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कैग की रिपोर्ट पर गरमाई सियासत, विभागों की गड़बड़ियों का मुद्दा भुनाने की तैयारी में विपक्ष, बीजेपी बैकफुट पर

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 10, 2024, 6:46 AM IST

MP CAG report vidhansabha : कैग की रिपोर्ट के सहारे विपक्ष फ्रंटफुट पर आकर सरकार को घेरने की तैयारी में है. उधर सत्ता पक्ष बैकफुट पर नजर आ रहा है.

MP CAG report vidhansabha
कैग की रिपोर्ट पर गरमाई सियासत
कैग की रिपोर्ट पर गरमाई सियासत

भोपाल. मप्र में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानि कैग (CAG) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सीएजी ने अपनी 2021 की रिपोर्ट जारी करते हुए मप्र के कई सरकारी विभागों में भारी वित्तीय अनियमितता के आंकड़े जारी किए हैं. CAG की रिपोर्ट के सहारे जहां एक ओर विपक्ष मोहन यादव सरकार को घेर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर सरकार के मंत्री और विधायक इस रिपोर्ट को ही सिरे से खारिज कर रहे हैं.

सामने आईं विभागों की गड़बड़ियां

मप्र विधानसभा (mp vidhansabha) के बजट सत्र में राज्यपाल ने सीएजी की सालाना रिपोर्ट पेश की तो मप्र के सरकारी विभागों में चल रही गड़बड़ी, अनियमितताएं और नियम विरुद्ध फैसले लेने का खेल भी सामने आ गया. सीएजी की रिपोर्ट में PWD, फॉरेस्ट, पर्यावरण और उद्योग विभाग में भारी गड़बड़ियां सामने आईं, जिससे सरकार को हुए नुकसान के बारे में भी बताया गया.

विपक्ष ने सरकार पर लगाए ये आरोप

कैग की इसी रिपोर्ट को हथियार बनाकर विपक्ष मध्यप्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोल रहा है. विपक्ष का आरोप है कि मप्र के सभी विभागों में ऐसे घोटाले हो रहे हैं और अफसर सरकार के दबाव में बेधड़क घोटाले कर रहे हैं. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विभागों की गड़बड़यों का मुद्दा भुनाने की तैयारी में है.

CAG क्या है? यह कैसे काम करता है?

CAG यानी Comptroller And Auditor General Of India एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है. कैग के प्रमुख की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और यह देशभर के राज्यों और केन्द्रीय विभागों की ऑडिट रिपोर्ट का अध्ययन कर वास्तविकता से उसका मिलान करती है. निष्कर्षों के साथ वास्तविक रिपोर्ट के आंकड़े जारी करके इससे विभागों की परफॉर्मेंस, खामियां और गड़बड़ियों का भी पता चलता है. कैग संबंधित मंत्रालयों, विभागों में अपनी आंतरिक लेखा परीक्षा इकाइयों के जरिए यह रिपोर्ट तैयार कर राज्यपाल (governor) को सौंपता है. राज्यपाल इस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखते हैं.

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इसी रिपाेर्ट के आधार पर बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा था

बता दें कि सीएजी की ऐसी ही रिपोर्ट को आधार बनाकर बीजेपी ने 2010 से 2014 के बीच केंद्र की मनमोहन सरकार पर कोयला, स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ गेम जैसे 7 बड़े घोटाले के आरोप लगाए थे. लेकिन अब मध्यप्रदेश सरकार पर आई कैग रिपोर्ट को कुछ विधायक सिरे से नकार रहे हैं. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कैग की यह रिपोर्ट मप्र की सियासत में क्या उठा पटक मचाएगी, ये देखना काफी दिलचस्प होगा.

कैग की रिपोर्ट पर गरमाई सियासत

भोपाल. मप्र में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानि कैग (CAG) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सीएजी ने अपनी 2021 की रिपोर्ट जारी करते हुए मप्र के कई सरकारी विभागों में भारी वित्तीय अनियमितता के आंकड़े जारी किए हैं. CAG की रिपोर्ट के सहारे जहां एक ओर विपक्ष मोहन यादव सरकार को घेर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर सरकार के मंत्री और विधायक इस रिपोर्ट को ही सिरे से खारिज कर रहे हैं.

सामने आईं विभागों की गड़बड़ियां

मप्र विधानसभा (mp vidhansabha) के बजट सत्र में राज्यपाल ने सीएजी की सालाना रिपोर्ट पेश की तो मप्र के सरकारी विभागों में चल रही गड़बड़ी, अनियमितताएं और नियम विरुद्ध फैसले लेने का खेल भी सामने आ गया. सीएजी की रिपोर्ट में PWD, फॉरेस्ट, पर्यावरण और उद्योग विभाग में भारी गड़बड़ियां सामने आईं, जिससे सरकार को हुए नुकसान के बारे में भी बताया गया.

विपक्ष ने सरकार पर लगाए ये आरोप

कैग की इसी रिपोर्ट को हथियार बनाकर विपक्ष मध्यप्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोल रहा है. विपक्ष का आरोप है कि मप्र के सभी विभागों में ऐसे घोटाले हो रहे हैं और अफसर सरकार के दबाव में बेधड़क घोटाले कर रहे हैं. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विभागों की गड़बड़यों का मुद्दा भुनाने की तैयारी में है.

CAG क्या है? यह कैसे काम करता है?

CAG यानी Comptroller And Auditor General Of India एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है. कैग के प्रमुख की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और यह देशभर के राज्यों और केन्द्रीय विभागों की ऑडिट रिपोर्ट का अध्ययन कर वास्तविकता से उसका मिलान करती है. निष्कर्षों के साथ वास्तविक रिपोर्ट के आंकड़े जारी करके इससे विभागों की परफॉर्मेंस, खामियां और गड़बड़ियों का भी पता चलता है. कैग संबंधित मंत्रालयों, विभागों में अपनी आंतरिक लेखा परीक्षा इकाइयों के जरिए यह रिपोर्ट तैयार कर राज्यपाल (governor) को सौंपता है. राज्यपाल इस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखते हैं.

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बता दें कि सीएजी की ऐसी ही रिपोर्ट को आधार बनाकर बीजेपी ने 2010 से 2014 के बीच केंद्र की मनमोहन सरकार पर कोयला, स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ गेम जैसे 7 बड़े घोटाले के आरोप लगाए थे. लेकिन अब मध्यप्रदेश सरकार पर आई कैग रिपोर्ट को कुछ विधायक सिरे से नकार रहे हैं. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कैग की यह रिपोर्ट मप्र की सियासत में क्या उठा पटक मचाएगी, ये देखना काफी दिलचस्प होगा.

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