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10 मार्च को श्रीनगर में होगी मूल निवास स्वाभिमान महारैली, सड़कों पर उतरेंगे हजारों लोग

Srinagar Mool Nivas Swabhiman Rally प्रदेश भर में चल रहे मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन का अब अगला पड़ाव श्रीनगर होगा. गढ़वाल मंडल विकास निगम में मूल निवास एवं भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के तत्वाधान में आज एक बैठक आयोजित की गई. जिसमें विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों की सहमति से यह निर्णय लिया गया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 25, 2024, 10:15 PM IST

Updated : Feb 25, 2024, 11:01 PM IST

श्रीनगर में होगी मूल निवास स्वाभिमान महारैली

श्रीनगर: गढ़वाल मंडल विकास निगम में आज मूल निवास एवं भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के तत्वाधान में एक बैठक आयोजित की गई. जिसमें श्रीनगर में 10 मार्च को मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकालने का फैसला लिया गया है. इस रैली में हजारों लोग सड़कों पर उतरेंगे. इसी बीच मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन में विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर आ रहे हैं. जिससे स्पष्ट है कि जनता के लिए भू कानून और मूल निवास कितना अहम मुद्दा है. उन्होंने कहा कि 10 मार्च को श्रीनगर में होने वाली महारैली भी पिछली रैलियों की तरह ऐतिहासिक होगी.

10 मार्च को श्रीनगर में होगा मूल निवास स्वाभिमान महारैली: राज्य आंदोलनकारी अनिल स्वामी और समिति के सह संयोजक लूशुन टोडरिया ने कहा कि मूल निवास स्वाभिमानी आंदोलन अब उत्तराखंड आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ता जा रहा है और इस आंदोलन को अपार जन समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि श्रीनगर में होने वाली स्वाभिमान महारैली में प्रदेश के अलग-अलग कोने से हजारों की संख्या में लोग जुटेंगे. पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रभाकर बाबुलकर, समिति के कोर सदस्य अरुण नेगी और समाजसेवी बीना चौधरी ने कहा कि श्रीनगर आंदोलनन की भूमि रही है, क्योंकि यहीं पर गढ़वाल विश्वविद्यालय और उत्तराखंड आंदोलन हुए हैं. उन्होंने कहा कि 10 मार्च को भी स्थानीय जनता बड़ी संख्या में अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर आएंगे.

अपने हक के लिए घरों से निकलें लोग: कमेटी के कोर सदस्य प्रांजल नौडियाल,छात्रसंघ अध्यक्ष सुधांशु थपलियाल और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित उछोली ने कहा कि वर्षों से चला आ रहा जल, जंगल और जमीन का यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर है, इसलिए जनता को भी अपने हक के लिए घरों से निकलना होगा, तभी मूल निवास और मजबूत भू कानून राज्य में लागू हो पाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन से ही उत्तराखंड के जल, जंगल और जमीनों पर मूल निवासियों के अधिकारों की बात होती थी, लेकिन यह इस राज्य का दुर्भाग्य रहा कि राज्य बनने के 23 साल बाद भी राज्य का मूल निवासी अपने ही राज्य में दूसरे दर्जे का नागरिक बनकर रह गया है.

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श्रीनगर: गढ़वाल मंडल विकास निगम में आज मूल निवास एवं भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के तत्वाधान में एक बैठक आयोजित की गई. जिसमें श्रीनगर में 10 मार्च को मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकालने का फैसला लिया गया है. इस रैली में हजारों लोग सड़कों पर उतरेंगे. इसी बीच मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन में विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर आ रहे हैं. जिससे स्पष्ट है कि जनता के लिए भू कानून और मूल निवास कितना अहम मुद्दा है. उन्होंने कहा कि 10 मार्च को श्रीनगर में होने वाली महारैली भी पिछली रैलियों की तरह ऐतिहासिक होगी.

10 मार्च को श्रीनगर में होगा मूल निवास स्वाभिमान महारैली: राज्य आंदोलनकारी अनिल स्वामी और समिति के सह संयोजक लूशुन टोडरिया ने कहा कि मूल निवास स्वाभिमानी आंदोलन अब उत्तराखंड आंदोलन की तर्ज पर आगे बढ़ता जा रहा है और इस आंदोलन को अपार जन समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि श्रीनगर में होने वाली स्वाभिमान महारैली में प्रदेश के अलग-अलग कोने से हजारों की संख्या में लोग जुटेंगे. पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रभाकर बाबुलकर, समिति के कोर सदस्य अरुण नेगी और समाजसेवी बीना चौधरी ने कहा कि श्रीनगर आंदोलनन की भूमि रही है, क्योंकि यहीं पर गढ़वाल विश्वविद्यालय और उत्तराखंड आंदोलन हुए हैं. उन्होंने कहा कि 10 मार्च को भी स्थानीय जनता बड़ी संख्या में अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर आएंगे.

अपने हक के लिए घरों से निकलें लोग: कमेटी के कोर सदस्य प्रांजल नौडियाल,छात्रसंघ अध्यक्ष सुधांशु थपलियाल और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित उछोली ने कहा कि वर्षों से चला आ रहा जल, जंगल और जमीन का यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर है, इसलिए जनता को भी अपने हक के लिए घरों से निकलना होगा, तभी मूल निवास और मजबूत भू कानून राज्य में लागू हो पाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन से ही उत्तराखंड के जल, जंगल और जमीनों पर मूल निवासियों के अधिकारों की बात होती थी, लेकिन यह इस राज्य का दुर्भाग्य रहा कि राज्य बनने के 23 साल बाद भी राज्य का मूल निवासी अपने ही राज्य में दूसरे दर्जे का नागरिक बनकर रह गया है.

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Last Updated : Feb 25, 2024, 11:01 PM IST
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