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सुसाइड के लिए प्रेरित करने के केस में धमकी देने का आशय स्पष्ट नहीं, MP हाईकोर्ट ने खारिज की FIR

MP High Court : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दतिया के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सहित दो लोगों के खिलाफ सुसाइड के लिए प्रेरित करने के केस को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सुसाइड के लिए प्रेरित करने के मामले में धमकी देने का आशय स्पष्ट होना चाहिए.

MP High Court
सुसाइड के लिए प्रेरित करने के केस में आशय स्पष्ट नहीं केस खारिज
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 18, 2024, 3:35 PM IST

जबलपुर। पुलिस द्वारा आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का अपराध दर्ज किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि मृतक फरार आरोपी था. शिकायतकर्ता व गवाहों को उसके ठिकाने की जानकारी थी. एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने इस आशय से धमकी नहीं दी थी कि फरार युवक आत्महत्या कर ले. एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि विधि अनुसार कार्रवाई करें.

ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी ने दायर की थी याचिका

दतिया में पदस्थ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सीताराम यादव व अजय प्रताप सिंह ने निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर थाने में उनके खिलाफ धारा 306 सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किये जाने को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता अजय प्रताप सिंह भाई की मोटरसाइकिल से अपने गांव पनिहारी जा रहे थे. इस दौरान बादाम सिंह, उनके बेटे शिवम यादव व अन्य साथी ने उन पर हमला कर दिया. इसकी एफआईआर उन्होंने पृथ्वीपुर थाने में दर्ज करवाई थी. भाई को गंभीर चोट आने के कारण पुलिस ने बाद में हत्या का प्रयास के तहत प्रकरण दर्ज किया था.

पुलिस थाने में तैनात रिश्तेदार के कारण एफआईआर

याचिका में कहा गया कि आरोपी पक्ष उन्हें समझौता करने दबाव डाल रहे थे. थाने में उनका रिश्तेदार पदस्थ था और आरोपी लगातार फरार थे. जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विधिवत कार्रवाई के निर्देश पुलिस अधीक्षक को जारी किये थे. फरारी के दौरान शिवम का शव अनावेदक चाचा अनोज यादव के खेत में मिला. उसकी करंट लगने से मौत हुई थी. मृतक के भाई ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि याचिकाकर्ता सीता राम यादव तथा अजय प्रताप सिंह ने गांव में उसके भाई को रास्ते में रोककर गाली-गलौज करते हुए मारपीट की थी.

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आरोपी की मौत करंट लगने से हुई

ये भी आरोप लगाया था कि उसका जीवन खराब कर देंगे. इस कारण उसके भाई ने करंट लगाकर आत्महत्या कर ली. थाने में उनका रिश्तेदार हरीश यादव एसआई के रूप में पदस्थ था. इसलिए उसने उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने सहित मारपीट की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि आत्महत्या के लिए प्रेरित करने मामले में धमकी देने का आशय स्पष्ट होना चाहिए. आशय स्पष्ट नहीं होने के कारण एकलपीठ ने एफआईआर खारिज करने के आदेश जारी किए.

जबलपुर। पुलिस द्वारा आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का अपराध दर्ज किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि मृतक फरार आरोपी था. शिकायतकर्ता व गवाहों को उसके ठिकाने की जानकारी थी. एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने इस आशय से धमकी नहीं दी थी कि फरार युवक आत्महत्या कर ले. एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करते हुए पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि विधि अनुसार कार्रवाई करें.

ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी ने दायर की थी याचिका

दतिया में पदस्थ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सीताराम यादव व अजय प्रताप सिंह ने निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर थाने में उनके खिलाफ धारा 306 सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किये जाने को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता अजय प्रताप सिंह भाई की मोटरसाइकिल से अपने गांव पनिहारी जा रहे थे. इस दौरान बादाम सिंह, उनके बेटे शिवम यादव व अन्य साथी ने उन पर हमला कर दिया. इसकी एफआईआर उन्होंने पृथ्वीपुर थाने में दर्ज करवाई थी. भाई को गंभीर चोट आने के कारण पुलिस ने बाद में हत्या का प्रयास के तहत प्रकरण दर्ज किया था.

पुलिस थाने में तैनात रिश्तेदार के कारण एफआईआर

याचिका में कहा गया कि आरोपी पक्ष उन्हें समझौता करने दबाव डाल रहे थे. थाने में उनका रिश्तेदार पदस्थ था और आरोपी लगातार फरार थे. जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विधिवत कार्रवाई के निर्देश पुलिस अधीक्षक को जारी किये थे. फरारी के दौरान शिवम का शव अनावेदक चाचा अनोज यादव के खेत में मिला. उसकी करंट लगने से मौत हुई थी. मृतक के भाई ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि याचिकाकर्ता सीता राम यादव तथा अजय प्रताप सिंह ने गांव में उसके भाई को रास्ते में रोककर गाली-गलौज करते हुए मारपीट की थी.

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आरोपी की मौत करंट लगने से हुई

ये भी आरोप लगाया था कि उसका जीवन खराब कर देंगे. इस कारण उसके भाई ने करंट लगाकर आत्महत्या कर ली. थाने में उनका रिश्तेदार हरीश यादव एसआई के रूप में पदस्थ था. इसलिए उसने उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने सहित मारपीट की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि आत्महत्या के लिए प्रेरित करने मामले में धमकी देने का आशय स्पष्ट होना चाहिए. आशय स्पष्ट नहीं होने के कारण एकलपीठ ने एफआईआर खारिज करने के आदेश जारी किए.

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