भोपाल: मध्य प्रदेश में कुपोषण को खत्म करने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बच्चों के पोषण से लेकर स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन इसके बाद भी कुपोषण के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश की आंगनबाड़ियों में नामांकित बच्चों में से करीबन 12 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. इनमें राजधानी भोपाल में 12 हजार 199 बच्चे अंडरवेट पाए गए हैं. इसका खुलासा सरकार द्वारा विधानसभा में दिए गए एक सवाल के जवाब से हुआ है. उधर सरकार ने बताया है कि प्रदेश में 34 हजार 143 आंगनबाड़ियों के पास भवन ही नहीं है. जबकि 4 हजार 44 आंगनबाड़ी केन्द्र जर्जर हैं, जो निजी भवनों और सरकारी भवनों में चल रही हैं.
प्रदेश में 5.41 लाख बच्चे कुपोषित
मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाहा ने सरकार से नवजात शिशुओं में कुपोषण की स्थिति को समाप्त करने के किए जा रहे प्रयासों और कुपोषित बच्चों की संख्या के बारे में पूछा था. जवाब में सरकार ने बताया कि प्रदेश की आंगनबाड़ियों में 62 लाख 88 हजार 073 बच्चों का नामांकन कराया गया है, इसमें से 5 लाख 41 हजार 63 बच्चे कुपोषित हैं.
इसमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति प्रदेश के आदिवासी जिले धार, खरगोन की है. धार जिले की आंगनबाड़ियों में नामांकित 2 लाख 20 हजार 289 बच्चों में से 35 हजार 950 बच्चे अंडरवेट हैं.
प्रदेश में आंगनबाड़ी केन्द्रों के हाल बुरे
उधर सरकार द्वारा एक सवाल के जवाब में बताया गया कि प्रदेश की 34 हजार 143 आंगनबाड़ी केन्द्रों के पास भवन ही नहीं है. यह आंगनबाड़ी भवन विहीन है. इस मामले में सबसे बुरी स्थिति रीवा जिले की है. रीवा में 2393 आंगनबाड़ी केन्द्र भवन विहीन हैं. जबकि रीवा में अंडरवेट बच्चों की संख्या 9 हजार से ज्यादा है. मुख्यमंत्री के गृह जिले उज्जैन में 882 आंगनबाड़ी के पास भवन नहीं है, जबकि राजधानी भोपाल में भी ऐसे आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या 946 है. वहीं राजगढ़ में 1161, भिंड 1451, मुरैना 1606, खरगोन 1043, छतरपुर 1059, जबलपुर 1217, झाबुआ 1351 और बाकी जिलों में ऐसे भवनों की संख्या एक हजार से कम है.
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नए भवन बनाए जाने की रफ्तार बेहद धीमी
प्रदेश में भवन विहीन आंगनबाड़ी को लेकर सरकार कई बार भवन बनाने के दावे कर चुके हैं, लेकिन इसकी रफ्तार बेहद धीमी है. एक सवाल के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि प्रदेश में पिछले पांच सालां के दौरान 4320 आंगनबाड़ी भवनों को स्वीकृत किया गया है, लेकिन इसमें से 1399 भवन ही बन सके हैं. उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे आरोप लगाते हैं कि प्रदेश में आंगनबाड़ियों और बच्चों के लिए आने वाली राशि में भी जमकर बंटरबांट होती है, यही वजह है कि बच्चे कुपोषित और बीजेपी द्वारा पोषित ठेकेदार ओवरवेट हुए जा रहे हैं.