देहरादून: उत्तराखंड सरकार और स्लोवेनिया के बीच एक महत्वपूर्ण करार हुआ है. इसके तहत उत्तराखंड सरकार स्लोवेनिया के साथ मिलकर संरक्षित क्षेत्र के प्रबंधन और पर्यावरण शिक्षा के आपसी सहयोग को लेकर काम करेंगी. फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान और स्लोवेनिया के त्रिग्लाव राष्ट्रीय उद्यान के बीच इस मामले में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है. करार होने के बाद अब राज्य में जैव विविधता को विश्व स्तरीय पहचान दिलाने के प्रयास किए जाएंगे.
स्लोवेनिया में उत्तराखंड वन विभाग के पीसीसीएफ समीर सिन्हा ने पहुंचकर त्रिग्लाव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक डॉ टिट पोर्टोनिक के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. इन दोनों ही राष्ट्रीय उद्यान ऑन को एक दूसरे के सिस्टम पार्क का दर्जा देने पर सहमति बनी. इस दौरान दोनों ही राष्ट्रीय पार्कों के प्रबंधन को लेकर अनुबंध साझा किए जाने से लेकर प्रचार प्रसार करने और विश्व स्तर पर वन प्रबंधन में स्लोवेनिया और उत्तराखंड के बेहतर कार्यों को प्रस्तुत करने की कोशिश की जाएगी.
दरअसल, इन दोनों ही राष्ट्रीय उद्यानों को यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर घोषित किया गया है. फूलों की घाटी की स्थापना 1982 में हुई थी. इसका क्षेत्रफल 87.5 वर्ग किलोमीटर है. वहीं स्लोवेनिया के त्रिग्लाव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 में हुई. इसका क्षेत्रफल कुल 880 वर्ग किलोमीटर है.
खास बात यह है कि भारत में यह पहला मौका है जब इस तरह संरक्षित क्षेत्र को लेकर किसी दूसरे देश के साथ सहयोग के लिए इस तरह सहमति पत्र साइन किया गया है. इस कदम के बाद फूलों की घाटी को और भी अधिक विश्व स्तर पर पहचान मिल सकेगी. इस सहयोग के जरिए विश्व स्तरीय तकनीक को लेकर और बेहतर जानकारियां जुटा जा सकेंगे. स्लोवेनिया दौरे के दौरान उत्तराखंड के प्रतिनिधियों को विशेषज्ञों के साथ वन एवं वन्य जीव प्रबंधन जन समुदायों की भूमिका पर्वतारोहण, पर्यटन जैसे विभिन्न विषयों पर अपने अनुभव साझा करने का मौका मिला. इस दौरे के बाद अब स्लोवेनिया का प्रतिनिधिमंडल भी जल्द उत्तराखंड का दौरा करेगा.