भोपाल। कांग्रेस ने लंबे विचार मंथन के बाद आखिरकार बाकी बची तीन सीटों पर भी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. ग्वालियर से तय माने जा रहे प्रवीण पाठक पर पार्टी ने भरोसा जताया है, तो मुरैना से सत्यपाल सिंह सिकरवार को उम्मीदवार बनाया है. जबकि, खंडवा सीट से नरेन्द्र पटेल को टिकट मिला है. हांलाकि, कांग्रेस ने उम्मीदवारों के ऐलान में ज्यादा समय गंवा दिया बावजूद इसके माना जा रहा है कि मुरैना और ग्वालियर में बीजेपी के चुनौती बनेंगे ये उम्मीदवार. उधर, बीजेपी की आशंका है कि इन तीन सीटों के एलान के बाद अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की गुटबाजी पार्टी में और तेजी से बढ़ेगी.
कांग्रेस उम्मीदवार देर आए पर दुरुस्त आए क्या ?
ग्वालियर मुरैना में पार्टी ने काफी देरी से उम्मीदवार घोषित किए, लेकिन देरी से एलान के बावजूद मुरैना और ग्वालियर सीट पर दोनों ही उम्मीदवार बीजेपी को चुनौती दे सकते हैं. वजह ये भी है कि ये दोनों ही सीटें पार्टी की बेहद मजबूत सीटों में अब नहीं गिनी जाती हैं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं "मेरा जो इस क्षेत्र को लेकर आंकलन है...और जनमत मैंने देखा है नतीजे जिसके गवाह हैं. 2018 का विधानसभा चुनाव फिर 2020 का उपचुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के पक्ष में परिणाम संतोषजनक नहीं थे. तो खतरा कांग्रेस से ज्यादा उन भाजपाईयों का रहेगा जो बीजेपी का पट्टा डालके कांग्रेस के लिए काम करेंगे. उधर, ग्वालियर में पिछली सरकार के मंत्री भारत सिंह कुशवाहा पर बीजेपी ने भरोसा जताया जो विधानसभा चुनाव में पराजित हुए. प्रवीण पाठक की कार्यशैली को पार्टी से अलग हटकर देखें तो वे सर्वसुलभ नेता हैं. नतीजे इसकी गवाही भी देते हैं."
तीन नामों के साथ कांग्रेस की गुटबाजी सामने आई
बीजेपी प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने आरोप लगाया है कि एमपी में कांग्रेस के बाकी बचे तीन नामों के घोषित होने के साथ ही उमंग सिंगार और जीतू पटवारी की गुटबाजी भी सतह पर आ गई. ये सूची बता रही है कि उमंग सिंगार की नाराजगी रंग लाई. जीतू पटवारी को कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने तगड़ा झटका दिया है क्यों कि मुरैना में पटवारी के खास समर्थक पंकज उपाध्याय को और ग्वालियर में रामसेवक गुर्जर का टिकट काटकर उमंग सिंगार के बढ़ाए नामों पर मुहर लगाई गई है. इसी तरह से खंडवा में पटवारी अरुण यादव की पैरवी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने नरेन्द्र पटेल को टिकट दे दिया. नरेन्द्र सलूजा का सियासी पूर्वानुमान है कि अब उमंग सिंगार अज्ञातवास से लौटेंगे और पटवारी जल्द ही चुनावी सीन से गायब हो जाएंगे.