जबलपुर। डीएनए-एफएसएल सहित अन्य रिपोर्ट के आने में लेटलतीफी के मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने संज्ञान याचिका के रूप दायर करने के आदेश जारी किये थे. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने लंबित फॉरेंसिक रिपोर्ट की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी किये हैं. युगलपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया है कि सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के संबंध में हाईकोर्ट की विभिन्न से जानकारी प्राप्त कर रिपोर्ट पेश करें.
रिपोर्ट के साथ आंकड़े पेश किए
गौरतलब है कि डीएनए-एफएसएल रिपोर्ट सहित अन्य रिपोर्ट के आने में लेटलतीफी को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के आदेश जारी किये थे. याचिका में कहा गया था कि देर से रिपोर्ट आने के कारण न्यायालय में लंबित प्रकरण की सुनवाई के देरी होती है. जिसके कारण लंबित प्रकरण की संख्या भी बढ़ती है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से फॉरेंसिक रिपोर्ट पेश करने में प्रगति की रिपोर्ट पेश की गयी. रिपोर्ट के साथ आंकड़ों का भी उल्लेख किया गया.
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तोड़फोड़ के 29 आरोपी दोषमुक्त
इंदौर में 19 साल पहले भारत बंद के दौरान इंदौर एयरपोर्ट में घुसकर हिंदूवादी संगठन से जुड़े हुए कुछ नेताओं ने तोड़फोड़ की थी. इस मामले की सुनवाई इंदौर की जिला अदालत में चल रही थी. अब 29 आरोपियों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. बता दें कि 6 जुलाई 2005 की सुबह अयोध्या में राम मंदिर पर आतंकी हमले की घटना के विरोध में हिंदूवादी संगठनों के द्वारा भारत बंद का आह्वान किया गया था. इसके चलते इंदौर में भी बंद करवाया जा रहा था. इसी दौरान हिंदूवादी संगठन से जुड़े हुए कई लोग इंदौर एयरपोर्ट पर घुसकर हवाई पट्टी तक पहुंच गए थे और उन्होंने इस दौरान जमकर तोड़फोड़ की थी. इंदौर की एरोड्रम पुलिस ने 29 आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था.