धमतरी: धमतरी के गांधी मैदान में सहकारी समितियों का आंदोलन शुरु हो चुका है. संभाग स्तरीय धरने में पांच जिलों के सहकारी समिति से जुड़े लोग शामिल हुए हैं. आंदोलन पर गए सहकारी समितियों के नेताओं का कहना है कि हर साल खरीदे हुए धान का बड़ा हिस्सा सुखत में चला जाता है. सुखत में जाने पर इसकी भरपाई समिति को करना पड़ता है, यही नियम है. आंदोलन पर बैठे सहकारी समिति के लोगों का कहना है कि यह नियम गलत है. इस नियम को बदला जाना चाहिए. आंदोलनकारियों का कहना है कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए.
धान खरीदी से पहले सहकारी समितियों का आंदोलन शुरु: प्रदर्शन में शामिल समितियों का कहना है कि आंदोलन करना उनकी मजबूरी है. अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी तो धान खरीदी का बहिष्कार भी कर सकते हैं. अपनी तीन सूत्री मांगों को लेकर धमतरी के गांधी मैदान में महासमुंद ,गरियाबंद ,बलौदाबाजार, रायपुर, बिलाईगढ़ सारंगढ़ सहित धमतरी जिले के 74 सहकारी समितियों के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कम वेतन के चलते उनका परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है.
शासकीय काम होगा प्रभावित: सहकारी समितियों के लोगों के आंदोलन में शामिल होने से शासन की कई कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं. इन कर्चमारियों की बदौलत ही धान खरीदी की तैयारी, दलहन और तिलहन का ऋण वितरण, माइक्रो एटीएम संचालित किया जाता है. सहकारी समिति के कर्मचारी ही सार्वजनिक राशन दुकान, रवि ऋण वितरण, खरीफ ऋण वितरण जैसे कामों की जिम्मेदारी संभालते हैं. आंदोलन में समिति प्रबंधक, लेखपाल, लिपिक सह ऑपरेटर और दैनिक संविदा कर्मी शामिल हैं.
क्या हैं मांगें: सहकारी समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी तीन प्रमुख मांगें हैं. पहली मांग है मध्य प्रदेश सरकार की भांति छत्तीसगढ़ में भी तीन लाख रुपए प्रति वर्ष प्रबंधकीय अनुदान राशि दी जाए. दूसरी मांग है सेवा नियम 2018 के अंशिक संशोधन कर पुनरीक्षित वेतनमान लागू किया जाए. तीसरी मांग है धान खरीदी गत वर्ष 2023 - 2024 में धान परिवहन के पश्चात आगामी वर्षों में धान में सुखत दिया जाए. साथ ही समस्त कमिशनों में चार गुना बढ़ोतरी किया जाए.