भोपाल। "सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं करती है, पिछले 20 सालों में सबसे छोटा बजट सत्र (2024-25) था. इस बजट सत्र का उद्देश्य था कि विभागवार समीक्षा की जाए और जो घोटाले हुए हैं उनको जनता के सामने लाया जाए. लेकिन सरकार बजट पर चर्चा से बचना चाहती है." ये बातें मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में कही.
विधानसभा सत्र को 5 दिन में किया समाप्त
कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि "मुझे इस बात की खुशी है कि मेरे विधायकों ने मेरे नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में सदन में नर्सिंग घोटाला और नल-जल योजना में घोटाला को उठाया. जिस तरह से बजट की चर्चा में सरकार की कलई खोली और आक्रमक रुख अपनाया वह तारीफ के काबिल था. लेकिन ऐसा क्या हो गया कि अपने बजट पर सरकार ने विभागवार चर्चा नहीं कराई और 19 दिन के लिए प्रस्तावित विधानसभा सत्र को 5 दिनों में ही समाप्त कर दिया."
मीडिया की सुर्खियां बदली
जीतू पटवारी ने कहा कि "पहले जब बजट आता था तो मीडिया की सुर्खियां होती थी कि जनता को क्या राहत मिली, कितने लोगों को रोजगार मिला, कृषि क्षेत्र में क्या फायदा हुआ और आम जनता को क्या लाभ हुआ. इस तरह बजट से कई तरह की पॉजिटिव खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती थीं. लेकिन इस बार मीडिया की सुर्खियां बदल गई और खबर बनी कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति कर्ज ₹60000 हो गया है. अब सरकार को और कर्ज लेना पड़ रहा है. मध्य प्रदेश सरकार इस बार पिछले बजट का 64% रकम खर्च की थी, 36% बजट खर्च ही नहीं किया गया."