जबलपुर। डिग्री व आंशिक डिप्लोमा कोर्स एक साथ किए जाने के आधार पर नियुक्ति से वंचित होने के मामले को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए इस बात पर सहमति जताई कि डिग्री व डिप्लोमा एक साथ किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 15 दिन में ग्राम सहायक रोजगार पद पर नियुक्ति प्रदान करने के आदेश जारी किये हैं.
कम अंक वाले को बना दिया ग्राम सहायक रोजगार
सीधी निवासी राजेश कुमार मिश्रा की तरफ से साल 2014 में दायर याचिका में कहा गया था कि उसने ग्राम सेमरी में ग्राम सहायक रोजगार के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. उसे 133.83 अंक मिले थे. जबकि उससे कम योग्यता रखने वाले अनावेदक अनिल कुमार वर्मा को नियुक्ति दे दी गई. जबकि उसके 117.33 अंक थे. इसके बाद उसने अतिरिक्त कलेक्टर के समक्ष अपील दायर की.
संयुक्त कलेक्टर ने खारिज कर दी थी अपील
अतिरिक्त कलेक्टर ने इस आधार पर अपील की खारिज कर दिया कि उसने कम्प्यूटर डिप्लोमा 2001 में तथा बीकॉम की डिग्री 2002 में प्राप्त की थी. याचिकाकर्ता की तरफ से एकलपीठ को बताया गया कि उसने दो अलग-अलग संस्थान से डिग्री व अंशकालीन डिप्लोमा किया था. माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने अंशकालीन कम्प्युटर करने के संबंध में पुष्टि की है. इसके अलावा यूजीसी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है कि डिग्री व डिप्लोमा एक साथ किया जा सकता है. एकलपीठ को बताया गया कि लम्बे समय बाद नियुक्ति में खलल नहीं डालना चाहिये. एकलपीठ ने अपने आदेश में इस तर्क को खारिज करते हुए याचिका पर सुनवाई लंबित रखी. इसके बाद याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की.