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चिट्ठी देख तिलमिला उठे हाई कोर्ट के जज, कलेक्टर को लगाई फटकार, बोले- मजाक बना के रखा है - MP High Court judge - MP HIGH COURT JUDGE

जमीनी मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जज नर्मदापुरम कलेक्टर पर नाराज हो गए. फटकार लगाते हुए अपर कलेक्टर से बोले-मजाक बनाकर रखा हुआ है. सीधे सस्पेंड करने के निर्देश देता हूं.

REPRIMANDED NARMADAPURAM COLLECTOR
एमपी हाई कोर्ट जज ने नर्मदापुरम कलेक्टर को लगाई फटकार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 28, 2024, 9:53 AM IST

नर्मदापुरम: जमीन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के लिए नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना ने एडीएम डीके सिंह के हाथ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को चिट्ठी भेज दी. इससे सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जज साहब नाराज हो गए. जज ने एडीएम डीके सिंह पर भी नाराजगी जाहिर की. हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि इनके लिए सब कुछ कलेक्टर साहब हो गए हैं. कलेक्टर के नाम की चिट्टी लेकर आते हैं और कोर्ट में लहराते हैं.

मजाक बनाकर रखा हुआ है: हाई कोर्ट जज

जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि "एडिशनल कलेक्टर हैं, तो उन्हें लगता है कि मेरी कलेक्टर है यह तो कुछ भी कर सकती हैं. मजाक बनाकर रखा हुआ है. जब डिप्टी एडवोकेट जनरल कलेक्टर की तरफ से बात कर रहे हैं और वह पीछे खड़े होकर मुझे कलेक्टर का लेटर दिखा रहे हैं." जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि "सीधे सस्पेंड करने के निर्देश देता हूं, फिर देखता हूं कैसे सीएस उसे रिमूव करते हैं. आप लोगों के अफसर की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि आपको कुछ नहीं समझते."

हाई कोर्ट ने कलेक्टर पर की कार्रवाई

इस दौरान जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा, "कोई भी अधिकारी अपनी बात सरकारी वकील के जरिए कोर्ट में रख सकता है. इस तरह सीधे जज को चिट्ठी नहीं भेज सकता." आपको बता दें कि नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना ने जमीन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के लिए एडीएम के हाथों सीधे हाई कोर्ट के जज के नाम एक चिट्ठी भेज दी थी. इसी पर हाई कोर्ट के जज नाराज हो गए. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जज ने नर्मदापुरम कलेक्टर के इस रवैये पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात भी कहीं. हाई कोर्ट ने कलेक्टर पर कार्रवाई को लेकर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.

नामांतरण की जगह करने लगे थे बंटवारा

नर्मदापुरम के नितिन अग्रवाल और प्रदीप अग्रवाल के बीच जमीन से जुड़ा विवाद चल रहा था. विवाद नहीं सुलझने पर प्रदीप अग्रवाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नामांतरण की प्रक्रिया नए सिरे से करने के आदेश दिए थे. पूरे मामले में नामांतरण की कार्रवाई न करते हुए सिवनी मालवा के तहसीलदार ने दूसरे पक्ष नितिन अग्रवाल से बंटवारे का आवेदन रिकॉर्ड में लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी थी. हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद नामांतरण ना करते हुए बंटवारे की प्रक्रिया चालू करने पर प्रदीप अग्रवाल ने रिवीजन आवेदन अपर कलेक्टर को सौंपा था. वहीं तहसीलदार की कार्रवाई को हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना था, लेकिन अपर कलेक्टर ने तहसीलदार की कार्रवाई को सही माना. इसके बाद फरियादी दोबारा हाई कोर्ट पहुंच गया. इस मामले में हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नर्मदापुरम कलेक्टर को उपस्थित होकर जमीन के पूरे मामले की कार्रवाई समझाने को कहा था.

यहां पढ़ें...

एमपी हाईकोर्ट ने दिया समान नागरिक संहिता पर जोर, तीन तलाक मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी

FIR दर्ज होने से पहले आरोपी को सुनवाई का मौका नहीं, जान लें एमपी हाई कोर्ट का अहम आदेश

नागद्वारी मेले की व्यवस्था में जुटी कलेक्टर

पूरे मामले में कलेक्टर सोनिया मीना ने बताया कि "नागद्वारी मेले की तैयारी को लेकर जा रहे कर्मचारियों की जिप्सी दो दिन पहले खाई में गिर गई थी. धूपगढ़ मार्ग पर लैंडस्लाइड हुआ है, इसलिए मेले की व्यवस्था देखने के लिए पचमढ़ी में हूं. एडीएम और तहसीलदार को हमने हाई कोर्ट भेजा था. कोर्ट ने क्या कहा है? यह मैं एडीएम से बात करने के बाद ही बता पाऊंगी."

नर्मदापुरम: जमीन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के लिए नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना ने एडीएम डीके सिंह के हाथ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को चिट्ठी भेज दी. इससे सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जज साहब नाराज हो गए. जज ने एडीएम डीके सिंह पर भी नाराजगी जाहिर की. हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि इनके लिए सब कुछ कलेक्टर साहब हो गए हैं. कलेक्टर के नाम की चिट्टी लेकर आते हैं और कोर्ट में लहराते हैं.

मजाक बनाकर रखा हुआ है: हाई कोर्ट जज

जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि "एडिशनल कलेक्टर हैं, तो उन्हें लगता है कि मेरी कलेक्टर है यह तो कुछ भी कर सकती हैं. मजाक बनाकर रखा हुआ है. जब डिप्टी एडवोकेट जनरल कलेक्टर की तरफ से बात कर रहे हैं और वह पीछे खड़े होकर मुझे कलेक्टर का लेटर दिखा रहे हैं." जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि "सीधे सस्पेंड करने के निर्देश देता हूं, फिर देखता हूं कैसे सीएस उसे रिमूव करते हैं. आप लोगों के अफसर की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि आपको कुछ नहीं समझते."

हाई कोर्ट ने कलेक्टर पर की कार्रवाई

इस दौरान जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा, "कोई भी अधिकारी अपनी बात सरकारी वकील के जरिए कोर्ट में रख सकता है. इस तरह सीधे जज को चिट्ठी नहीं भेज सकता." आपको बता दें कि नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीना ने जमीन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के लिए एडीएम के हाथों सीधे हाई कोर्ट के जज के नाम एक चिट्ठी भेज दी थी. इसी पर हाई कोर्ट के जज नाराज हो गए. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जज ने नर्मदापुरम कलेक्टर के इस रवैये पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात भी कहीं. हाई कोर्ट ने कलेक्टर पर कार्रवाई को लेकर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.

नामांतरण की जगह करने लगे थे बंटवारा

नर्मदापुरम के नितिन अग्रवाल और प्रदीप अग्रवाल के बीच जमीन से जुड़ा विवाद चल रहा था. विवाद नहीं सुलझने पर प्रदीप अग्रवाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नामांतरण की प्रक्रिया नए सिरे से करने के आदेश दिए थे. पूरे मामले में नामांतरण की कार्रवाई न करते हुए सिवनी मालवा के तहसीलदार ने दूसरे पक्ष नितिन अग्रवाल से बंटवारे का आवेदन रिकॉर्ड में लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी थी. हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद नामांतरण ना करते हुए बंटवारे की प्रक्रिया चालू करने पर प्रदीप अग्रवाल ने रिवीजन आवेदन अपर कलेक्टर को सौंपा था. वहीं तहसीलदार की कार्रवाई को हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना था, लेकिन अपर कलेक्टर ने तहसीलदार की कार्रवाई को सही माना. इसके बाद फरियादी दोबारा हाई कोर्ट पहुंच गया. इस मामले में हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नर्मदापुरम कलेक्टर को उपस्थित होकर जमीन के पूरे मामले की कार्रवाई समझाने को कहा था.

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नागद्वारी मेले की व्यवस्था में जुटी कलेक्टर

पूरे मामले में कलेक्टर सोनिया मीना ने बताया कि "नागद्वारी मेले की तैयारी को लेकर जा रहे कर्मचारियों की जिप्सी दो दिन पहले खाई में गिर गई थी. धूपगढ़ मार्ग पर लैंडस्लाइड हुआ है, इसलिए मेले की व्यवस्था देखने के लिए पचमढ़ी में हूं. एडीएम और तहसीलदार को हमने हाई कोर्ट भेजा था. कोर्ट ने क्या कहा है? यह मैं एडीएम से बात करने के बाद ही बता पाऊंगी."

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