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मध्यप्रदेश के जंगलों में भालुओं की संख्या बढ़ी, वन विभाग ने जगह-जगह बनवाए पोखर - MP number bears increased

मध्यप्रदेश के जंगलों में भालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. रायसेन के जंगलों में भी बड़ी मात्रा में भालू हैं. गर्मी में नदी-तालाब सूखने के कारण वन विभाग ने जंगलों में कई जगहों पर अस्थाई जलस्रोत तैयार किए हैं. आइए जानते हैं भालुओं के स्वभाव के बारे में.

MP number bears increased
मध्यप्रदेश के जंगलों में भालुओं की संख्या बढ़ी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 13, 2024, 3:59 PM IST

रायसेन। मध्यप्रदेश के जंगलों में भालुओं की प्रजाति फलफूल रही है. जंगलों मे भालुओं के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है. रायसेन जिले के सामान्य वन मण्डल के जंगलों से मादा भालू के अपने बच्चे के साथ खेलते हुए फोटो वन विभाग के कैमरे मे कैद हुए हैं. भालू अक्सर गुफाओं मे अपना आशियाना बना कर रहने वाले होते हैं. तेज़ रफ़्तार से दौड़ने के साथ इन्हें पेड़ों पर चढ़ने में महारत हासिल है. ये गहरे पानी में भी बखूबी तैर सकते हैं. ये अकेला रहना पसंद करते हैं. केवल बच्चे जनने के लिये ही नर और मादा भालू साथ आते हैं.

आमतौर पर अकेले रहते हैं भालू

वन्य प्रेमी बताते हैं कि बच्चा पैदा होने के बाद ये फिर अलग हो जाते हैं. बच्चा कुछ समय तक अपनी मां के साथ रहता है. इस दौरान मादा भालू बड़ी संवेदनशील होती है. ज़रा भी खतरे का अहसास होने पर ये हमला करने से नहीं चूकती. हालांकि ये दिन के समय ही सक्रिय होते हैं पर कभीकभार खाने की तलाश में रात मे भी सक्रिय हो जाते हैं. इनके सूंघने की शक्ति तीव्र होती है. भालुओं की कुछ प्रजातियां सर्दी के मौसम में निष्क्रिय रहती हैं. अर्थात सर्दी के मौसम में ये सोते रहते हैं. भारत मे पाये जाने वाले ज्यादातर भालू भूरे या काले रंग के होते हैं, जो सर्दियों के मौसम में भी सक्रिय रहते हैं. जो पहाड़ों की गुफाओं में और मिट्टी मे गहरे गड्ढे बनाकर रहते हैं.

MP number bears increased
मां के साथ अठखेलिया करता भालू का बच्चा (ETV BHARAT)

भालुओं को शहद है बेहद पसंद

भालुओं को ज्यादातर शहद पसंद होती है, जिसकी तलाश में ये अपनी नाक का उपयोग करते हैं. एक बार शहद के बारे में मालूम चल जाने पर ये अपने बड़े नाखूनों और मजबूत हाथ-पैरों की मदद से ऊंचे पेड़ों पर भी चढ़ जाते हैं. भालुओं के संरक्षण और इनके शिकार की रोकथाम करने के लिए शासन ने कई कड़े कानून बनाए हैं. वहीं वन विभाग द्वारा वन्य क्षेत्र में इन्हें अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के साथ गर्मी के मौसम में पानी की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए पोखरों का भी निर्माण कराया गया है.

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जंगल में भालुओं के लिए बनाए जलस्रोत

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सामान्य वन मंडल के अंतर्गत आने वाली अधिकांश रेज में के वन क्षेत्र में लगभग 100 से अधिक भालुओं का कुनबा है. रायसेन के जंगल में वन विभाग की टीम ने एक भालू को अपने कैमरे में कैद किया है. सामान्य वन मंडल के वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रवेश पाटीदार ने बताया "भालू काफी संवेदनशील प्रजाति होती है. ये अक्सर अकेले ही वन में रहते हैं. इनके संरक्षण के लिए वन अमला हमेशा तत्पर रहता है. गर्मी के मौसम में नदी, तालाब सूख गये हैं. ऐसे में वन्यजीवों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए वन विभाग द्वारा जल स्रोतों का निर्माण कराया गया है."

रायसेन। मध्यप्रदेश के जंगलों में भालुओं की प्रजाति फलफूल रही है. जंगलों मे भालुओं के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है. रायसेन जिले के सामान्य वन मण्डल के जंगलों से मादा भालू के अपने बच्चे के साथ खेलते हुए फोटो वन विभाग के कैमरे मे कैद हुए हैं. भालू अक्सर गुफाओं मे अपना आशियाना बना कर रहने वाले होते हैं. तेज़ रफ़्तार से दौड़ने के साथ इन्हें पेड़ों पर चढ़ने में महारत हासिल है. ये गहरे पानी में भी बखूबी तैर सकते हैं. ये अकेला रहना पसंद करते हैं. केवल बच्चे जनने के लिये ही नर और मादा भालू साथ आते हैं.

आमतौर पर अकेले रहते हैं भालू

वन्य प्रेमी बताते हैं कि बच्चा पैदा होने के बाद ये फिर अलग हो जाते हैं. बच्चा कुछ समय तक अपनी मां के साथ रहता है. इस दौरान मादा भालू बड़ी संवेदनशील होती है. ज़रा भी खतरे का अहसास होने पर ये हमला करने से नहीं चूकती. हालांकि ये दिन के समय ही सक्रिय होते हैं पर कभीकभार खाने की तलाश में रात मे भी सक्रिय हो जाते हैं. इनके सूंघने की शक्ति तीव्र होती है. भालुओं की कुछ प्रजातियां सर्दी के मौसम में निष्क्रिय रहती हैं. अर्थात सर्दी के मौसम में ये सोते रहते हैं. भारत मे पाये जाने वाले ज्यादातर भालू भूरे या काले रंग के होते हैं, जो सर्दियों के मौसम में भी सक्रिय रहते हैं. जो पहाड़ों की गुफाओं में और मिट्टी मे गहरे गड्ढे बनाकर रहते हैं.

MP number bears increased
मां के साथ अठखेलिया करता भालू का बच्चा (ETV BHARAT)

भालुओं को शहद है बेहद पसंद

भालुओं को ज्यादातर शहद पसंद होती है, जिसकी तलाश में ये अपनी नाक का उपयोग करते हैं. एक बार शहद के बारे में मालूम चल जाने पर ये अपने बड़े नाखूनों और मजबूत हाथ-पैरों की मदद से ऊंचे पेड़ों पर भी चढ़ जाते हैं. भालुओं के संरक्षण और इनके शिकार की रोकथाम करने के लिए शासन ने कई कड़े कानून बनाए हैं. वहीं वन विभाग द्वारा वन्य क्षेत्र में इन्हें अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के साथ गर्मी के मौसम में पानी की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए पोखरों का भी निर्माण कराया गया है.

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जंगल में भालुओं के लिए बनाए जलस्रोत

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सामान्य वन मंडल के अंतर्गत आने वाली अधिकांश रेज में के वन क्षेत्र में लगभग 100 से अधिक भालुओं का कुनबा है. रायसेन के जंगल में वन विभाग की टीम ने एक भालू को अपने कैमरे में कैद किया है. सामान्य वन मंडल के वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रवेश पाटीदार ने बताया "भालू काफी संवेदनशील प्रजाति होती है. ये अक्सर अकेले ही वन में रहते हैं. इनके संरक्षण के लिए वन अमला हमेशा तत्पर रहता है. गर्मी के मौसम में नदी, तालाब सूख गये हैं. ऐसे में वन्यजीवों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए वन विभाग द्वारा जल स्रोतों का निर्माण कराया गया है."

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