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पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक साथ रहें और शादी न भी करें, तब भी महिला भरण-पोषण की हकदार - mp high court Decision

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने साफ किया है कि अगर महिला व पुरुष पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक साथ रहें और दोनों कानूनन रूप से शादी न भी करें, तब भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार है.

mp high court Decision
शादी न भी करें तब भी महिला भरण पोषण की हकदार
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 3:47 PM IST

जबलपुर। वैधानिक शादी किये बिना भारण-पोषण की राशि निर्धारित किये जाने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने पाया कि पति-पत्नी के तौर पर लम्बे समय तक साथ रहे. इसी आधार पर न्यायालय ने भरण-पोषण की राशि निर्धारित की है. एकलपीठ ने न्यायालय के फैसले को सही करार देते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

याचिका में बताया कि युवती से वैध शादी नहीं की

याचिकाकर्ता शैलेन्द्र बोपचे निवासी बालाघाट की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि फैमिली कोर्ट ने धारा 125 के तहत उसकी कथित पत्नी को 15 सौ रुपये भरण-पोषण देने का आदेश साल 2012 में जारी किया था. इसके खिलाफ उसने अपील दायर की, जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया. याचिका में कहा गया कि युवती से उसकी शादी नहीं हुई है. न्यायालय ने अपने आदेश में स्वयं माना है कि युवती उसकी वैधानिक पत्नी नहीं है. वहीं, युवती ने दावा किया था कि विवाह मंदिर में हुआ है.

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कोर्ट में युवती कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सकी

युवती सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष मंदिर में शादी करने का कोई साक्ष्य नहीं पेश कर पाई. इसके बाद न्यायालय ने दोनों के पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक साथ रहने के आधार पर भरण-पोषण कर राशि निर्धारित की. याचिका में कहा गया था कि युवती उम्र में उससे बड़ी है. इसके अलावा उसके खिलाफ धारा 376 का प्रकरण भी दर्ज करवाया है. अव्यस्क होने के कारण जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड में मामले की सुनवाई हुई थी और वह दोषमुक्त हुआ था.

जबलपुर। वैधानिक शादी किये बिना भारण-पोषण की राशि निर्धारित किये जाने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने पाया कि पति-पत्नी के तौर पर लम्बे समय तक साथ रहे. इसी आधार पर न्यायालय ने भरण-पोषण की राशि निर्धारित की है. एकलपीठ ने न्यायालय के फैसले को सही करार देते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

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याचिकाकर्ता शैलेन्द्र बोपचे निवासी बालाघाट की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि फैमिली कोर्ट ने धारा 125 के तहत उसकी कथित पत्नी को 15 सौ रुपये भरण-पोषण देने का आदेश साल 2012 में जारी किया था. इसके खिलाफ उसने अपील दायर की, जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया. याचिका में कहा गया कि युवती से उसकी शादी नहीं हुई है. न्यायालय ने अपने आदेश में स्वयं माना है कि युवती उसकी वैधानिक पत्नी नहीं है. वहीं, युवती ने दावा किया था कि विवाह मंदिर में हुआ है.

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