भोपाल। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए मध्य प्रदेश की 9 लोक सभा सीटों पर चुनाव का शोर शाम 6 बजे थम चुका है. तीसरे चरण में मध्य प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों पर राजा दिग्विजय सिंह, महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया और मामा शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है. राजगढ़, गुना और विदिशा हाई प्रोफाइल सीट के अलावा तीन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले भी देखने को मिल रहा है. तीसरे चरण की 9 सीटों पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे. शुरुआती दो चरण में मतदान प्रतिशत कम रहने की वजह से चुनाव आयोग के अलावा बीजेपी और कांग्रेस का पूरा जोर मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने पर भी है.
तीसरे चरण की तीन सबसे हाई प्रोफाइल सीट
तीसरे चरण में मध्य प्रदेश की तीन सबसे हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों विदिशा, गुना, राजगढ़ हैं. इसके अलावा ग्वालियर, भिंड, मुरैना, भोपाल, सागर और बैतूल में भी मतदाता वोट के जरिए उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में 7 मई को कैद करेंगे.
पिछली बार हारे, इस बार साख दांव पर
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत गुना लोकसभा सीट से एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरे हैं. हालांकि इस बार अंतर यह है कि पार्टी का सिंबल कांग्रेस के स्थान पर बीजेपी का है. 2019 की लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार और कभी अपने साथी रहे केपी सिंह से चुनाव हार गए थे. गुना लोकसभा सीट जीतना सिंधिया के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है.
तीन दशक बाद फ़िर जीत की आस
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह करीब तीन दशक बाद अपने गृह क्षेत्र राजगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव इस सीट से बीजेपी के रोडमल नागर जीतते आए हैं. बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें चुनाव में उतारा है, हालांकि दिग्विजय सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है. दिग्विजय सिंह ने मतदाताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए इस चुनाव को अपना आखिरी चुनाव बताया है.
सबसे बड़ी जीत के लिए जंग
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने गृह क्षेत्र विदिशा से सबसे बड़ी जीत का लक्ष्य लेकर चुनाव लड़ रहे हैं. दो दशक से ज्यादा के समय बाद शिवराज सिंह चौहान विदिशा लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. विधानसभा चुनाव के बाद शिवराज को लाडली बहनों से भरपूर वोट की उम्मीद है.
तीन महत्वपूर्ण किरदार पर नजर
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मध्य प्रदेश की तीन सीटों पर उतरे तीन किरदारों पर सबकी नजर है. यह तीन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस का गणित गड़बड़ा सकता हैा. भिंड, मुरैना और ग्वलियर सीट पर बीएसपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे इन नेताओं की मौजूदगी को देखते हुए बीजेपी कांग्रेस को कहीं ज्यादा पसीना बहाना पड़ा है. इन्हीं सीटों पर जहां प्रधानमंत्री मोदी तक ने प्रचार किया वहीं कांग्रेस से प्रियंका गांधी भी प्रचार करने पहुंची थीं.
मुरैना लोकसभा सीट पर बीएसपी की चाल
जानेमाने बिजनेसमेन रमेश चंद्र गर्ग को बीएसपी ने चंबल अंचल की मुरैना लोकसभा सीट से मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. बीजेपी से शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार मैदान में हैं. रमेश गर्ग का संपर्क बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों से रहा है. चुनाव के पहले ही वे कांग्रेस छोड़ बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरे हैं. मुरैना लोकसभा सीट पर ठाकुर, ब्राम्हण, दलित मतदाता निर्णायक होते हैं, ऐसे में बीएसपी उम्मीदवार की मौजूदगी से बीजेपी-कांग्रेस उम्मीदवारों को गणित गड़बडाने का भय सता रहा है.
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साथी ने ही बढ़ाई मुश्किल
दिल्ली में लॉ की पढ़ाई बीच में छोड़ देवाशीष जरारिया 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भिंड सीट से मैदान में उतरे थे. इस बार पार्टी ने तवज्जो नहीं दिया, तो बीएसपी के टिकट पर भिंड से मैदान में हैं. कांग्रेस ने यहां से फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी के टिकट पर संध्या राय चुनाव लड़ रही हैं. बीएसपी उम्मीदवार देवाशीष के मैदान में उतरने के बाद यहां के समीकरण बदल गए हैं.
ग्वालियर में बीएसपी उम्मीदवार का दम
कांग्रेस से टिकट न मिलने पर कल्याण सिंह कंसाना इस बार बीएसपी के टिकट पर ग्वालियर से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी के टिकट पर भारत सिंह कुशवाहा, जबकि कांग्रेस से प्रवीण पाठक चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर गुर्जर वोटर्स की संख्या 2 लाख से जयादा है. इसके अलावा ब्राहम्ण और क्षत्रिय वोट भी निर्णायक माने जाते हैं. यही वजह है कि बीएसपी उम्मीदवार कंसाना की मौजूदगी को निर्णायक माना जा रहा है.