देहरादून: उत्तराखंड में मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून लागू करने की मांग लगातार तेज रही है. इस मांग को धार देने के लिए मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति बनाया गया है. इस समिति के बैनर तले कई बड़े आंदोलन और रैलियां निकल चुकी है. अब मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति ने इन्वेस्टमेंट के नाम पर दी गई जमीनों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाई है. साल ही 30 साल से रह रहे व्यक्ति को 200 वर्ग मीटर जमीन दिए जाने की पैरवी भी की.
जनता की भावनाओं के अनुरूप हो भू कानून: मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी का कहना है कि मूल निवास और भूमि कानून जनता की भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए. साल 2022 में भू कानून को लेकर सुभाष कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए और उद्योगों के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए. जमीन का उस प्रयोजन की बजाय प्रॉपर्टी डीलिंग का काम चल रहा है, ऐसे कई सारे मामले सामने आ रहे हैं.
30 साल से रह रहे व्यक्ति को ही घर बनाने के लिए 200 वर्ग मीटर तक की जमीन मिले: इसके अलावा 30 साल से रह रहे व्यक्ति को ही घर बनाने के लिए 200 वर्ग मीटर तक की जमीन दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई भी कानून विधानसभा में पारित होने से पहले पब्लिक डोमेन में जरूर रखा जाए. उन्होंने सरकार से भू कानून को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाने की मांग उठाई. इस बैठक में संघर्ष समिति के लोगों को शामिल करके भू कानून और मूल निवास पर चर्चा होनी चाहिए.
केदारनाथ समेत इन जगहों पर निकली जाएगी स्वाभिमान महारैली: वहीं, बैठक में निकले नतीजे के आधार पर भू कानून को लेकर ड्राफ्ट तैयार किया जाए और उसे ही कानून का रूप दिया जाए. उन्होंने आंदोलन की रणनीति को लेकर कहा कि केदारनाथ में जल्द स्वाभिमान महारैली आयोजित की जाएगी. उसके बाद हरिद्वार, पिथौरागढ़, रामनगर, पौड़ी, विकासनगर समेत कई हिस्सों में भी स्वाभिमान महा रैलियां आयोजित की जाएगी.
ये भी पढ़ें-
- मूल निवास 1950 और भू कानून को लेकर ऋषिकेश में महारैली, हजारों की संख्या में पहुंचे लोग
- गैरसैंण में सड़कों पर उतरा लोगों का भारी हुजूम, निकाली गई महारैली, रखी ये तीन मांगे
- श्रीनगर स्वाभिमान महारैली में उमड़ा जनसैलाब, फिजाओं में गूंजी 'पहाड़' की आवाज, युवाओं ने संभाला मोर्चा
- मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर गरजे लोग, कोटद्वार में सड़कों पर उतरा जन सैलाब
- देहरादून में पारंपरिक परिधान में गरजे लोग, मूल निवास 1950 और भू कानून को लेकर तानी मुठ्ठी