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मध्य प्रदेश में बीजेपी जिलाध्यक्ष की लिस्ट में फंसा पेंच, दिग्गजों में होड़, अटका प्रदेश अध्यक्ष का भी चुनाव - MP BJP DISTRICT PRESIDENT ELECTION

मध्य प्रदेश में बीजेपी अभी तक जिला अध्यक्षों के नाम तय नहीं कर पाई है.लिहाजा नेताओं को इस मामले को अब दिल्ली ले जाना पड़ा.

MP BJP DISTRICT PRESIDENT ELECTION
मध्य प्रदेश में बीजेपी जिलाध्यक्ष की लिस्ट में फंसा पेंच (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 17 hours ago

भोपाल: मध्य प्रदेश में बीजेपी जिलाध्यक्षों में पेंच फंस जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष का चनाव भी अटक गया है. देश में आदर्श संगठन वाले मध्य प्रदेश में संगठन के इतिहास का संभवत ये पहला मौका होगा कि जब जिलाध्यक्ष के चुनाव में प्रदेश नेतृत्व को पसीने छूटे और मामला दिल्ली दरबार तक ले जाना पड़ा है. सबसे ज्यादा खींचतान बड़े जिलों में हैं. जहां दिग्गजों के दबाव में एक नाम पर सहमति नहीं बन रही है. इसी की वजह से 5 जनवरी तक घोषित हो जाने वाली जिलाध्यक्षों की सूची तो अटकी है, इसकी वजह से प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी आगे खिच गया है.

असल में 50 फीसदी जिला अध्यक्षों की घोषणा हो जाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी. जिलाध्यक्ष के नाम को लेकर सबसे ज्यादा खींचतान ग्वालियर चंबल के इलाके में है. जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद बीजेपी में खेमे बढ़ गए हैं.

जिलों से चली जिला अध्यक्षों की सूची कहां अटकी

जिलों के पर्यवेक्षकों का फीडबैक लिए हुए भी तीन दिन से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन बीजेपी में जिला अध्यक्षों की सूची घोषणा की स्थिति में नहीं आ पा रही. हालात ये बन गए कि जब प्रदेश का नेतृत्व उलझी हुई जिला इकाइयों की गुत्थी सुलझाने में नाकाम रहा, तो सूची समेत नेताओं को दिल्ली पहुंचना पड़ा. माना जा रहा है कि अब दिल्ली से फाइनल होकर सूची बाहर आएगी. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दिल्ली रवाना हुए हैं.

POLITICS ON BJP DISTRICT PRESIDENT
बीजेपी में जिला अध्यक्ष चुनाव को लेकर बैठक (ETV Bharat)

माना जा रहा है कि अब दिल्ली से ही सारे विवाद सुलझाने के बाद सूची जारी होगी. प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि "बीजेपी देश का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है. पूरी प्रक्रिया के साथ पारदर्शिता के साथ पार्टी में चुनाव प्रक्रिया चल ही है. लोकतांत्रिक तरीके से संगठन के चुनाव हो रहे हैं. जब सूची तैयार हो हो जाएगी. नए जिला अध्यक्ष के नाम के साथ ये घोषित कर दी जाएगी."

ग्वालियर चंबल में सबसे ज्यादा दंगल, क्या सिंधिया इफेक्ट?

इन जिला अध्यक्षों की नियुक्त से जुड़े विवादों की बात करें तो ग्वालियर चंबल के इलाके में सबसे ज्यादा घमासान है. उसके बाद बुंदेलखंड की बारी आती है. ग्वालियर चंबल में ग्वालियर ग्रामीण, शिवपुरी, अशोकनगर और भिंड में नाम को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है. यहां तोमर खेमा और सिंधिया खेमा तो है ही, इसके अलावा विवेक शेजवलकर के भी समर्थक हैं.

इसी तरह से बुंदेलखंड में गोविंद सिंह राजपूत, गोपाल भार्गव से लेकर भूपेन्द्र सिंह जैसे दिग्गजों में जिला अध्यक्ष के पद के लिए अपने अपने समर्थकों को बिठाने घमासान मचा हुआ है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, "बीजेपी में जिला अध्यक्ष पद के लिए जो घमासान है, उसे आप सत्ता के साइड इफेक्ट की तरह देखिए. असल में जिलाध्यक्ष का जो रुतबा है, वो पार्टी में किसी विधायक से कम नहीं है. लिहाजा आप मानकर चलिए कि अलग-अलग इलाकों के इलाके के नेता ये चाहेंगे कि उनकी पसंद की ही नियुक्ति इस पद पर हो सके. हालांकि आदर्श संगठन का दर्जा पाए मध्य प्रदेश में ऐसा लंबे समय बाद देखने को मिला है. आम तौर पर इस तरह की मारामारी टिकट के समय दिखाई देती है."

MP BJP President Election Stuck
नामों को लेकर फंसा पेंच (ETV Bharat)

कौन से जिले जहां सुलझ नहीं पा रही है सूची

मध्य प्रदेश में बीजेपी के संगठनात्मक जिले 60 से ज्यादा हैं. इनमें सबसे बड़ा हिस्सा ग्वालियर चंबल के जिलों का हैं. जिनमें ग्वालियर में ग्वालियर ग्रामीण के अलावा भिंड, शिवपुरी और अशोकनगर में घमासान है. राजधानी भोपाल भी उन्ही जिलों में से हैं. जहां बड़े नेताओं का दबाव है. जिलाध्यक्ष को लेकर. इसके अलावा ग्वालियर ग्रामीण में भी खींचतान. वहीं बुंदेलखंड के सागर के अलावा टीकमगढ़, छिंदवाड़ा, जबलपुर और भोपाल शहरी ग्रामीण के साथ-साथ नर्मदापुरम और सीहोर में भी जिलाध्यक्ष के नाम को लेकर आम राय नहीं बन पा रही है.

यहां शिवराज सिंह चौहान का दबदबा है. वहीं इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय और रीवा में डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल की पसंदीदा के नाम का दबाव है. हालांकि ग्वालियर इलाके में पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए विधायक शैलेन्द्र जैन कहते हैं, "किसी तरह की कोई खींचतान नहीं है, जल्द जिलाध्यक्षों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे."

कैसे होता है जिला अध्यक्ष का चुनाव क्यों बदली प्रक्रिया

बीजेपी में पहले जिला अध्यक्ष के निर्वाचन में बाकायदा मतों के आधार पर होता था. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि पूरी प्रक्रिया किस तरह से होती थी.

BJP DISTRICT PRESIDENT POLITICS
कैसे होता है जिला अध्यक्ष का चुनाव (ETV Bharat Info)

प्रक्रिया बदली, लेकिन निर्वाचन तो और लटक गया

पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुंदन शर्मा कहते हैं, तब निर्वाचन पध्दति को ये कहकर खत्म किया गया था कि इस तरह के चुनाव से गुटबाजी बढ़ती है. अभी उसके मुकाबले रायशुमारी में नाम केवल तीन लोगों को पता होते हैं. लेकिन तब जो चुनाव लड़ते थे तो उनके गुट आमने सामने आ जाते थे. और कहा गया कि इससे पार्टी के भीतर की जो सामंजस्य और सद्भाव है वो आहत होता है. लेकिन अब जब रायशुमारी से नाम चुने जा रहे हैं. जो ज्यादा आसान पध्दति है तब भी जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा में देरी हो रही है.

भोपाल: मध्य प्रदेश में बीजेपी जिलाध्यक्षों में पेंच फंस जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष का चनाव भी अटक गया है. देश में आदर्श संगठन वाले मध्य प्रदेश में संगठन के इतिहास का संभवत ये पहला मौका होगा कि जब जिलाध्यक्ष के चुनाव में प्रदेश नेतृत्व को पसीने छूटे और मामला दिल्ली दरबार तक ले जाना पड़ा है. सबसे ज्यादा खींचतान बड़े जिलों में हैं. जहां दिग्गजों के दबाव में एक नाम पर सहमति नहीं बन रही है. इसी की वजह से 5 जनवरी तक घोषित हो जाने वाली जिलाध्यक्षों की सूची तो अटकी है, इसकी वजह से प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी आगे खिच गया है.

असल में 50 फीसदी जिला अध्यक्षों की घोषणा हो जाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी. जिलाध्यक्ष के नाम को लेकर सबसे ज्यादा खींचतान ग्वालियर चंबल के इलाके में है. जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद बीजेपी में खेमे बढ़ गए हैं.

जिलों से चली जिला अध्यक्षों की सूची कहां अटकी

जिलों के पर्यवेक्षकों का फीडबैक लिए हुए भी तीन दिन से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन बीजेपी में जिला अध्यक्षों की सूची घोषणा की स्थिति में नहीं आ पा रही. हालात ये बन गए कि जब प्रदेश का नेतृत्व उलझी हुई जिला इकाइयों की गुत्थी सुलझाने में नाकाम रहा, तो सूची समेत नेताओं को दिल्ली पहुंचना पड़ा. माना जा रहा है कि अब दिल्ली से फाइनल होकर सूची बाहर आएगी. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दिल्ली रवाना हुए हैं.

POLITICS ON BJP DISTRICT PRESIDENT
बीजेपी में जिला अध्यक्ष चुनाव को लेकर बैठक (ETV Bharat)

माना जा रहा है कि अब दिल्ली से ही सारे विवाद सुलझाने के बाद सूची जारी होगी. प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि "बीजेपी देश का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है. पूरी प्रक्रिया के साथ पारदर्शिता के साथ पार्टी में चुनाव प्रक्रिया चल ही है. लोकतांत्रिक तरीके से संगठन के चुनाव हो रहे हैं. जब सूची तैयार हो हो जाएगी. नए जिला अध्यक्ष के नाम के साथ ये घोषित कर दी जाएगी."

ग्वालियर चंबल में सबसे ज्यादा दंगल, क्या सिंधिया इफेक्ट?

इन जिला अध्यक्षों की नियुक्त से जुड़े विवादों की बात करें तो ग्वालियर चंबल के इलाके में सबसे ज्यादा घमासान है. उसके बाद बुंदेलखंड की बारी आती है. ग्वालियर चंबल में ग्वालियर ग्रामीण, शिवपुरी, अशोकनगर और भिंड में नाम को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है. यहां तोमर खेमा और सिंधिया खेमा तो है ही, इसके अलावा विवेक शेजवलकर के भी समर्थक हैं.

इसी तरह से बुंदेलखंड में गोविंद सिंह राजपूत, गोपाल भार्गव से लेकर भूपेन्द्र सिंह जैसे दिग्गजों में जिला अध्यक्ष के पद के लिए अपने अपने समर्थकों को बिठाने घमासान मचा हुआ है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, "बीजेपी में जिला अध्यक्ष पद के लिए जो घमासान है, उसे आप सत्ता के साइड इफेक्ट की तरह देखिए. असल में जिलाध्यक्ष का जो रुतबा है, वो पार्टी में किसी विधायक से कम नहीं है. लिहाजा आप मानकर चलिए कि अलग-अलग इलाकों के इलाके के नेता ये चाहेंगे कि उनकी पसंद की ही नियुक्ति इस पद पर हो सके. हालांकि आदर्श संगठन का दर्जा पाए मध्य प्रदेश में ऐसा लंबे समय बाद देखने को मिला है. आम तौर पर इस तरह की मारामारी टिकट के समय दिखाई देती है."

MP BJP President Election Stuck
नामों को लेकर फंसा पेंच (ETV Bharat)

कौन से जिले जहां सुलझ नहीं पा रही है सूची

मध्य प्रदेश में बीजेपी के संगठनात्मक जिले 60 से ज्यादा हैं. इनमें सबसे बड़ा हिस्सा ग्वालियर चंबल के जिलों का हैं. जिनमें ग्वालियर में ग्वालियर ग्रामीण के अलावा भिंड, शिवपुरी और अशोकनगर में घमासान है. राजधानी भोपाल भी उन्ही जिलों में से हैं. जहां बड़े नेताओं का दबाव है. जिलाध्यक्ष को लेकर. इसके अलावा ग्वालियर ग्रामीण में भी खींचतान. वहीं बुंदेलखंड के सागर के अलावा टीकमगढ़, छिंदवाड़ा, जबलपुर और भोपाल शहरी ग्रामीण के साथ-साथ नर्मदापुरम और सीहोर में भी जिलाध्यक्ष के नाम को लेकर आम राय नहीं बन पा रही है.

यहां शिवराज सिंह चौहान का दबदबा है. वहीं इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय और रीवा में डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल की पसंदीदा के नाम का दबाव है. हालांकि ग्वालियर इलाके में पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए विधायक शैलेन्द्र जैन कहते हैं, "किसी तरह की कोई खींचतान नहीं है, जल्द जिलाध्यक्षों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे."

कैसे होता है जिला अध्यक्ष का चुनाव क्यों बदली प्रक्रिया

बीजेपी में पहले जिला अध्यक्ष के निर्वाचन में बाकायदा मतों के आधार पर होता था. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि पूरी प्रक्रिया किस तरह से होती थी.

BJP DISTRICT PRESIDENT POLITICS
कैसे होता है जिला अध्यक्ष का चुनाव (ETV Bharat Info)

प्रक्रिया बदली, लेकिन निर्वाचन तो और लटक गया

पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुंदन शर्मा कहते हैं, तब निर्वाचन पध्दति को ये कहकर खत्म किया गया था कि इस तरह के चुनाव से गुटबाजी बढ़ती है. अभी उसके मुकाबले रायशुमारी में नाम केवल तीन लोगों को पता होते हैं. लेकिन तब जो चुनाव लड़ते थे तो उनके गुट आमने सामने आ जाते थे. और कहा गया कि इससे पार्टी के भीतर की जो सामंजस्य और सद्भाव है वो आहत होता है. लेकिन अब जब रायशुमारी से नाम चुने जा रहे हैं. जो ज्यादा आसान पध्दति है तब भी जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा में देरी हो रही है.

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