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मुरैना लोकसभा सीट पर दो पूर्व विधायकों के बीच घमासान, हार-जीत में बीएसपी फैक्टर होगा अहम - MORENA Loksabha seat BSP FACTOR

मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट पर पिछले तीन दशक से कांग्रेस वनवास झेल रही है. कांग्रेस ने काफी देर बाद आखिरकार मुरैना से पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीटू) को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. वहीं, बीजेपी की ओर से पूर्व विधायक दिमनी शिवमंगल सिंह तोमर मैदान में हैं. इस सीट पर बीएसपी का फैक्टर बहुत अहम है.

morena fight two former MLA
मुरैना लोकसभा सीट पर दो पूर्व विधायकों के बीच घमासान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 6, 2024, 4:01 PM IST

मुरैना। मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी 1996 से अजेय है. बीजेपी ने इस बार भी सबसे पहले अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है. बीजेपी कैंडिडेट अभी तक डोर-टू-डोर जनसंपर्क कर करीब आधी लोकसभा सीट कवर कर चुके हैं. ऐसे में शनिवार को कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है. श्योपुर लोकसभा सीट पर अभी तक 8 बार कांग्रेस तथा 7 बार बीजेपी प्रत्याशी जीतकर सांसद बने हैं. इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा, कहा नहीं जा सकता.

बीजेपी ने बहुत पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने अपनी पूरी रणनीति ही बदल दी है. नई सोच व सूझबूझ के साथ सबसे अंत में टिकट फाइनल करने वाली बीजेपी अब सबसे पहले उम्मीदवार घोषित कर रही है. बीजेपी ने पहली ही खेप में पूर्व विधायक दिमनी शिवमंगल सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतार दिया. मतदान की तारीख नजदीक आने में महज एक माह शेष है. ऐसे में कांग्रेस ने शनिवार को अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीटू) के नाम घोषणा की.

बीएसपी कैंडिडेट घोषित होने के बाद तस्वीर साफ होगी

बीएसपी अभी तक अपने कैंडिडेट के नाम तय नहीं कर पाई है. बीएसपी वैट एंड वॉच मोड पर है. अब लगता है कि कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा होते ही बीएसपी भी प्रत्याशी के नाम का ऐलान जल्द करेगी. बता दें कि मुरैना सीट पर बीएसपी बड़ा फैक्टर है. बीएसपी के कारण बीजेपी और कांग्रेस दोनों सशंकित रहेंगी. क्योंकि ये डिपेंड करता है कि बीएसपी किसे यहां से उतारती है.

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कैसा है मुरैना लोकसभा सीट का इतिहास

साल 1951 से 2019 तक मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट पर हुए 15 चुनावों में कांग्रेस ने भले ही 8 बार जीत हासिल की हो, लेकिन 1996 से लगातार सातवीं बार भाजपा ने इस सीट से जीत हासिल कर कांग्रेस के सामने जीत का सूखा पैदा कर दिया है. 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अशोक अर्गल मुरैना-श्योपुर की आरक्षित सीट से सांसद बने. तभी से इस सीट पर कांग्रेस जीत के लिए तरस रही है. 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के अशोक अर्गल को ही जनता ने जिताकर संसद भेजा. 2009 में जब मुरैना-श्योपुर सीट आजादी के बाद पहली बार सामान्य हुई तो कांग्रेस की उम्मीद जागी कि शायद अब जीत का सेहरा बंध सके, लेकिन 2009 में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा के टिकट पर और 2014 में पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने इस सीट से भाजपा को विजयश्री दिलाई. 2019 के चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर दूसरी बार इसी सीट से सांसद चुने गए.

मुरैना। मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी 1996 से अजेय है. बीजेपी ने इस बार भी सबसे पहले अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है. बीजेपी कैंडिडेट अभी तक डोर-टू-डोर जनसंपर्क कर करीब आधी लोकसभा सीट कवर कर चुके हैं. ऐसे में शनिवार को कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है. श्योपुर लोकसभा सीट पर अभी तक 8 बार कांग्रेस तथा 7 बार बीजेपी प्रत्याशी जीतकर सांसद बने हैं. इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा, कहा नहीं जा सकता.

बीजेपी ने बहुत पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने अपनी पूरी रणनीति ही बदल दी है. नई सोच व सूझबूझ के साथ सबसे अंत में टिकट फाइनल करने वाली बीजेपी अब सबसे पहले उम्मीदवार घोषित कर रही है. बीजेपी ने पहली ही खेप में पूर्व विधायक दिमनी शिवमंगल सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतार दिया. मतदान की तारीख नजदीक आने में महज एक माह शेष है. ऐसे में कांग्रेस ने शनिवार को अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार (नीटू) के नाम घोषणा की.

बीएसपी कैंडिडेट घोषित होने के बाद तस्वीर साफ होगी

बीएसपी अभी तक अपने कैंडिडेट के नाम तय नहीं कर पाई है. बीएसपी वैट एंड वॉच मोड पर है. अब लगता है कि कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा होते ही बीएसपी भी प्रत्याशी के नाम का ऐलान जल्द करेगी. बता दें कि मुरैना सीट पर बीएसपी बड़ा फैक्टर है. बीएसपी के कारण बीजेपी और कांग्रेस दोनों सशंकित रहेंगी. क्योंकि ये डिपेंड करता है कि बीएसपी किसे यहां से उतारती है.

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कैसा है मुरैना लोकसभा सीट का इतिहास

साल 1951 से 2019 तक मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट पर हुए 15 चुनावों में कांग्रेस ने भले ही 8 बार जीत हासिल की हो, लेकिन 1996 से लगातार सातवीं बार भाजपा ने इस सीट से जीत हासिल कर कांग्रेस के सामने जीत का सूखा पैदा कर दिया है. 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अशोक अर्गल मुरैना-श्योपुर की आरक्षित सीट से सांसद बने. तभी से इस सीट पर कांग्रेस जीत के लिए तरस रही है. 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के अशोक अर्गल को ही जनता ने जिताकर संसद भेजा. 2009 में जब मुरैना-श्योपुर सीट आजादी के बाद पहली बार सामान्य हुई तो कांग्रेस की उम्मीद जागी कि शायद अब जीत का सेहरा बंध सके, लेकिन 2009 में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा के टिकट पर और 2014 में पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने इस सीट से भाजपा को विजयश्री दिलाई. 2019 के चुनाव में नरेंद्र सिंह तोमर दूसरी बार इसी सीट से सांसद चुने गए.

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