सागर। गर्मी के सीजन में मानो आसमान से आग बरस रही है. पूरे प्रदेश में तापमान 45 डिग्री के ऊपर जा रहा है. भयानक गर्मी से आम आदमी परेशान है. जंगल के जानवरों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर पानी की तलाश में जानवर भटकने को मजबूर हैं. जब जंगली जानवरों को जंगल में पानी नहीं मिलता है, तो आबादी की तरफ रूख करने लगते हैं. ऐसे में इंसानों को लिए खतरा बढ़ जाता है. साथ ही कई बार जंगली जानवरों इंसानों के गुस्से का शिकार हो जाते हैं. इन हालातों में प्रदेश के सबसे नए और सबसे बडे़ टाइगर रिजर्व में जानवरों के लिए पानी के खास इंतजाम किए गए हैं, क्योंकि तीन जिलों में फैले टाइगर रिजर्व में कई गांव अभी तक विस्थापित नहीं हुए और टाइगर रिजर्व के आसपास भी आबादी वाले गांव है. ऐसे में पानी की तलाश में बाघ या दूसरे वन्य प्राणी आबादी वाले इलाकों की तरफ ना चले जाएं. इसके लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं.
विशाल क्षेत्रफल वाला टाइगर रिजर्व फैला तीन जिलों में
नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य और रानी दुर्गावती अभ्यारण्य को मिलाकर बनाए गए मध्य प्रदेश के सातवें टाइगर रिजर्व की अधिसूचना सितंबर 2023 में जारी हुई थी. सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में फैले प्रदेश के सबसे बडे़ टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (नौरादेही) अस्तित्व में आया है. इसका कुल 2339 वर्ग किलोमीटर है. जिसमें 1414 वर्ग किमी कोर एरिया और 925.12 किमी का बफर एरिया है. इसके अलावा टाइगर रिजर्व के अंदर बसे 65 गांवों का विस्थापन हो गया है, लेकिन करीब 50 से ज्यादा गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया अभी भी जारी है. फिलहाल नौरादेही टाइगर रिजर्व में 18 बाघ हैं और पूरे टाइगर रिजर्व में इनके मूवमेंट की खबरें मिलती है. इसके अलावा कई और जानवर ऐसे हैं, जो अगर आबादी की तरफ रूख करते हैं, तो इंसानों को खतरा हो सकता है या फिर इंसान इनकी जान के दुश्मन बन सकते हैं.
टाइगर रिजर्व की लाइफलाइन है दो नदियां
विशाल क्षेत्रफल में पहले नौरादेही टाइगर रिजर्व की बात करें, तो प्राकृतिक रूप से टाइगर रिजर्व को दो नदियों की सौगात मिली है. जिनमें 12 महीने पर्याप्त पानी होता है. टाइगर रिजर्व में बामनेर और ब्यारमा नदियां हैं. जिनमें भीषण गर्मी के बावजूद भी पर्याप्त पानी है. इसके अलावा टाइगर रिजर्व दर्जन भर छोटे-बड़े तालाब भी हैं. हालांकि बड़े तालाब में गर्मी के मौसम में भी पानी रहता है, लेकिन छोटे तालाब अक्सर सूख जाते हैं. इन तालाबों को ऐसे स्थान पर तैयार किया गया है. जहां से नदियां दूर हैं या और कोई जल स्रोत नजदीक नहीं है.
जिन रेंजों में पानी की कमी वहां बनाए गए सौंसर
टाइगर रिजर्व में कल 6 रेंज हैं. इन 6 रेंज में जिन इलाकों में पानी के स्रोत ज्यादा दूरी पर है. उन इलाकों में बीच-बीच में टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा अलग-अलग प्रकार के सौंसर बनाए गए हैं. इन सौंसर में रोजाना टैंकर के माध्यम से पानी भर दिया जाता है. हर रेंज के लिए एक ट्रैक्टर का भी इंतजाम है और करीब 10 छोटे बड़े टैंकर रोजाना सभी सौसर को भरने का काम करते हैं. पूरे टाइगर रिजर्व में पानी के इंतजाम को लेकर उच्च अधिकारी मॉनिटरिंग भी करते हैं.
क्या कहना है प्रबंधन का
डाॅ ए ए अंसारी का कहना है कि 'निश्चित रूप से इस बार गर्मी काफी ज्यादा पड़ रही है. हमारे टाइगर रिजर्व में दो बड़ी नदियां बामनेर और ब्यारमा है. इन नदियों में हर जगह पर पानी है. इसके अलावा कुछ बडे़ तालाब हैं. जहां साल भर पानी रहता है. इसके अलावा जहां पानी कम है, वहां पर नए सौंसर बनाए गए हैं और पुराने सौंसर भी है. सौंसर में जो पानी भरने की प्रक्रिया है. उस व्यवस्था की हम सतत मॉनीटरिंग करते हैं. हमारे टाइगर रिजर्व में 6 रेंज है और हमारे पास सभी रेंज में एक एक टैंकर है. दिन भर में एक टैंकर चार सौंसर में पानी भर देता है, तो हम लोग लगातार सौंसर पर नजर रखते हैं कि कोई सौंसर खाली ना रहे और पानी साफ सुथरा रहे. इस वजह से कोई भी वन्य प्राणी पानी के चक्कर में रहवासी क्षेत्रों में नहीं गया है. ना कोई बाघ बाहर गया है. इस हिसाब से हमारा जलप्रबंधन काफी अच्छा है. टाइगर रिजर्व का बड़ा क्षेत्रफल देखते हुए भविष्य में हम और जल स्त्रोतों की व्यवस्था करेंगे.'