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MP हाईकोर्ट ने दी CVC को नसीहत, अभियोजन की अनुमति देने सही प्रक्रिया का पालन करें

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 16, 2024, 1:22 PM IST

Updated : Feb 16, 2024, 1:40 PM IST

MP High Court Order : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को नसीहत देते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित करें कि अभियोजन की अनुमति देने के लिए सही प्रक्रिया का पालन किया जाए. ये मामला बैंक कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने के प्रकरण में अभियोजन की अनुमति देने के बारे में है.

MP High Court Order
MP हाईकोर्ट ने दी CVC को नसीहत

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू व जस्टिस विजय सराफ की युगलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गलत तरीके से अभियोजन की अनुमति देने से इनकार करके दोषी का बचाव नहीं करे. विभाग द्वारा अभियोजन की मंजूरी देने से इनकार करना कानून की नजर में गलत है. युगलपीठ ने यह सख्त टिप्पणी विभाग द्वारा दो बार अभियोजन स्वीकृति की मंजूरी नहीं किये के मामले में दी गई.

अभियोजन को दो बार अस्वीकार किया, तीसरी बार स्वीकृति

शशिकांत मिश्रा की तरफ से दायर की गयी याचिका पर हाईकोर्ट ये टिप्पणी की. याचिका में बताया गया है कि विजिलेंस विभाग द्वारा दो बार अभियोजन की स्वीकृति अस्वीकार किये जाने के बाद तीसरी बार स्वीकृति दी गई. याचिका में कहा गया था उन पर आरोप है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया साखा सिलौडी जिला कटनी में पदस्थ रहने के दौरान 5 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया. सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज करते हुए प्रकरण को विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया.

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लंबित प्रकरण को खारिज करने की मांग, याचिका खारिज

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बैंक के जनरल मैनेजर ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि बैंक के विजिलेंस विभाग ने उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया था. इसके बाद तीसरा बार में अभियोजन की अनुमति दी गयी. याचिका में राहत चाही गयी थी कि दो बार अभियोजन की अनुमति नहीं मिलने के मद्देनजर उनके खिलाफ विशेष न्यायालय में लंबित प्रकरण को खारिज किया जाए. सीबीआई की तरफ से तर्क दिया गया कि दो बार विभाग द्वारा अभियोजन की अनुमति नहीं मिलने पर साक्ष्यों के साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिखा गया था. सीवीसी के हस्तक्षेप के बाद अभियोजन की अनुमति प्राप्त हुई है. इस प्रकार याचिका को खारिज कर दिया गया.

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू व जस्टिस विजय सराफ की युगलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गलत तरीके से अभियोजन की अनुमति देने से इनकार करके दोषी का बचाव नहीं करे. विभाग द्वारा अभियोजन की मंजूरी देने से इनकार करना कानून की नजर में गलत है. युगलपीठ ने यह सख्त टिप्पणी विभाग द्वारा दो बार अभियोजन स्वीकृति की मंजूरी नहीं किये के मामले में दी गई.

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Last Updated : Feb 16, 2024, 1:40 PM IST
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