भोपाल। मध्य प्रदेश में जब चुनाव की रफ्तार पहले चरण की वोटिंग तक पहुंच चुकी है, तब जरूरी हो जाता है, ये सवाल कि आखिर एमपी के चुनावी सीन में उम्मीदवार से लेकर वोटर तक मुस्लिम कहां हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव को इस तरह भी इतिहास में दर्ज कीजिए कि इन चुनाव में एमपी के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी ने उम्मीदवारी के मौके पर मुस्लिमों से पर्याप्त दूरी रखी है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है, तो उम्मीदवारी के मामले में दरकिनार मुस्लिमों के मुद्दे क्या हैं. सियासी दलों से नाराजगी किस बात की है और एमपी में चुनावी समर में किसके लिए जरूरी और किसकी मजबूरी इनका वोट है.
बीजेपी कांग्रेस का मुस्लिमों की उममीदवारी को ना किसलिए
चुनावी बिसात बिछे भी वक्त गुजर चुका है और अब तो छह सीटों पर पहले चरण की वोटिंग हो रही है, लेकिन इस चुनावी सीन में मुस्लिम कहां हैं. मध्य प्रदेश की राजनीति के दो प्रमुख दल हैं, बीजेपी और कांग्रेस. दोनों ने ही 29 सीटों में से किसी एक सीट पर भी किसी मुसलमान को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया, क्यों नहीं बनाया. मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष मोहम्मद माहिर कहते हैं, 'एक बार बीजेपी ने मुस्लिमों को नुमाइंदगी का मौका नहीं दिया, तो समझ में आता है, लेकिन खुद सेक्युलर कहने वाली कांग्रेस भी इसमें कन्नी काट गई. कम से कम भोपाल खंडवा जैसी सीटें जहां पर अच्छी खासी तादात में मुस्लिम वोटर हैं. वहां तो विचार किया जा सकता था, लेकिन कांग्रेस बीजेपी की लिस्ट देखिए 29 सीटों पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है. अब अगर इस वर्ग को नुमाइंदगी ही नहीं मिलेगी तो उनके मुद्दे कैसे नजर में आएंगे.
मुस्लिमों का सबसे बड़ा मुद्दा है सुरक्षा
इकबाल मैदान के नजदीक ठेला लगाने वाले राशिद कहते हैं मुस्लिमों के मुद्दे एक नहीं है, सवाल ये है कि सुनेगा कौन. पढ़ाई है रोजगार है. ये तो बेहद जरूरी मुद्दे हैं. इसके अलावा अब उनकी हिफाजत का भी सवाल है. मोहम्मद माहिर इनकी बात को आगे बढ़ाते हैं. पढ़ाई समान व्यवहार और ये संविधान से मिले अधिकार हैं, लेकिन क्या राजनीतिक दलों की इस तरफ निगाह है. माहिर कहते हैं, आप दोनों का घषणा पत्र उठा कर देख लीजिए. कांग्रेस नेता फिर भी केवल मुस्लिम नहीं सभी अल्पसख्यक जिसमें इसाई भी हैं पारसी भी उन्हें जगह दी है और कहा है कि इनकी संस्कृति को बचाने का प्रयास होगा, लेकिन बीजेपी के मेनिफेस्टो में तो कहीं मुस्लिम दिखाई भी नहीं दिए. इन मेनिफेस्टो में हमारे लिए कोई बात नहीं की गई.
मुस्लिमों में जागरुकता, अपने अधिकार का इस्तेमाल करें
राष्ट्रीय मुस्लिम विकास परिषद चुनाव की तारीखों के एलान के पहले से मुस्लिमों के बीच जाकर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित कर रही है. मोहम्मद माहिर कहते है बावजूद इसके कि मुस्लिमों के मुद्दों को लेकर कोई खास रुचि सियासी दलों की नही हैं, लेकिन मतदान हमारा फर्ज है. हम जिस देश में रहते हैं उसके भविष्य के लिए हम मिले अपने सबसे बड़े अधिकार का इस्तेमाल जरुरी है और इसके लिए हम लोगों के बीच जाकर उन्हें प्रेरित करने बाकायदा कैम्पेन चला रहे हैं.
भोपाल बैतूल सतना से मुस्लिम सांसद बनें
लोकसभा चुनाव की बात करें तो सबसे ज्यादा मुस्लिम बाहुल्य वाली सीट भोपाल जहां सात में से तीन विधानसभा में निर्णायक स्थिति में मुस्लिम वोटर है. भोपाल सीट पर भी 1956 से अब तक केवल तीन मुस्लिम सांसद हुए. इनमें सईदुल्लाह खान, रजमी मैमूना सुल्तान और आरिफ बैग. इसके अलावा एक बार बैतूल सीट से गुफराम आजम चुनाव जीते थे और सतना की लोकसभा सीट से अजीज कुरैशी ने चुनाव जीता था.
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मुस्लिम आबादी 60 लाख से ज्यादा 50 लाख से ऊपर मुस्लिम वोटर
एमपी में मुस्लिमों की आबादी साठ लाख से ज्यादा है. जिसमें पचास लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. भोपाल के अलावा खंडवा, बुरहानपुर, जबलपुर, इंदौर ये प्रमुख लोकसभा सीट हैं. जहां मुस्लिम वोटर की तादात बेहतर स्थिति में है. विधानसभा के नजरिए से देखें तो 45 से ज्यादा विधानसभा सीटें ऐसी हैं कि जहां पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं.