कांकेर: कांकेर लोकसभा सांसद ने एक बार फिर अनोखा बयान दिया है. पखांजुर में आवास मेला में सांसद भोजराज नाग मुख्य अतिधि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुए थे. जहां उन्होंने मंच पर से बयान दिया कि नींबू काटकर भूत उतार दूंगा. सरकार की विकास कार्य में जो बाधा आ रही है उसे नींबू काटकर दूर कर दूंगा. चुनाव जीते 5 महीना हो गया है. जैसे ही 6 महीने हो जाएंगे वो फिर से भूत उतारना शुरू कर देंगे.पुरानी सरकार की मानसिकता वाले अधिकारियों को चेतावनी देते हुए भोजराज नाग ने कहा कि यदि वर्तमान सरकार के हिसाब से काम नही करेंगे तो उनका भूत उतार देंगे.
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान : इससे पहले भी सांसद भोजराज नाग अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. धरना प्रदर्शन के दौरान आक्रामक शैली में भी नजर आ चुके हैं. विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने अपर कलेक्टर और कलेक्टर पर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि मैं कई बार अधिकारियों का भूत उतारा हूं, जनप्रतिनिधि भी हूं, बैगा भी हूं. अधिकारियों का भूत उतार दूंगा. लोकसभा चुनाव में प्रचार के समय भी भोजराज नाग ने नींबू काट कर समस्या दूर करने की बात चुनावी सभा की थी. आपको बता दें कि कांकेर लोकसभा के सांसद भोजराज नाग जिन्हें क्षेत्र में लोग बैगा के नाम से भी जानते हैं. इस दौरान भोजराज नाग ने अधिकारियों को भी चेतावनी दी.
जल जीवन मिशन में लापरवाही बरती जा रही है.प्रधानमंत्री आवास योजना में भी गड़बड़ी कर रहे हैं.ऐसे अधिकारियों को मैं सचेत करना चाहता हूं.हमारी सरकार नर सेवा ही नारायण सेवा है इस भाव से काम कर रही है.लेकिन ऐसे लोग यदि इन कामों में बाधा पैदा करेंगे तो ऐसे लोगों का नींबू काटा जाएगा.- भोजराज नाग, सांसद
ईटीवी को बताया था बैगा होने का मतलब : सांसद भोजराज नाग ने ETV भारत को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि यहां जो परंपरा है देव आने का प्राचीन काल से आदिवासी समाज में है. मैं ही नहीं बस्तर समाज में लाखों लोग पूरे भारत देश में जो आदिवासी समाज के लोग हैं उसमें बैगा पुजारी की प्रथा है. निश्चित रूप से हम आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं, जिस प्रकार से बड़े-बड़े ऋषि मुनि और साधु संत आत्मसात हो जाते थे भगवान के ध्यान में मग्न हो जाते थे. एक प्रकार से भगवान से साक्षात्कार करते थे. उसी प्रकार से आदिवासी समाज का जो बैगा होता है वह देवी देवता से आत्मसात हो जाता है, डायरेक्ट उनके तार जुड़ जाते हैं, संबंध जुड़ जाता है. आपको बता दें कि ग्रामीण इलाके में बैगा स्थानीय पुजारी के तौर पर जाने जाते हैं.