भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी के लिए सभी 29 सीटें जीतने की राह क्या इस बार आसान होगी, वो भी जब कमलनाथ की साख का सवाल बन गया है छिंदवाड़ा का चुनाव और राजगढ़ में दिग्विजय सिंह की उम्मीदवारी भाजपा पर शायद भारी पड़ रही है. वहीं, भाजपा में ग्वालियर से लेकर भिंड, सतना में पार्टी से लेकर प्रत्याशी तक में असंतोष है. ऐसी परिस्थितियों में भी चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दावा है कि एमपी में बीजेपी को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. लेकिन कांग्रेस जिस तरह से 11 सीटों पर जीत का दम भर रही है और खुद बीजेपी में पांच मुश्किल सीटों को लेकर फीड बैक मांगा गया है क्या राह इतनी आसान होगी.
एमपी में बीजेपी को नुकसान नहीं....दावे में कितना दम
इसमें दो राय नहीं कि कांग्रेस के मुकाबले चुनावी तैयारियों में बीजेपी ने अपने संगठन की पूरी ताकत झोंक दी. बावजूद इसके बीजेपी अघोषित तौर पर ये मंजूर कर रही है कि चार से पांच सीटे ऐसी हैं जहां कांग्रेस मजबूत रही है. वजह इनमें कई जगह बीजेपी के भीतर घर का घमासान और प्रत्याशी के लिए नाराजगी थी. ऐसे में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का ये बयान " मध्य प्रदेश में बीजेपी को ज्यादा नुकसान नहीं." इस दावे में कितना दम है.
मध्य प्रदेश के चुनाव को करीब से देखने वाले प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं,
"बावजूद इसके कि प्रशांत किशोर ने दूर रहकर यहां की सियासत समझी है वे सच्चाई के नजदीक हैं. वो इसलिए कि यूं भी एमपी की गिनती बीजेपी के सबसे मजबूत राज्यों में होती है. संगठन के तौर पर सबसे मजबूती वाला राज्य और मजबूत होते भी एमपी में संगठन ने बूथस्तर तक इस बार तैयारी की है. जिस सीट पर पार्टी को संकट था उस छिंदवाड़ा में पूरे घर के बदल डालूंगा के अंदाज में कमलनाथ की जमीन खिसकाई जा चुकी है. अगर 2019 से बेहतर स्थिति में आती है बीजेपी तो जाहिर है कि जिस एक सीट की कसर बाकी रही है वो भी पूरी हो जाएगी."
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नतीजे से पहले क्या है मध्य प्रदेश को लेकर बड़ा दावा
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दावा है कि बीजेपी को एमपी में ज्यादा नुकसान नहीं होने जा रहा है. वैसे 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों के चश्मे से देखें तो तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता पलट देने वाली जनता ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 28 सीटों पर कमल खिलाया था.