जबलपुर। जबलपुर के एक छात्र नेता ने निजी स्कूलों में हंगामा किया था. पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआर की. इसके बाद छात्र नेता अपने खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर को रद्द करवाने के लिए हाई कोर्ट पहुंच गया. मामले के अनुसार बीते दिनों अभिषेक पांडे अपने कुछ साथियों के साथ ब्रिटिश फोर्ट इंग्लिश स्कूल में आंदोलन करने के लिए गया. यहां दोनों पक्षों की तरफ से अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया. जमकर गालीगलौज हुई.
छात्र नेता के खिलाफ 2 एफआईआर
इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने अभिषेक पांडे के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज करवाईं. अभिषेक पांडे ने इन दोनों एफआईआर को चुनौती देते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. इसमें कहा गया "एफआईआर दर्ज होने के पहले पुलिस ने उसकी बात नहीं सुनी. पुलिस ने सीधे एफआईआर दर्ज कर दी." ये मामला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की पीठ में पहुंचा. अभिषेक पांडे की ओर से वकीलों ने तर्क दिया कि पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की है.
सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर याचिका रद्द की
वकीलों ने कहा "हमारे मुवक्किल के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है." इस पर जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने सुप्रीम कोर्ट के कई मामलों का हवाला देते हुए अपने आदेश में लिखा "एफआईआर से पहले किसी आरोपी को सुनवाई का अवसर नहीं दिया जा सकता. एफआईआई होने के बाद ही किसी मामले में जांच की जा सकती है." इस प्रकार कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. बता दें कि इस आदेश के बाद पुलिस के सामने संकट खड़ा हो गया, क्योंकि पुलिस कई मामलों में एफआईआर से पहले जांच शुरू कर देती है.