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डेढ़ माह बाद भी मंत्री बेघर, कद्दावर नेता खाली नहीं कर रहे बंगले तो सरकार ने निकाली ये तरकीब

Ministers bungalows Bhopal : मध्यप्रदेश में सरकार गठन के डेढ़ माह बाद भी मंत्रियों को बंगले नहीं मिल सके हैं. कई कद्दावर नेता बंगला खाली करने को तैयार नहीं हैं. अब सरकार ने इस मसले को हल करने के लिए एक तरकीब निकाली है.

Ministers bungalows Bhopal
डेढ़ माह बाद भी मंत्री बेघर, कद्दावर नेता खाली नहीं कर रहे बंगले
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 5, 2024, 3:21 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल गठन और विभागों के बंटवारे के डेढ़ माह बाद भी मंत्रियों को बंगले नहीं मिल सके हैं. मंत्रियों को जो बंगले आवंटित हुए, उनमें से अधिकांश खाली नहीं हो सके. मंत्रियों के आवास को लेकर आ रही परेशानियों को देखते हुए राज्य सरकार ने चार मंत्रियों की समिति गठित कर दी है. यह समिति अब इस मामले को देखेगी कि आखिर मंत्रियों को बंगले क्यों नहीं मिल पा रहे हैं. उधर, मंत्रियों को विभागों का बंटवारा तो हो गया, लेकिन अब तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार भी नहीं सौंपा गया है.

समिति में ये मंत्री शामिल

मंत्रियों को बंगलों के मिलने में आ रही परेशानियों का निराकरण निकालने के लिए नगरीय विकास एवं आवास कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह और जनजातीय कार्य परिसंपत्ति प्रबंधन और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुर्नवास मंत्री विजय शाह को समिति में रखा गया है. समिति में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव समन्वयक होंगे. दरअसल, बंगलों में टिके पूर्व विधायक, पूर्व मंत्रियों को खाली करने के लिए पूर्व में ही कहा जा चुका है, लेकिन बंगला खाली न होने के चलते गृह विभाग और मुख्यमंत्री सचिवालय को सूची सौंपी गई थी. उधर, कई मंत्रियों को बंगले आवंटित कर दिए गए हैं, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं से सरकार बंगले खाली नहीं करा सकी है. पार्टी के सीनियर विधायकों ने विधायक विश्राम गृह में आवास लेने से इंकार कर दिया है और स्वतंत्र बंगले की मांग की है, इससे समस्या और बढ़ गई है.

बंगलों में रिनोवेशन होना बाकी

उधर, कई मंत्रियों को बंगले आवंटित हो गए हैं, इनमें से कई में अभी रिनोवेशन का काम ही नहीं हो सका. बताया जा रहा है कि कई बंगलों में रिनोवेशन में ज्यादा खर्च आ रहा है, जिसमें समय लगेगा. अब गठित की गई समिति इन तथ्यों पर विचार कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेगी. वहीं, मंत्रीमंडल गठन के बाद से अभी तक मंत्रियों को जिला का आवंटन भी नहीं हो सका है. जबकि मंत्रिमंडन का गठन हुए करीब डेढ़ माह का समय हो चुका है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के बड़े जिलों मसलन भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के प्रभार को लेकर सहमति नहीं बन सकी है.

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कांग्रेस ने साधा निशाना

इधर, इसको लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि अब लगता है कि मंत्रियों को बंगले कौन सा आवंटित होगा. यह भी केन्द्र सरकार ही निश्चित करेगा. प्रदेश सरकार केन्द्र के रिमोट से चल रही है. डेढ़ माह बाद भी प्रदेश में जिलों का प्रभार नहीं सौंपा जा सका. केन्द्र सरकार से सूची का इंतजार है. जनहित के मुद्दों पर सरकार बात करने से बच रही है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल गठन और विभागों के बंटवारे के डेढ़ माह बाद भी मंत्रियों को बंगले नहीं मिल सके हैं. मंत्रियों को जो बंगले आवंटित हुए, उनमें से अधिकांश खाली नहीं हो सके. मंत्रियों के आवास को लेकर आ रही परेशानियों को देखते हुए राज्य सरकार ने चार मंत्रियों की समिति गठित कर दी है. यह समिति अब इस मामले को देखेगी कि आखिर मंत्रियों को बंगले क्यों नहीं मिल पा रहे हैं. उधर, मंत्रियों को विभागों का बंटवारा तो हो गया, लेकिन अब तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार भी नहीं सौंपा गया है.

समिति में ये मंत्री शामिल

मंत्रियों को बंगलों के मिलने में आ रही परेशानियों का निराकरण निकालने के लिए नगरीय विकास एवं आवास कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह और जनजातीय कार्य परिसंपत्ति प्रबंधन और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुर्नवास मंत्री विजय शाह को समिति में रखा गया है. समिति में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव समन्वयक होंगे. दरअसल, बंगलों में टिके पूर्व विधायक, पूर्व मंत्रियों को खाली करने के लिए पूर्व में ही कहा जा चुका है, लेकिन बंगला खाली न होने के चलते गृह विभाग और मुख्यमंत्री सचिवालय को सूची सौंपी गई थी. उधर, कई मंत्रियों को बंगले आवंटित कर दिए गए हैं, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं से सरकार बंगले खाली नहीं करा सकी है. पार्टी के सीनियर विधायकों ने विधायक विश्राम गृह में आवास लेने से इंकार कर दिया है और स्वतंत्र बंगले की मांग की है, इससे समस्या और बढ़ गई है.

बंगलों में रिनोवेशन होना बाकी

उधर, कई मंत्रियों को बंगले आवंटित हो गए हैं, इनमें से कई में अभी रिनोवेशन का काम ही नहीं हो सका. बताया जा रहा है कि कई बंगलों में रिनोवेशन में ज्यादा खर्च आ रहा है, जिसमें समय लगेगा. अब गठित की गई समिति इन तथ्यों पर विचार कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेगी. वहीं, मंत्रीमंडल गठन के बाद से अभी तक मंत्रियों को जिला का आवंटन भी नहीं हो सका है. जबकि मंत्रिमंडन का गठन हुए करीब डेढ़ माह का समय हो चुका है. बताया जा रहा है कि प्रदेश के बड़े जिलों मसलन भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के प्रभार को लेकर सहमति नहीं बन सकी है.

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इधर, इसको लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि अब लगता है कि मंत्रियों को बंगले कौन सा आवंटित होगा. यह भी केन्द्र सरकार ही निश्चित करेगा. प्रदेश सरकार केन्द्र के रिमोट से चल रही है. डेढ़ माह बाद भी प्रदेश में जिलों का प्रभार नहीं सौंपा जा सका. केन्द्र सरकार से सूची का इंतजार है. जनहित के मुद्दों पर सरकार बात करने से बच रही है.

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