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यूपी-बिहार की यादव बाहुल्य सीटों का रिजल्ट एमपी के लिए अहम क्यों, कैसा रहेगा सीएम मोहन यादव के आगे का सफर! - MOHAN YADAV IMPACT UP AND BIHAR

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 30, 2024, 2:34 PM IST

Updated : May 30, 2024, 2:43 PM IST

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने यूपी व बिहार की लोकसभा सीटों पर यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पूरा जोर लगाया. उनकी सभाओं व रोड शो का इन दोनों राज्यों पर कितना असर पड़ा ? यूपी व बिहार के यादव वोट बैंक में कितनी सेंध लगाने में मोहन यादव सफल हुए ? इन दोनों राज्यों की यादव बाहुल्य सीटों के परिणामों का मोहन यादव पर कितना असर पड़ेगा? इसी का विश्लेषण करती ये रिपोर्ट ...

MOHAN YADAV IMPACT UP AND BIHAR
यूपी की यादव बाहुल्य सीटों पर सीएम मोहन यादव ने लगायाजोर (ETV BHARAT)

भोपाल। लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण का मतदान 01 जून को होने जा रहा है. अंतिम व सातवें चरण में देश की बची 57 सीटों पर चुनाव है. ये सीटें यूपी, बिहार, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की हैं. उत्तर प्रदेश की 13 सीटों के साथ ही बिहार की 8 सीटों पर कब्जा करने के लिए बीजेपी ने अपने सारे घोड़े दौड़ा दिए. यूपी की पूर्वांचल की इन 13 सीटों के साथ ही बिहार की 8 सीटों पर इस बार मुकाबला बहुत टाइट है. बिहार व यूपी की बची सीटों पर यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को लगाया गया है. मोहन यादव ने इन सीटों पर पूरा जोर लगा दिया है.

यूपी की बची 13 सीटों पर बीजेपी ने लगाया पूरा जोर

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 01 जून को उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर मतदान होना है. ये सीटें हैं वाराणसी, गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज. खास बात ये है कि ये सभी सीटें यूपी के पूर्वांचल में पड़ती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन 13 में से 9 सीटों पर कब्जा किया था. इसके अलावा 2 सीटें बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) ने जीती थीं. बची दो सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की थी. बीएसपी ने गाजीपुर और घोसी सीट पर कब्जा जमाया था. इस बार बीएसपी काफी कमजोर दिख रही है तो समाजवादी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन है. ऐसे में मुकाबला आमने-सामने का है. हालांकि इन सभी सीटों पर बीजेपी मजबूत स्थिति में रही है लेकिन इस बार माहौल कुछ बदला नजर आ रहा है.

यूपी व बिहार की सीटों पर यादव वोट बैंक अहम

यूपी की जिन 13 सीटों और बिहार की जिन 8 सीटों पर 01 जून को मतदान होने जा रहा है. उनमें यादव वोट बैंक 8 से लेकर 10 परसेंट तक है. ये वोट बैंक मूल रूप से समाजवादी पार्टी व आरजेडी को जाता है. इसी को देखते हुए बीजेपी ने एमपी के सीएम मोहन यादव की यहां सभाएं कराई हैं. मोहन यादव ने भी यादव वोट बैंक को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. मोहन यादव ने यहां के स्थानीय यादव नेताओं से व्यक्तिगत मुलाकात करके उन्हें बीजेपी का साथ देने के लिए प्रेरित किया. इसके अलावा मोहन यादव ने बिहार की सीटों पर मोर्चा संभाला. बिहार का यादव वोट बैंक भी राजद का माना जाता है. अंतिम चरण में बिहार की राजधानी पटना की दो लोकसभा सीट पटना साहिब, पाटलिपुत्र के अलावा नालंदा, जहानाबाद, भोजपुर, बक्सर, सासाराम और काराकाट लोकसभा क्षेत्र में 01 जून को वोटिंग होनी है. ये सीटें बीजेपी के लिए काफी कठिन मानी जा रही हैं. इसी के मद्देनजर बिहार के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव ने पूरा जोर लगाया है.

यूपी की 10 सीटों पर मोहन यादव की सभाएं

गौरतलब है कि यूपी की 25 लोकसभा सीटों पर यादव वोट बैंक चुनाव को प्रभावित करता है. इनमें 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां यादव वोटर्स चुनाव नतीजे को सीधेतौर पर प्रभावित करते हैं. इसलिए इन सभी 10 सीटों पर सीएम मोहन यादव ने खूब पसीना बहाया. खास बात ये है कि समाजवाजी पार्टी के मुखिया अखिलेश इस बार कन्नौज से चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से. इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी काफी मजबूत मानी जा रही है. यहां यादव वोट बैंक बहुत बड़ा है. इसी को देखते हुए मोहन यादव को बीजेपी ने यहां प्रचार के लिए भेजा. मोहन यादव ने अखिलेश यादव पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर घेरा. यूपी की आजमगढ़ सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. यहां यादव व मुसलमान मिलकर बीजेपी को हराते हैं. इसलिए यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव ने आजमगढ़ में भी हुंकार भरी.

बीजेपी ने पहले ही इरादे साफ कर दिए थे

राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार केडी शर्मा कहते हैं "मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के पीछे पीएम मोदी की मंशा साफ थी. मोहन यादव को सीएम बनाकर ओबीसी वोट बैंक खासकर यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की प्लानिंग बीजेपी ने की थी. इसलिए सीएम पद की शपथ लेने के दो माह बाद ही मोहन यादव ने यूपी के दौरे शुरू कर दिए थे. यूपी में यादव महासभा की तरफ से सभाएं शुरू कराई गईं. यूपी पर फोकस करने के बाद मोहन यादव को योजना के मुताबिक बिहार में लगाया गया. ये तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि मोहन यादव बिहार व यूपी में यादव वोट बैंक में कितनी सेंध लगा पाए."

चुनाव परिणाम के बाद होगी असर की समीक्षा

केडी शर्मा का कहना है "मुझे नहीं लगता कि मोहन यादव कोई ज्यादा फर्क डाल पाएंगे. क्योंकि यूपी के यादव वोट बैंक में समाजवादी की जड़ें गहरी हैं. यूपी का यादव अखिलेश यादव को ही अपना नेता मानता है. इसी प्रकार बिहार में भी मुझे नहीं लगता कि मोहन यादव कुछ असर डाल पाएंगे, क्योंकि बिहार के यादव अपना नेता लालू यादव को मानते हैं. हालांकि इस बात को बीजेपी के नेता भी समझते हैं. लेकिन बीजेपी को लगता है कि चूंकि इस बार मुकाबला बहुत कांटे का है और अगर मोहन यादव एक से दो परसेंट यादव वोट बैक भी बीजेपी की तरफ खींच लेते हैं तो ये उसके लिए लाभदायक साबित होगा."

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यादव बाहुल्य सीटों के रिजल्ट के बाद होगा केलकुलेशन

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार योगी योगीराज का कहना है "डॉ. मोहन यादव को एमपी का सीएम बनाने के पीछे पीएम मोदी की मंशा उनका लोकसभा चुनाव में लाभ लेना था. इसीलिए मुख्यमंत्री बनने के कुछ दिनों बाद ही मोहन यादव की बीजेपी ने यूपी में सभाएं करानी शुरू करवाई थी. यूपी के विभिन्न यादव संगठनों से नजदीकी बढ़ाने की जिम्मेदारी मोहन यादव को दी गई. यूपी के साथ ही बिहार के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव को भेजा गया. इन दोनों राज्यों खासकर यूपी में मोहन यादव ने कई सभाएं भी की. इसका कितना असर हुआ ये तो इन यादव बाहुल्य सीटों के रिजल्ट आने और इनका विश्लेषण करने के बाद पता चलेगा लेकिन प्रारंभिक तौर मुझे नहीं लगता कि यूपी का यादव अखिलेश यादव और बिहार का यादव वोट बैंक लालू यादव का साथ छोड़ेगा."

भोपाल। लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण का मतदान 01 जून को होने जा रहा है. अंतिम व सातवें चरण में देश की बची 57 सीटों पर चुनाव है. ये सीटें यूपी, बिहार, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की हैं. उत्तर प्रदेश की 13 सीटों के साथ ही बिहार की 8 सीटों पर कब्जा करने के लिए बीजेपी ने अपने सारे घोड़े दौड़ा दिए. यूपी की पूर्वांचल की इन 13 सीटों के साथ ही बिहार की 8 सीटों पर इस बार मुकाबला बहुत टाइट है. बिहार व यूपी की बची सीटों पर यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को लगाया गया है. मोहन यादव ने इन सीटों पर पूरा जोर लगा दिया है.

यूपी की बची 13 सीटों पर बीजेपी ने लगाया पूरा जोर

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 01 जून को उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर मतदान होना है. ये सीटें हैं वाराणसी, गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज. खास बात ये है कि ये सभी सीटें यूपी के पूर्वांचल में पड़ती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन 13 में से 9 सीटों पर कब्जा किया था. इसके अलावा 2 सीटें बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) ने जीती थीं. बची दो सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की थी. बीएसपी ने गाजीपुर और घोसी सीट पर कब्जा जमाया था. इस बार बीएसपी काफी कमजोर दिख रही है तो समाजवादी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन है. ऐसे में मुकाबला आमने-सामने का है. हालांकि इन सभी सीटों पर बीजेपी मजबूत स्थिति में रही है लेकिन इस बार माहौल कुछ बदला नजर आ रहा है.

यूपी व बिहार की सीटों पर यादव वोट बैंक अहम

यूपी की जिन 13 सीटों और बिहार की जिन 8 सीटों पर 01 जून को मतदान होने जा रहा है. उनमें यादव वोट बैंक 8 से लेकर 10 परसेंट तक है. ये वोट बैंक मूल रूप से समाजवादी पार्टी व आरजेडी को जाता है. इसी को देखते हुए बीजेपी ने एमपी के सीएम मोहन यादव की यहां सभाएं कराई हैं. मोहन यादव ने भी यादव वोट बैंक को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. मोहन यादव ने यहां के स्थानीय यादव नेताओं से व्यक्तिगत मुलाकात करके उन्हें बीजेपी का साथ देने के लिए प्रेरित किया. इसके अलावा मोहन यादव ने बिहार की सीटों पर मोर्चा संभाला. बिहार का यादव वोट बैंक भी राजद का माना जाता है. अंतिम चरण में बिहार की राजधानी पटना की दो लोकसभा सीट पटना साहिब, पाटलिपुत्र के अलावा नालंदा, जहानाबाद, भोजपुर, बक्सर, सासाराम और काराकाट लोकसभा क्षेत्र में 01 जून को वोटिंग होनी है. ये सीटें बीजेपी के लिए काफी कठिन मानी जा रही हैं. इसी के मद्देनजर बिहार के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव ने पूरा जोर लगाया है.

यूपी की 10 सीटों पर मोहन यादव की सभाएं

गौरतलब है कि यूपी की 25 लोकसभा सीटों पर यादव वोट बैंक चुनाव को प्रभावित करता है. इनमें 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां यादव वोटर्स चुनाव नतीजे को सीधेतौर पर प्रभावित करते हैं. इसलिए इन सभी 10 सीटों पर सीएम मोहन यादव ने खूब पसीना बहाया. खास बात ये है कि समाजवाजी पार्टी के मुखिया अखिलेश इस बार कन्नौज से चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से. इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी काफी मजबूत मानी जा रही है. यहां यादव वोट बैंक बहुत बड़ा है. इसी को देखते हुए मोहन यादव को बीजेपी ने यहां प्रचार के लिए भेजा. मोहन यादव ने अखिलेश यादव पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर घेरा. यूपी की आजमगढ़ सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. यहां यादव व मुसलमान मिलकर बीजेपी को हराते हैं. इसलिए यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव ने आजमगढ़ में भी हुंकार भरी.

बीजेपी ने पहले ही इरादे साफ कर दिए थे

राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार केडी शर्मा कहते हैं "मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के पीछे पीएम मोदी की मंशा साफ थी. मोहन यादव को सीएम बनाकर ओबीसी वोट बैंक खासकर यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की प्लानिंग बीजेपी ने की थी. इसलिए सीएम पद की शपथ लेने के दो माह बाद ही मोहन यादव ने यूपी के दौरे शुरू कर दिए थे. यूपी में यादव महासभा की तरफ से सभाएं शुरू कराई गईं. यूपी पर फोकस करने के बाद मोहन यादव को योजना के मुताबिक बिहार में लगाया गया. ये तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि मोहन यादव बिहार व यूपी में यादव वोट बैंक में कितनी सेंध लगा पाए."

चुनाव परिणाम के बाद होगी असर की समीक्षा

केडी शर्मा का कहना है "मुझे नहीं लगता कि मोहन यादव कोई ज्यादा फर्क डाल पाएंगे. क्योंकि यूपी के यादव वोट बैंक में समाजवादी की जड़ें गहरी हैं. यूपी का यादव अखिलेश यादव को ही अपना नेता मानता है. इसी प्रकार बिहार में भी मुझे नहीं लगता कि मोहन यादव कुछ असर डाल पाएंगे, क्योंकि बिहार के यादव अपना नेता लालू यादव को मानते हैं. हालांकि इस बात को बीजेपी के नेता भी समझते हैं. लेकिन बीजेपी को लगता है कि चूंकि इस बार मुकाबला बहुत कांटे का है और अगर मोहन यादव एक से दो परसेंट यादव वोट बैक भी बीजेपी की तरफ खींच लेते हैं तो ये उसके लिए लाभदायक साबित होगा."

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यादव बाहुल्य सीटों के रिजल्ट के बाद होगा केलकुलेशन

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार योगी योगीराज का कहना है "डॉ. मोहन यादव को एमपी का सीएम बनाने के पीछे पीएम मोदी की मंशा उनका लोकसभा चुनाव में लाभ लेना था. इसीलिए मुख्यमंत्री बनने के कुछ दिनों बाद ही मोहन यादव की बीजेपी ने यूपी में सभाएं करानी शुरू करवाई थी. यूपी के विभिन्न यादव संगठनों से नजदीकी बढ़ाने की जिम्मेदारी मोहन यादव को दी गई. यूपी के साथ ही बिहार के यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए मोहन यादव को भेजा गया. इन दोनों राज्यों खासकर यूपी में मोहन यादव ने कई सभाएं भी की. इसका कितना असर हुआ ये तो इन यादव बाहुल्य सीटों के रिजल्ट आने और इनका विश्लेषण करने के बाद पता चलेगा लेकिन प्रारंभिक तौर मुझे नहीं लगता कि यूपी का यादव अखिलेश यादव और बिहार का यादव वोट बैंक लालू यादव का साथ छोड़ेगा."

Last Updated : May 30, 2024, 2:43 PM IST
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