वाला राजस्व का कलेक्शन 5 अंकों में पहुंचा है. 2023-24 के वित्तीय वर्ष में खनिज राजस्व का आंकड़ा 4958.98 का आंकड़ा था, जो अब बढ़कर 10 हजार करोड़ से ज्यादा हो चुका है.

क्रिटिकल मिनरल की नीलामी में नंबर एक मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में मुख्य खनिज ब्लॉक की सबसे ज्यादा तादाद में नीलामी करने में देश में पहले स्थान पर है. प्रदेश में इस खनिज समूह के अंर्तगत ग्रेफाइट के 8 खनिज ब्लॉक, रॉक फॉस्फेट खनिज के 6 ब्लॉक नीलाम किए गए. मुख्य खनिज के 20 ब्लॉक की नीलामी के लिए विभाग की ने 9 अगस्त 2024 को निविदा जारी की थी. इसके अलावा खनिज गोल्ड के 4 ब्लॉक, मैग्नीज खनिज के 16 ब्लॉक और कॉपर का एक ब्लॉक अब तक सफलतापूर्वक नीलाम किया जा चुका है.

critical mineral blocks auction
एमपी में क्रिटिकल मिनरल की नीलामी (ETV Bharat)

भारत सरकार की ओर से जो एक्सप्लोरेशन नीति प्रभावशील की गई थी, इस नीति के अंतर्गत भी मध्य प्रदेश में क्रिटिकल मिनिरल के 2 ब्लॉक नीलामी में रखे गए. इसमें भी भारत सरकार की इस नीति का क्रियान्वयन करने वाला पहला राज्य बन गया है. मध्यप्रदेश इसी तरह खनिज अन्वेषण में भी एमपी नंबर वन पर है. प्रदेश में लगातार स्ट्रेटेजिक एवं क्रिटिकल मिनरल के साथ रॉक फास्फेट ग्रेफाइट, ग्लूकोनाइट, प्लेटिनम समेत दुर्लभ धातुओं के लिए काम किया जा रहा है.

MADHYA PRADESH MINERAL RESOURCES
मध्य प्रदेश में खनिज संसाधन (ETV Bharat)

देश में अकेला हीरे का भंडार एमपी में

प्रदेश के पन्ना जिले में देश का इकलौता हीरे का भंडार है. यहां की हीरा खदान से हर साल एक लाख कैरेट हीरे का उत्पादन होता है. मलाजखण्ड में जो कॉपर खदान है वो भारत की सबसे लंबी कॉपर माइन्स में से एक है. भारत के कुल कॉपर भंडार का 70 फीसदी कॉपर मध्य प्रदेश में है.

मध्य प्रदेश देश के कोयला उत्पादक राज्यों में भी चौथा नंबर का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है. प्रदेश में लाइम स्टोन, डायमंड और पाइरोफ्लाइट जैसे खनिज संसाधन हैं. सिलेसिलेवार देखें तो मध्य प्रदेश के विंध्य, महाकौशल, बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल का के साथ मालवा, निमाड़ हर इलाका किसी ना किसी खनिज की खान लिए बैठा है.

अवैध खनन रोकने ड्रोन से निगरानी

सीएम मोहन यादव ने बताया कि "प्रदेश में खनिज के अवैध परिवहन रोकने के लिये एआई आधारित 41 ई-चेकगेट स्थापित किए जा रहे हैं. ई-चेकगेट पर वेरीफोकल कैमरा, आरएफआईडी रीडर और ऑटोमेटिक नम्बर प्लेट रीडर की सहायता से खनिज परिवहन में संलग्न वाहन की जांच की जा सकेगी. परियोजना में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में खनिज परिवहन के लिये महत्वपूर्ण 4 स्थानों पर ई-चेकगेट स्थापित कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है."

अवैध परिवहन की निगरानी के लिये राज्य स्तर पर भोपाल में कमाण्ड एवं कंट्रोल सेंटर और जिला भोपाल एवं रायसेन में जिला कमाण्ड सेंटर स्थापित किया गया है. इस वर्ष तक सभी 41 ई-चेकगेट की स्थापना किये जाने का लक्ष्य है. अवैध खनन की रोकथाम के लिये उपग्रह और ड्रोन आधारित परियोजना प्रारंभ की गई है. इस परियोजना के माध्यम से 7 हजार खदानों को टैग देकर खदान क्षेत्र का सीमांकन किया गया है.

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