जबलपुर। पर्याप्त अनुभव के बावजूद विभागीय पदोन्नति नहीं दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है "विभागीय पदोन्नति का विज्ञापन विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए निकाला गया था. विभागीय पदोन्नति के लिए दूसरी संस्था का अनुभव मान्य नहीं है."
मेडिकल कॉलेज में पदोन्नित का मामला
याचिकाकर्ता सुशीला दद्हरे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि वह शासकीय मेडिकल कॉलेज शिवपुरी में नर्सिंग अधिकारी के रूप में पदस्थ है. विभाग द्वारा फरवरी 2022 में सीनियर नर्सिंग अधिकारी पद में विभागीय पदोन्नति के लिए आवेदन आमंत्रित करते हुए विज्ञापन जारी किये थे. विज्ञापन में निर्धारित योग्यता 5 साल का अनुभव था. विभागीय पदोन्नति के लिए उसने भी आवेदन किया था. उसका आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसके पास 5 साल तक मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग का अनुभव नहीं है.
याचिकाकर्ता ने दूसरे संस्था का प्रमाण पत्र लगाया
याचिकाकर्ता ने बताया कि 5 साल के अनुभव साबित करन के लिए उसने अपने पूर्व के संस्थान अनुभव प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया गया था. वहीं, सरकार की तरफ से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि विज्ञापन प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज में कार्यरत कर्मचारियों के लिए विभागीय पदोन्नति जारी किया गया था. विभागीय पदोन्नति के लिए संबंधित संस्था में कार्य का अनुभव आवश्यक है.
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सीधी भर्ती में ही अन्य संस्थान का अनुभव मान्य
सीधी भर्ती में अन्य संस्थान का अनुभव को मान्य किया जाता है. पदोन्नति के लिए जारी विज्ञापन में कोई त्रुटि नहीं है. एकलपीठ ने याचिका को निरस्त करते हुए अपने आदेश में कहा है कि विज्ञापन सिर्फ प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज में कार्यरत कर्मचारियों के लिए निकाला गया था. विज्ञापन सीधी भर्ती के लिए नहीं निकाला गया था. इसलिए पदोन्नति में विभाग में कार्यरत कर्मचारी का अनुभव मान्य है, दूसरी संस्था का नहीं.