लखनऊ: पारिवारिक न्यायालय में बहुत सारे ऐसे रिश्ते टूटते हैं, जिसका कारण एग्रेसिव व्यवहार होता है. पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ताओं के मुताबिक महिलाओं के अधिक एग्रेसिव व्यवहार के कारण रिश्ते टूट रहे हैं. वर्तमान में कोई किसी के सामने झुकना पसंद नहीं करता है. वहीं आज की महिलाएं अधिक एग्रेसिव हो रही है. पारिवारिक न्यायालय में इस एक सप्ताह के भीतर कई ऐसे तलाक के मामले दर्ज हुए, जिसमें महिला का व्यवहार एग्रेसिव है और पति उसे व्यवहार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है.
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा, कि वर्तमान में महिलाएं आत्मनिर्भर है. नौकरी कर रही हैं. ऐसे में महिलाओं को लगता है कि जो जिम्मेदारी पुरुष उठा रहे हैं, वह जिम्मेदारी वह भी उठा रही हैं. पुरुषों से अधिक काम ही कर रही है तो वह किसी की बात क्यों बर्दाश्त करेंगी. घर की छोटी-मोटी बातें पारिवारिक कलह के कारण होते हैं. बहुत सी महिलाएं एग्रेसिव नेचर की होती हैं और वह अपनी बात को मनवाने के लिए किसी भी हद तक चली जाती हैं. पहले के समय में पारिवारिक न्यायालय में ऐसे केसे आते थे, जिसमें पति का व्यवहार एग्रेसिव होता था और पत्नी का शांत होता था. लेकिन, अब ऐसे मामले आ रहे हैं कि पत्नी एग्रेसिव है. जिम्मेदारियां उठाना नहीं चाहती. छोटी-छोटी बातों पर घर में झगड़ा हो जाता है. घर का माहौल खराब रहता है, इस तरह की शिकायत के चलते तलाक के मामले सामने आ रहे हैं. हाल फिलहाल में कई ऐसे मामले आए, जिसमें पति ने कोर्ट में यह साबित किया कि पत्नी का व्यवहार एग्रेसिव है. जिसके चलते दांपत्य जीवन खुशहाल नहीं है.
पत्नी को नहीं आता मीठा और अच्छा बोलना: बाराबंकी के रहने वाले किशन द्विवेदी की शादी साल 2019 में शारदा द्विवेदी से हुई थी. दोनों की यह शादी अरेंज मैरिज थी. पति ने तलाक की अर्जी में यह लिखा कि "पत्नी का व्यवहार बहुत कड़वा है. पत्नी को मीठा बोलना नहीं आता. अच्छा बोलना नहीं आता. घर परिवार को साथ लेकर चलना नहीं आता. हमेशा गुस्से में रहती हैं. और अनाप-शनाप अपने से बड़ों को बोल देती हैं. बात करने की तमीज नहीं है. गुस्से में आती है तो थप्पड़ मारना शुरू कर देती हैं. मैं यह डिजर्व नहीं करता हूं." अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया, कि वह पति की तरफ से केस लड़ रहे हैं. किशन द्विवेदी ने अधिवक्ता को अपनी सारी आप बीती सुनाई है.
अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया, कि पति पूरी तरह से पत्नी से परेशान हो चुका है. किशन का कहना है कि बात अगर मेरे तक सीमित रहती, तो मैं बर्दाश्त कर लेता और इतने सालों से बर्दाश्त करता आ रहा हूं. हर छोटी मोटी नोंक-झोंक पर तुरंत माफी मांग लेता हूं. लेकिन, पत्नी को माफी मांगना तो छोड़ो बड़ों से किस तरह से बात किया जाता है यह तक नहीं आता. इतने वर्षों से मैं उसके कारनामों पर पर्दा डालता आ रहा हूं, कि किसी तरह से रिश्ता चला रहें. तलाक की नौबत न आए. लेकिन, अब बात मेरे माता-पिता के आत्म सम्मान पर आ गई है.अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. पत्नी को मैं कभी माफ नहीं कर सकता. यह मामला अब कोर्ट में है. मंगलवार को इस मामले की पहली सुनवाई होगी.
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पति ने बोला अब नहीं होता बर्दाश्त: अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया, कि गोंडा जिला के रहने वाले श्याम सुंदर ने अपने 26 वर्ष के बेटे राहुल की शादी वर्ष 2023 में शिल्पी कनौजिया से कराई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही बेटे बहू के बीच नोक झोक शुरू हो गई. दोनों का प्रेम विवाह हुआ था. हालांकि, यह विवाह परिवार की रजामंदी से हुआ था. पत्नी का व्यवहार काफी ज्यादा एग्रेसिव था. वह छोटी-छोटी बात पर पत्नी से लड़ जाती थी. घर में एक ऐसा माहौल बना हुआ था जहां पर सिर्फ लड़ाई झगड़ा नोक झोक नकारात्मक सोच थी. आठ से नौ महीने सब कुछ इसी तरह से चला. घर में रह रहे बाकी बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होने लगी. शिल्पी को कब कौन सी चीज बुरी लग जाए, किसी को कुछ पता नहीं होता था. घर पर अगर कोई सामान भी खत्म हो जाता था, तो वह पूरा घर सिर पर उठा लेती थी. छोटी-छोटी नोंकझोंंक से बड़ी-बड़ी लड़ाईयां होने लगी. कई बार में बेटे को मार भी देती थी. पूरी तरह से उसे छूट दिया गया था कि उसे जैसे रहना है आराम से रहे, जो पहनना है वह पहने. कोई समस्या नहीं है. इतना आजादी देने के बाद भी उसका व्यवहार जस का तस था. कोई भी बदलाव नहीं दिखा. घर का ऐसा माहौल उठा कि किसी को कुछ बोलने में भी डर लगता था. बेटे ने निर्णय लिया कि अब और नहीं बर्दाश्त करना है. इसलिए, पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई है. मामला कोर्ट में दर्ज हो गया है.
बस यूं पड़ जाती है रिश्तों में दरार:अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा, कि शादीशुदा जिंदगी में जब जीवनसाथी अपनी ही बात पर अड़ा रहता हो और आपकी एक बात न सुनता हो, यहां तक कि आपकी हर सही बात भी उसे गलत लगती हो और वह अपनी जिद लिए बैठ जाता हो, तो जीवन सच में मुश्किल बन जाता है. ऐसे में एक समय ऐसा होता है, जब आपसी झगड़े बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं. तो वहीं एक वक्त ऐसा भी आ जाता है, जब ऐसे व्यक्ति से कुछ भी कहना बेकार लगने लगता है और आप सारी उम्मीदें खत्म करके अपने ही जीवनसाथी से अनकही दूरी बना लेती हैं. इसी माहौल में दोनों निर्णय लेते हैं कि उन्हें अब साथ नहीं रहना है.
बचपन से ही बच्चों को सिखाएं अच्छे गुण: केजीएमयू के मनोरोग विशेषज्ञ आदर्श त्रिपाठी ने कहा कि हर इंसान की एक अलग मनोस्थिति होती है. महिला और पुरुष दोनों की मनोस्थिति बिल्कुल विपरीत होती है. उन्होंने कहा, कि एक स्टडी के मुताबिक महिलाएं अधिक छोटी-छोटी बात पर एग्रेसिव होती हैं. कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो काफी हट्टी और जिद्दी होती है. ऐसे में इनकी मनोस्थिति को समझना एक आम इंसान के लिए काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसी महिलाओं के साथ काफी प्यार से पेश आना चाहिए और इन्हें प्यार दुलार से ही संभाल जा सकता है. अस्पताल में बहुत सारी ऐसी महिलाएं आती हैं जिनकी शादी उनके व्यवहार की वजह से टूटती है. बहुत सारी ऐसी लड़कियां भी आती हैं जो शादी से पहले उनके माता-पिता दिखाने के लिए लाते हैं की बच्ची का नेचर अधिक एग्रेसिव है. उन्होंने कहा कि खैर लड़का हो या लड़की हो हर किसी को अपने ऊपर नियंत्रण जरूरी है. यह नियंत्रण उनके माता-पिता को उन्हें सीखना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर छोटे से ही माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे तरह से पैरेन्टिंग करें तो उनका इस तरह से व्यवहार नहीं होगा.
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