देहरादून/मसूरी/श्रीनगर: उत्तराखंड के नगर निगमों के सफाई कर्मचारी अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर चले गए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में क्रमिक अनशन ने कार्य बहिष्कार का रूप लिया तो प्रदेश के नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों में सफाई की व्यवस्था बिगड़ सकती है. उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संगठन के उपाध्यक्ष ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार उनकी 6 सूत्रीय मांग नहीं मानती तो प्रदेश भर की निकायों में सफाई व्यवस्था ठप कर दी जाएगी. जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
पौड़ी के श्रीनगर नगर निगम में गुरुवार से सफाई कर्मियों ने कर्मिक अनशन की शुरुआत की. कर्मी अपने कार्य निपटाने के बाद नगर निगम भवन के सम्मुख धरना दे रहे हैं. कर्मी ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. कर्मियों का कहना है कि सफाई कर्मियों का अक्सर जोखिम भरा काम रहता है. जिस कारण कर्मियों के अचानक मौत के मामले भी बढ़ रहे हैं. लेकिन सरकार मृतक के आश्रितों को भी नौकरी पर नहीं रख रही है. जिन सरकारी मकानों पर कर्मी रह रहे हैं, उनका मालिकाना हक भी कर्मियों को मिलना चाहिए.
सफाई कर्मी एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि सफाई कर्मी गुरुवार से पूरे प्रदेश भर की निकायों में अपना विरोध जता रहे हैं. कर्मियों की 6 सूत्रीय मांगें हैं. अगर ये मांगें नहीं मानी गई तो कर्मी अनिश्चितकाल के लिए कार्य बहिष्कार पर चले जाएंगे. जिससे प्रदेश की सफाई व्यवस्था ठप हो जाएगी. जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी.
क्रमिक अनशन पर बेठे सफाई कर्मी संजीव कुमार ने कहा कि ठेकेदार सफाई कर्मियों का शोषण कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ठेकेदार सफाई कर्मियों का 60 फीसदी से ज्यादा वेतन हड़प रहे हैं. इससे कर्मियों का शोषण हो रहा है. वहीं, नगर निगम श्रीनगर के सहायक नगर आयुक्त रविराज बंगारी ने बताया कि सफाई कर्मियों की मांगों को शासन स्तर तक भेज दिया गया है.
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