ETV Bharat / state

अनुकंपा नियुक्ति पर पहला हक पत्नी का, भले ही नॉमिनी कोई और हो, MP हाईकोर्ट का अहम आदेश - Wife first right compassionate

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अनुकंपा नियुक्ति पर पहला अधिकार पत्नी का है, भले ही नॉमिनी में नाम मां- भाई या किसी का भी हो. हाईकोर्ट ने मृतक की पत्नी की अनुकंपा नियुक्ति बहाल करने के आदेश पुलिस विभाग को जारी किए.

Wife first right compassionate
अनुकंपा नियुक्ति पर पहला हक पत्नी का भले ही नॉमिनी कोई और हो
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 9, 2024, 1:36 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति पर वैवाहिक पत्नी का हक है. जस्टिस विवेक जैन ने मृतक कर्मचारी की ग्रेच्युटी व बीमा राशि से 50 प्रतिशत राशि मृतक की मां को देने के आदेश जारी किया है. मामले के अनुसार शहडोल निवासी निर्मला पांडे, उसकी सास कमला पांडे व देवर की तरफ से दो याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गयी थीं.

कलेक्टर के आदेश पर पत्नी को मिली अनुकंपा नियुक्ति

याचिकाकर्ता निर्मला पांडे ने कहा था कि उसका विवाह दिसंबर 2020 में जितेन्द्र पांडे के साथ हुआ था. उसके पति पुलिस विभाग में आरक्षक थे. पति की मृत्यु सड़क दुर्घटना में जुलाई 2021 में हो गयी थी. इसके बाद उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. जिला कलेक्टर ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसके पक्ष में सर्टिफिकेट जारी कर दिया था. उसे पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गयी थी. वहीं, पति के सर्विस रिकॉर्ड में नॉमिनी के रूप में मां तथा भाई का नाम दर्ज था. इस कारण बाद में कलेक्टर ने जारी सर्टिफिकेट को निरस्त कर दिया.

ALSO READ:

पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक साथ रहें और शादी न भी करें, तब भी महिला भरण-पोषण की हकदार

एमपी हाई कोर्ट ने क्यों ठोका पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों पर 25 हजार जुर्माना

मां के विरोध करने पर अनुकंपा नियुक्त रद्द

इसके बाद महिला को नौकरी से हटा दिया गया. सास कमला बाई ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके पति पुलिस विभाग में पदस्थ थे, जिनकी मौत साल 2007 में हो गयी थी. इसके बाद उसके बेटे जितेन्द्र को साल 2011 में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी. बेटे की मौत के बाद बहू को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गयी. जिसके लिए परिजनों की सहमति नहीं ली गयी. दोनों याचिकाओं का निराकरण करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मां तथा पत्नी परिवार की सदस्य हैं. लेकिन अनुकंपा नियुक्ति का हक पत्नी का है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति पर वैवाहिक पत्नी का हक है. जस्टिस विवेक जैन ने मृतक कर्मचारी की ग्रेच्युटी व बीमा राशि से 50 प्रतिशत राशि मृतक की मां को देने के आदेश जारी किया है. मामले के अनुसार शहडोल निवासी निर्मला पांडे, उसकी सास कमला पांडे व देवर की तरफ से दो याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गयी थीं.

कलेक्टर के आदेश पर पत्नी को मिली अनुकंपा नियुक्ति

याचिकाकर्ता निर्मला पांडे ने कहा था कि उसका विवाह दिसंबर 2020 में जितेन्द्र पांडे के साथ हुआ था. उसके पति पुलिस विभाग में आरक्षक थे. पति की मृत्यु सड़क दुर्घटना में जुलाई 2021 में हो गयी थी. इसके बाद उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. जिला कलेक्टर ने भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसके पक्ष में सर्टिफिकेट जारी कर दिया था. उसे पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गयी थी. वहीं, पति के सर्विस रिकॉर्ड में नॉमिनी के रूप में मां तथा भाई का नाम दर्ज था. इस कारण बाद में कलेक्टर ने जारी सर्टिफिकेट को निरस्त कर दिया.

ALSO READ:

पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक साथ रहें और शादी न भी करें, तब भी महिला भरण-पोषण की हकदार

एमपी हाई कोर्ट ने क्यों ठोका पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों पर 25 हजार जुर्माना

मां के विरोध करने पर अनुकंपा नियुक्त रद्द

इसके बाद महिला को नौकरी से हटा दिया गया. सास कमला बाई ने अपनी याचिका में कहा था कि उसके पति पुलिस विभाग में पदस्थ थे, जिनकी मौत साल 2007 में हो गयी थी. इसके बाद उसके बेटे जितेन्द्र को साल 2011 में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी. बेटे की मौत के बाद बहू को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कर दी गयी. जिसके लिए परिजनों की सहमति नहीं ली गयी. दोनों याचिकाओं का निराकरण करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मां तथा पत्नी परिवार की सदस्य हैं. लेकिन अनुकंपा नियुक्ति का हक पत्नी का है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.