जबलपुर। मध्य प्रदेश में गलत शिक्षा नीति की वजह से नर्सिंग छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है. अब सरकार के एक फैसले की वजह से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन करने वाले छात्र-छात्राओं के सामने भी संकट खड़ा हो गया है. नए नियम के अनुसार एमबीए की मान्यता अब स्थानीय विश्वविद्यालय दे सकेंगे और स्थानीय विश्वविद्यालयों ने मान्यता देने के लिए कॉलेज से चार गुनी फीस मांगी है. जिसकी वजह से एमबीए कॉलेजों ने एडमिशन लेने की बजाय सरकार के गलत फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
एमबीए छात्रों के लिए परेशानी
मास्टर का बिजनेस मैनेजमेंट एमबीए एक प्रोफेशनल डिग्री है. इस डिग्री के बाद छात्र-छात्राओं को निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में अच्छी नौकरियां मिल जाती हैं. मध्य प्रदेश में 48 निजी कॉलेज एमबीए डिग्री देते हैं. इनमें से ज्यादातर के पास में 100 से 200 सीट है. इस तरह मध्य प्रदेश में लगभग 7 से 8000 एमबीए स्टूडेंट हर साल इन कॉलेज से पढ़कर डिग्री प्राप्त करते हैं, लेकिन एमबीए करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए अब थोड़ी सी संकट की घड़ी आ गई है.
निजी कॉलेज नहीं दे रहे छात्रों को एडमिशन
मास्टर का बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए कॉलेज में एडमिशन शुरू है, लेकिन निजी कॉलेज छात्र-छात्राओं को एडमिशन नहीं दे रहे हैं. दरअसल मास्टर आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की मान्यता अभी तक राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के माध्यम से मिलती थी और यह विश्वविद्यालय तकनीकी शिक्षा के लिए मान्यता देने वाला मध्य प्रदेश का विशेष विश्वविद्यालय है, लेकिन इस बार राज्य सरकार ने मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के लिए एक नई नीति बनाई है. जिसके तहत अब यह मानता जिस क्षेत्र में कॉलेज है, इस क्षेत्र का विश्वविद्यालय दे सकेगा. कहने के लिए यह नियम सरल लग रहा है, लेकिन राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कॉलेज को मान्यता मात्र ₹200000 प्रतिवर्ष में देता था, जो निजी विश्वविद्यालयों ने ₹800000 प्रति वर्ष कर दी है.
जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर होईकोर्ट में लगी याचिका
जाहिर सी बात है कि यह बढ़ी हुई फीस कॉलेज अपनी जेब से नहीं देगा, बल्कि इसका भार छात्र-छात्राओं को उठाना होगा. इसी से परेशान कॉलेज ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की शरण ली है. इस मामले में एक याचिका इंदौर में एक याचिका ग्वालियर में और एक याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई है. इन तीनों ही याचिकाओं को अब जबलपुर हाईकोर्ट में एक साथ सुना जा रहा है.
उच्च शिक्षा विभाग और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी से मांगा जवाब
मध्य प्रदेश में पहले ही नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं सरकार की गलत नीति की वजह से परेशान हैं. दूसरी तरफ अब मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के सामने भी एक नया संकट खड़ा हो गया है. इसकी भी नीति को बदलने से एमबीए करने वाले छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई सही फैसला नहीं लिया जा रहा है. इस याचिका में राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से जवाब मांगा गया है.