नई दिल्ली: पड़ोसी देशों में मंकीपॉक्स के मामले मिलने के बाद केंद्र सरकार ने एक के बाद एक कई दिशा निर्देश जारी किए हैं. इनमें एयरपोर्ट, पोर्ट और बॉर्डर पर निगरानी बढ़ाने के साथ ही अब सभी राज्यों में अस्पतालों को भी बेड आरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं. इसी क्रम में दिल्ली के छह अस्पतालों में मंकीपॉक्स के इलाज के लिए व्यवस्था की गई है. पहले केंद्र सरकार द्वारा तीन अस्पतालों सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को मंकीपॉक्स के इलाज के लिए आरक्षित किया गया था. लेकिन, शाम तक बदलावकर इन अस्पतालों की संख्या बढ़ाकर 6 कर दी गई. जिसमें केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले एम्स, सफदरजंग, आरएमएल अस्पताल व दिल्ली सरकार के लोकनायक, जीटीबी व अंबेडकर अस्पताल शामिल हैं. लेडी हार्डिंग को अब इस सूची में नहीं रखा गया है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इन तीनों अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाकर कुल 40 बेड आरक्षित करने का निर्देश दिया है.
दूसरी ओर एम्स ने इमरजेंसी में मंकीपॉक्स के मरीजों की स्क्रीनिंग और इलाज के लिए संचालक मानक प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है. साथ ही अस्पताल के एबी-सात वार्ड में पांच बेड आरक्षित किए हैं. जहां मंकीपाक्स के लक्षण वाले संदिग्ध मरीजों को भर्ती किया जाएगा.
एम्स ने जारी की इलाज के लिए एसओपी
एम्स द्वारा जारी एसओपी में कहा गया है कि सफदरजंग अस्पताल को रेफरल अस्पताल बनाया गया है. जांच में मंकीपॉक्स की पुष्टि होने पर मरीज को सफदरजंग अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. मंकीपॉक्स के लक्षण के साथ इमरजेंसी पहुंचने वाले मरीजों को अन्य मरीजों से अलग कर स्क्रीनिंग की जाएगी और एबी-सात वार्ड में आरक्षित बेड पर भर्ती किया जाएगा. संदेहास्पद मरीजों की स्क्रीनिंग व इलाज करने वाले डाक्टर व नर्सिंग कर्मचारी पीपीई किट का इस्तेमाल करेंगे और मरीज से उसके संपर्क आए लोगों की पूरी जानकारी ली जाएगी.
लोकनायक अस्पताल में होंगे 20 बेड
लोकनायक अस्पताल में मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए 20 बेड आरक्षित किए गए हैं. यह नोडल अस्पताल के रूप में काम करेगा. इसके अलावा जीटीबी व अंबेडकर अस्पताल में 10-10 बेड का आइसोलेशन वार्ड निर्धारित करने का निर्देया दिया गया है. इसका कारण यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 अगस्त को मंकीपाक्स को वैश्विक इमरजेंसी घोषित किया था. इस वर्ष अब तक 26 देशों में इसके 934 मामले आए हैं. इस वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स भी चेचक जैसी बीमारी है. पहली बार वर्ष 1970 में अफ्रीकी देश कांगो में यह बीमारी इंसानों में पाई गई थी. इसके बाद कई देशों में इसका पहले भी संक्रमण हो चुका है. साल 2022 में मंकीपॉक्स के 116 देशों में 99,176 मामले आए थे, तब दुनिया भर में 208 मौतें हुई थीं. साल 2022 में भारत में मंकीपॉक्स के 23 मामले आए थे. तब दिल्ली में भी इसका मामला आया था. इसका संक्रमण होने पर बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, फफोले बन जाते हें. फफोले के कारण शरीर में दर्द होता है और त्वचा पर खुजली होती है. लोकनायक अस्पताल निदेशक डा. सुरेश कुमार ने बताया कि 95 से 98 प्रतिशत मरीज आसानी से ठीक हो जाते हैं. मरीज को ठीक होने में दो से चार सप्ताह समय लगता है. इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है. यह मौतें भी निमोनिया या किसी अन्य संक्रमण के कारण होती है.
ये भी पढ़ें- Monkey Pox को लेकर दिल्ली सरकार सतर्क, छह अस्पतालों में आइसाेलेशन रूम आरक्षित
ये भी पढ़ें- हिमाचल के युवक में दिखे मंकी पॉक्स के लक्षण, जांच के लिए दिल्ली भेजे सैंपल