बीकानेर. मोहिनी एकादशी का व्रत रविवार को रखा जाएगा. धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके देवताओं को अमृतपान कराया था. मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है. इसके साथ ही भगवान विष्णु के राम अवतार की भी पूजा की जाती है.
मोहिनी रूप किया धारण : समुद्र मंथन के समय अमृत कलश से राक्षसों का ध्यान भटकाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर स्त्री का रूप धारण किया और मोहिनी नमक सुंदर स्त्री को पाने के लिए रात रक्षा आपस में ही एक दूसरे से झगड़ा करना लगे. जिसके चलते देवताओं ने भगवान विष्णु की सहायता से अमृत का सेवन किया.
एकादशी को करें ये काम : एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट की नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ शुद्ध करना चाहिए. इस दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है. इसलिए गिरे हुए पत्ते का सेवन करें. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ करें. हर एकादशी को श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करना श्रेष्ठ रहता है. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य 100 कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है.
इन मंत्रों का जप : एकादशी के दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश अक्षर मंत्र का जप करना चाहिए. इसके अलावा यदि श्रीविष्णुसहस्रनाम का पाठ संभव नहीं हो तो इस मंत्र के पाठ से श्रीविष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है.
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने
न करें ये काम : वैसे तो सात्विक आचरण करने वाले व्यक्ति के लिए धर्म विरोधी व्यवहार नहीं होना चाहिए, लेकिन खास तौर से दैनिक दिनचर्या में हुई गलतियों के कारण खासतौर से एकादशी के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. यथा संभव मौन रहें. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए. इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है. व्रत के दिनों में कांसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चना, शहद, तेल और अधिक जल का सेवन नहीं करना चाहिए. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए.