मुरैना: मौसम विभाग ने मंगलवार को 3 दिन की भारी बारिश की चेतावनी दी थी. चेतावनी जारी होने के कुछ घंटे बाद ही मंगलवार की रात से बारिश का दौर शुरू हो गया. रात भर रुक-रुक कर बारिश होती रही, तो बुधवार सुबह से देर शाम तक लगातार बारिश जारी रही. पिछले 20 घंटे में जिले में लगभग 80 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. आगामी तीन दिन तक भारी बारिश की स्थिति बताई गई है. बारिश के चलते आम जनजीवन पूरी तरह ठप हो गया और लोगों को अपने-अपने कार्यों के लिए बारिश में भीगकर जाना पड़ा. शहर की कई कॉलोनियों में जलभराव होने कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.
मुरैना में आफत की बारिश
शहर में मंगलवार की रात से शुरू हुई बारिश रुक-रुक कर होती रही. जल भराव धीरे-धीरे कम होता रहा, लेकिन बुधवार सुबह से बारिश की झड़ी लगी रही. सुबह से हो रही लगातार बारिश के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इधर बारिश के कारण लोग काम नहीं कर पा रहे, तो वहीं जरूरी कार्य के लिए ही लोग भीगते हुए बारिश में जा रहे हैं. बारिश के चलते शहर के प्रमुख मार्गों हाईवे बैरियर चौराहा सहित बाजार पानी से भर गए हैं, वही शहर के तमाम इलाके जलमग्न हो गए हैं. लोगों का कहना है की नगर निगम द्वारा समय पर नाले-नालियों की सफाई नहीं की जाती और बारिश होते ही जलभराव होने लगता है.
मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. हरवेंद्र सिंह का कहना है कि 'मंगलवार को पूरे प्रदेश में खासकर चंबल-अंचल में तीन दिन तक भारी वर्षा की चेतावनी दी गई है. जो सही साबित होती दिखाई दे रही है. बारिश के चलते दिन का तापमान भी काम हुआ है और लोगों को उमश भरी गर्मी से भी राहत मिली है.'
पगारा डैम के 6 गेट खुले, 27 गांव में अलर्ट जारी
जौरा तहसील में बने पगारा डैम के 6 गेट खोल दिए गए है. बताया जा रहा है कि 12 साल बाद पगारा डैम लबालब हुआ है. इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा 27 गांव में अलर्ट जारी कर ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है. किसी भी आपदा से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तैयारी करने का दावा कर रहा है. बता दें की इसी पगारा डैम से आसन नदी निकलती है. गेट खुलने के बाद आसन नदी भी उफान पर आ गई है. यह डैम 1917 में अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था. 12 साल बाद गेट खुलने के चलते बड़ी संख्या में लोग देखने के लिए भी पहुंच रहे हैं।.इधर पगारा डैम के लबालब हो जाने से किसानों के चहरे पर भी खुशहाली है. लोगों का कहना है कि इस डैम के पूरा भर जाने के कारण भूमि का जलस्तर बढ़ जायेगा.