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आपदा और राजनीति की भेंट चढ़ा अगस्त का महीना, छाए रहे ये ज्वलंत मुद्दे, पढ़ें पूरी खबर - uttarakhand politics increase - UTTARAKHAND POLITICS INCREASE

उत्तराखंड में बीता अगस्त का महीना कई मायनों में चर्चाओं में बना रहा. केदारघाटी आपदा, सरकार गिराने की कोशिश का आरोप, विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने के साथ ही महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे छाए रहे. इन मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को घेरती नजर आई.

Many issues dominated Uttarakhand in month of August
उत्तराखंड में अगस्त महीने में छाई रहे कई मुद्दे (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 4, 2024, 11:16 AM IST

उत्तराखंड में अगस्त महीने में छाए कई मुद्दे (Video- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड भले ही एक छोटा राज्य हो, लेकिन प्रदेश की सियासत हमेशा से ही चर्चाओं का विषय बनती रही है. इसी क्रम में उत्तराखंड में राजनीतिक चर्चाओं के लिहाज से अगस्त का महीना बेहद खास रहा है, क्योंकि अगस्त के महीने में न सिर्फ भारी बारिश के चलते प्रदेश के तमाम हिस्सों में आपदा आई, बल्कि नेताओं के बयानबाजी ने भी राजनीतिक भूचाल लाने की भी कोशिश की.

footpath was destroyed due to Kedarghati disaster
केदारघाटी आपदा से पैदल मार्ग हुआ था बाधित (Photo- ETV Bharat)

भारी बारिश से केदारनाथ आपदा: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहे हैं. ऐसी ही कुछ स्थिति प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में पिछले एक महीने के भीतर देखा गया. दरअसल, 31 जुलाई को हुई भारी बारिश के चलते रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ मार्ग काफी अधिक क्षतिग्रस्त हुआ था. जिसके चलते केदारनाथ यात्रा बाधित हो गई थी. भारी बारिश के चलते सोनप्रयाग-गुप्तकाशी एनएच मार्ग तीन जगहों पर क्षतिग्रस्त होने के साथ ही केदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके चलते कई यात्री मार्ग पर फंस गए थे, जिसको रेस्क्यू किया गया. हालांकि, वर्तमान समय में केदारनाथ यात्रा शुरू हो गई है. लेकिन अभी भी यात्रा को पटरी में आने में समय लग रहा है.

Congress attacked the government in the monsoon session
मानसून सत्र में कांग्रेस ने सरकार को घेरा (Photo- ETV Bharat)

उत्तरकाशी में घरों में घुसा मलबा: इसके साथ ही टिहरी और उत्तरकाशी जिले में भी भारी बारिश के चलते आपदा जैसे हालात बने रहे. भारी बारिश के चलते टिहरी और उत्तरकाशी जिले में सड़कों समेत सरकारी संपत्तियों का काफी नुकसान हुआ है. तमाम लोगों के घरों में मलबा घुसने के साथ ही कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. लेकिन अभी तक आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है.

उत्तरकाशी में घरों में घुसा मलबा: जुलाई महीने में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के दिल्ली दौरे के बाद ही प्रदेश में सियासत तेज हो गई थी. जिसकी मुख्य वजह यही रही की कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही सांसद अनिल बलूनी और त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की थी. इसके बाद ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी दिल्ली पहुंचे. साथ ही कई अन्य कैबिनेट मंत्री भी दिल्ली पहुंचे, जिससे चलते प्रदेश की राजनीति में गहमागहमी शुरू हो गई. हालांकि, इस राजनीतिक गहमागहमी के बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसे मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरा था. हालांकि, उसे दौरान नेताओं के नाराजगी का भी मामला सामने आया था. चर्चाएं गढ़वाल मंडल की उपेक्षा की भी उड़ी थी.

Uttarakhand Disaster
आपदा ने प्रदेश को दिए जख्म (Photo- ETV Bharat)

सरकार गिराने की कोशिश का आरोप: गैरसैंण स्थित विधानसभा भवन में 21 अगस्त से 23 अगस्त तक मानसून सत्र का आयोजन किया गया. सदन के कार्यवाही के आखिरी दिन यानी 24 अगस्त को खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने सदन के भीतर कहा था कि 500 करोड़ रुपए खर्च करके सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है. निर्दलीय विधायक के इस बयान के बाद ही सदन के भीतर खलबली मच गई थी. लेकिन यह मामला इतना गंभीर था कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बयान देने से अपने आप को नहीं रोक पाए. उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियों को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए. जिसके बाद पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुआ कहा कि यह मामला इतना गंभीर है कि जब तक कोई मजबूत तथ्य न हो तब तक सदन में नहीं कहना चाहिए.

मामले में बयानबाजी का दौर जारी: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और रमेश पोखरियाल के बयान के बाद चर्चाओं को और अधिक बल मिला. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के बयान का समर्थन करते हैं. लेकिन आश्चर्य जताते हुए कहा कि किसी भी विधायक ने इस मामले का ना ही सदन और ना ही सदन के बाहर खंडन किया. कुल मिलाकर यह मामला अभी भी चर्चाओं का विषय बना हुआ है. लगातार इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है.

विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने पर राजनीति: विधानसभा मानसून सत्र के दौरान विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन और भक्तों में बढ़ोतरी का विधायक भी पारित किया गया ऐसे में विधायकों की पूरी सैलरी करीब करीब चार लाख रुपए के पार पहुंच गई है. इस मामले पर सबसे पहले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य पहले ही कर्ज के बोझ पहले दबा है, ऐसे में विधायकों की विधायक निधि बढ़ाने के बजाय सरकार को आर्थिक संसाधनों और व्यवस्थाओं पर जोर देना चाहिए. उन्होंने बढ़े हुए भत्तों को न लेने संबंधित पत्र भी विधानसभा अध्यक्ष की लिखा. मामला चर्चा में आने के बाद निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने कहा कि बढ़े हुए वेतन और भत्तों को वह गरीबों के उत्थान में इस्तेमाल करेंगे. हालांकि, इस पूरे मामले पर अभी भी सियासत जारी है.

प्रदेश में निकाय चुनाव कराए जाने को लेकर राजनीति: उत्तराखंड राज्य में निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो चुका है. इसमें कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही निकायों में प्रशासक बिठा दिए गए हैं. कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही 6 महीने के लिए प्रशासक बिठाए गए थे, इसके बाद फिर जून महीने में प्रशासकों के कार्यकाल को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया. इसी बीच नैनीताल हाईकोर्ट में दी याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हलफनामा दायर किया कि 25 अक्टूबर से पहले निकाय चुनाव कर लिए जाएंगे. लेकिन एक बार फिर राज्य सरकार ने प्रशासकों के कार्यकाल को 3 महीने और बढ़ा दिया. इसके बाद से ही राजनीति गरमाई हुई है. विपक्षी दल कांग्रेस लगातार राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठा रही है. साथ ही इसे सत्ताधारी पार्टी के हार की संभावना का डर बता रही है.

महिला सुरक्षा को लेकर सदन से सड़क तक हंगामा: प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समय-समय पर प्रदर्शन होते रहे हैं. दरअसल, उधमसिंह नगर जिले के एक निजी अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया था, जिसे पश्चिम बंगाल में हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले से जोड़कर प्रदेश के भीतर काफी प्रदर्शन किया गया. इसी बीच, आईएसबीटी में एक नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया. इस मामले के सामने आने के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर और अधिक सवाल खड़े होने लगे. लिहाजा महिला सुरक्षा को लेकर ना सिर्फ सदन बल्कि सदन के बाहर भी विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया. यही नहीं, उत्तराखंड के सल्ट विधानसभा क्षेत्र के भाजपा मंडल अध्यक्ष पर एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगा, जिसे चलते विपक्षी दल ने इस मामले को और अधिक भुनाने की कोशिश की.

पर्यटन मंत्री के बेटे से जुड़ा टेंडर का विवाद: पर्यटन विभाग ने टिहरी बांध झील के ऊपर क्रूज बोट संचालन के लिए टेंडर खोले गए थे. जिस टेंडर के लिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के बेटे और टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष के पति ने भी टेंडर भरा था. जिसका पत्र जारी होने के बाद ही विपक्ष के नेताओं ने सवाल उठने शुरू कर दे दिए. विपक्षी नेताओं के अनुसार उत्तराखंड में बेरोजगारों की कभी नहीं है, लेकिन सरकार अपने चाहतों और बच्चों को ही लाभ पहुंचाना चाहती है. बढ़ते मामले को देखते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस दौरान कहा कि वह अपने बेटे से अनुरोध करेंगे कि वो इसे वापस ले लें. कुल मिलाकर इस मामले को लेकर काफी दिनों तक राजनीति होती रही.

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उत्तराखंड में अगस्त महीने में छाए कई मुद्दे (Video- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड भले ही एक छोटा राज्य हो, लेकिन प्रदेश की सियासत हमेशा से ही चर्चाओं का विषय बनती रही है. इसी क्रम में उत्तराखंड में राजनीतिक चर्चाओं के लिहाज से अगस्त का महीना बेहद खास रहा है, क्योंकि अगस्त के महीने में न सिर्फ भारी बारिश के चलते प्रदेश के तमाम हिस्सों में आपदा आई, बल्कि नेताओं के बयानबाजी ने भी राजनीतिक भूचाल लाने की भी कोशिश की.

footpath was destroyed due to Kedarghati disaster
केदारघाटी आपदा से पैदल मार्ग हुआ था बाधित (Photo- ETV Bharat)

भारी बारिश से केदारनाथ आपदा: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहे हैं. ऐसी ही कुछ स्थिति प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में पिछले एक महीने के भीतर देखा गया. दरअसल, 31 जुलाई को हुई भारी बारिश के चलते रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ मार्ग काफी अधिक क्षतिग्रस्त हुआ था. जिसके चलते केदारनाथ यात्रा बाधित हो गई थी. भारी बारिश के चलते सोनप्रयाग-गुप्तकाशी एनएच मार्ग तीन जगहों पर क्षतिग्रस्त होने के साथ ही केदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके चलते कई यात्री मार्ग पर फंस गए थे, जिसको रेस्क्यू किया गया. हालांकि, वर्तमान समय में केदारनाथ यात्रा शुरू हो गई है. लेकिन अभी भी यात्रा को पटरी में आने में समय लग रहा है.

Congress attacked the government in the monsoon session
मानसून सत्र में कांग्रेस ने सरकार को घेरा (Photo- ETV Bharat)

उत्तरकाशी में घरों में घुसा मलबा: इसके साथ ही टिहरी और उत्तरकाशी जिले में भी भारी बारिश के चलते आपदा जैसे हालात बने रहे. भारी बारिश के चलते टिहरी और उत्तरकाशी जिले में सड़कों समेत सरकारी संपत्तियों का काफी नुकसान हुआ है. तमाम लोगों के घरों में मलबा घुसने के साथ ही कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. लेकिन अभी तक आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है.

उत्तरकाशी में घरों में घुसा मलबा: जुलाई महीने में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के दिल्ली दौरे के बाद ही प्रदेश में सियासत तेज हो गई थी. जिसकी मुख्य वजह यही रही की कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही सांसद अनिल बलूनी और त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की थी. इसके बाद ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी दिल्ली पहुंचे. साथ ही कई अन्य कैबिनेट मंत्री भी दिल्ली पहुंचे, जिससे चलते प्रदेश की राजनीति में गहमागहमी शुरू हो गई. हालांकि, इस राजनीतिक गहमागहमी के बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसे मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरा था. हालांकि, उसे दौरान नेताओं के नाराजगी का भी मामला सामने आया था. चर्चाएं गढ़वाल मंडल की उपेक्षा की भी उड़ी थी.

Uttarakhand Disaster
आपदा ने प्रदेश को दिए जख्म (Photo- ETV Bharat)

सरकार गिराने की कोशिश का आरोप: गैरसैंण स्थित विधानसभा भवन में 21 अगस्त से 23 अगस्त तक मानसून सत्र का आयोजन किया गया. सदन के कार्यवाही के आखिरी दिन यानी 24 अगस्त को खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने सदन के भीतर कहा था कि 500 करोड़ रुपए खर्च करके सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है. निर्दलीय विधायक के इस बयान के बाद ही सदन के भीतर खलबली मच गई थी. लेकिन यह मामला इतना गंभीर था कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बयान देने से अपने आप को नहीं रोक पाए. उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियों को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए. जिसके बाद पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुआ कहा कि यह मामला इतना गंभीर है कि जब तक कोई मजबूत तथ्य न हो तब तक सदन में नहीं कहना चाहिए.

मामले में बयानबाजी का दौर जारी: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और रमेश पोखरियाल के बयान के बाद चर्चाओं को और अधिक बल मिला. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के बयान का समर्थन करते हैं. लेकिन आश्चर्य जताते हुए कहा कि किसी भी विधायक ने इस मामले का ना ही सदन और ना ही सदन के बाहर खंडन किया. कुल मिलाकर यह मामला अभी भी चर्चाओं का विषय बना हुआ है. लगातार इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है.

विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने पर राजनीति: विधानसभा मानसून सत्र के दौरान विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन और भक्तों में बढ़ोतरी का विधायक भी पारित किया गया ऐसे में विधायकों की पूरी सैलरी करीब करीब चार लाख रुपए के पार पहुंच गई है. इस मामले पर सबसे पहले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य पहले ही कर्ज के बोझ पहले दबा है, ऐसे में विधायकों की विधायक निधि बढ़ाने के बजाय सरकार को आर्थिक संसाधनों और व्यवस्थाओं पर जोर देना चाहिए. उन्होंने बढ़े हुए भत्तों को न लेने संबंधित पत्र भी विधानसभा अध्यक्ष की लिखा. मामला चर्चा में आने के बाद निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने कहा कि बढ़े हुए वेतन और भत्तों को वह गरीबों के उत्थान में इस्तेमाल करेंगे. हालांकि, इस पूरे मामले पर अभी भी सियासत जारी है.

प्रदेश में निकाय चुनाव कराए जाने को लेकर राजनीति: उत्तराखंड राज्य में निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो चुका है. इसमें कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही निकायों में प्रशासक बिठा दिए गए हैं. कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही 6 महीने के लिए प्रशासक बिठाए गए थे, इसके बाद फिर जून महीने में प्रशासकों के कार्यकाल को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया. इसी बीच नैनीताल हाईकोर्ट में दी याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हलफनामा दायर किया कि 25 अक्टूबर से पहले निकाय चुनाव कर लिए जाएंगे. लेकिन एक बार फिर राज्य सरकार ने प्रशासकों के कार्यकाल को 3 महीने और बढ़ा दिया. इसके बाद से ही राजनीति गरमाई हुई है. विपक्षी दल कांग्रेस लगातार राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठा रही है. साथ ही इसे सत्ताधारी पार्टी के हार की संभावना का डर बता रही है.

महिला सुरक्षा को लेकर सदन से सड़क तक हंगामा: प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समय-समय पर प्रदर्शन होते रहे हैं. दरअसल, उधमसिंह नगर जिले के एक निजी अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया था, जिसे पश्चिम बंगाल में हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले से जोड़कर प्रदेश के भीतर काफी प्रदर्शन किया गया. इसी बीच, आईएसबीटी में एक नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया. इस मामले के सामने आने के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर और अधिक सवाल खड़े होने लगे. लिहाजा महिला सुरक्षा को लेकर ना सिर्फ सदन बल्कि सदन के बाहर भी विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया. यही नहीं, उत्तराखंड के सल्ट विधानसभा क्षेत्र के भाजपा मंडल अध्यक्ष पर एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगा, जिसे चलते विपक्षी दल ने इस मामले को और अधिक भुनाने की कोशिश की.

पर्यटन मंत्री के बेटे से जुड़ा टेंडर का विवाद: पर्यटन विभाग ने टिहरी बांध झील के ऊपर क्रूज बोट संचालन के लिए टेंडर खोले गए थे. जिस टेंडर के लिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के बेटे और टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष के पति ने भी टेंडर भरा था. जिसका पत्र जारी होने के बाद ही विपक्ष के नेताओं ने सवाल उठने शुरू कर दे दिए. विपक्षी नेताओं के अनुसार उत्तराखंड में बेरोजगारों की कभी नहीं है, लेकिन सरकार अपने चाहतों और बच्चों को ही लाभ पहुंचाना चाहती है. बढ़ते मामले को देखते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस दौरान कहा कि वह अपने बेटे से अनुरोध करेंगे कि वो इसे वापस ले लें. कुल मिलाकर इस मामले को लेकर काफी दिनों तक राजनीति होती रही.

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