भोपाल। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की अब तक की सबसे बुरी हार के बाद अब पार्टी संगठन को मजबूत करने के साथ दगाबाज नेताओं को सबक सिखाने की तैयारी कर रही है. इसकी शुरूआत आगामी विधानसभा सत्र से पार्टी करने जा रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया. इन नेताओं में कांग्रेस के दो विधायक रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे भी शामिल हैं, लेकिन अब तक दोनों नेताओं ने विधानसभा से अपना इस्तीफा नहीं दिया है. उधर कांग्रेस ने अब तय किया है कि इन दोनों नेताओं को विधानसभा में कांग्रेस नेताओं के बीच नहीं बैठाया जाएगा.
चुनावी सभा में शामिल हुए थे दोनों नेता
विजयपुर के दिग्गज कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने 30 अप्रैल को श्योपुर में आयोजित बीजेपी की चुनावी सभा के दौरान बीजेपी का दामन थाम लिया था. वे 6 बार से इस सीट से विधायक रहे थे. लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस से मुरैना लोकसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनके स्थान पर सत्यपाल सिंह को मैदान में उतार दिया था. इसी तरह सागर जिला से कांग्रेस की एक मात्र विधायक निर्मला सप्रे भी 5 मई को राहतगढ़ में हुई चुनावी सभा में बीजेपी में शामिल हो गई थीं. दोनों कांग्रेस विधायकों ने पार्टी तो छोड दी, लेकिन विधानसभा की सदस्यता से अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है. कांग्रेस छोड़ने वाले तीसरे विधायक कमलेश शाह थे, जो विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. विधानसभा का मानसून सत्र 1 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. कांग्रेस ने तय किया है कि पार्टी इन दोनों बागी विधायकों को अपने खेमे में नहीं बैठने देगी.
अभी तक विधानसभा में नहीं दी सूचना
उधर कांग्रेस का कहना है कि 'दोनों ही दलबदलू नेताओं में इस्तीफा देने की हिम्मत नहीं है. हमें भी इंतजार है कि वे विधानसभा की सदस्यता से अपना इस्तीफा दें. उधर कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले दोनों विधायकों को पूरे सबूतों के साथ विधानसभा स्पीकर से शिकायत करने जा रही है. कांग्रेस मांग करेगी कि दोनों की सदस्यता रद्द की जाए. जब तक उनकी सदस्यता रद्द नहीं की जाएगी, पार्टी उन्हें अपने खेमे में नहीं बैठाएगी. कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक के मुताबिक 'नैतिकता, नियम और प्रक्रिया के तहत उन्हें अपनी सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए.'