ETV Bharat / state

तीसरी मोहर्रम की मजलिस-ओ-मातम में अश्कबार हुए अजादार - MOHARRAM 2024

लखनऊ में मोहर्रम माह (MOHARRAM 2024) के दौरान जलिसों और मातम का सिलसिला जारी है. शहर के इमामबाड़ों में मजलिसों और घरों में मजलिस-ओ-मातम करके हजरत फातिमा स.अ. को उनके बेटे का पुरसा दिया जा रहा है.

मजलिस को खिताब करते मौलाना.
मजलिस को खिताब करते मौलाना. (Photo Credit-Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 11, 2024, 8:21 AM IST

लखनऊ : मोहर्रम माह के तीसरे दिन बुधवार को मजलिसों और मातम का सिलसिला देर रात तक चलता रहा. जहां शहर के इमामबाड़ों में पुरुषों ने मजलिसों में शिरकत की. वहीं महिलाओं ने अपने इलाकों के घरों में मजलिस-ओ-मातम करके हजरत फातिमा स.अ. को उनके बेटे का पुरसा दिया. जिसे सुनकर अजादार जारो-कतार रोये और या हुसैन-या हुसैन की सदाएं बुलन्द कर उनका गम मनाया. इसके अलावा मजलिसों में लब्बैक या हुसैन और हुसैन बादशाह के नारों की भी गूंजती रही.

मोहर्रम के आयोजन.
मोहर्रम के आयोजन. (Photo Credit-Etv Bharat)


छोटा इमामबाड़ा हुसैनाबाद में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि रोजे कयामत इंसान का एक एक अंग उसके गुनाहों की गवाही देगा. हमें ऐसी जिन्दगी गुजारनी चाहिए कि न हमारा जिस्म और न हमारी रूह खसारे में रहे. इमामबाड़ा जन्नतमाब तकी साहब चौक में मौलाना सैफ अब्बास ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा किजुल-अशीरा से लेकर जीवन की अंतिम सांस तक अली हमेशा नबी स. के साथ रहे हिजरत की रात में पैगंबर स. की जान बचाई. बद्र में मुसलमानों की जान बचाई और इस्लाम को खंदक में बचाया.

मजलिस को खिताब करते मौलाना.
मजलिस को खिताब करते मौलाना. (Photo Credit-Etv Bharat)

इमामबाड़ा गुफरामाआब चौक में मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि अज़ादारी इमाम हुसैन अ.स की शहादत की यादगार है. जिसे अल्लाह ने कायम किया. उन्होंने कहा कि अगर आज दीन बाकी है और कायम ओ दाएम है तो ये इमाम हुसैन (अ.स) की शहादत की बुनियाद पर है. इमामबाड़ा शहनाजफ हजरतगंज में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना अली अब्बास खान ने कहा कि इलाही निजाम को समझने लिए अल्लाह की सिफात को समझना जरूरी है. पूरी कायनात अल्लाह के हुजूर में हाजिर है.



हुसैनी इमाम बारगाह अलीगंज में मौलाना इब्रााहीम कुम्मी ने कहा कि अहलेबैत अ.स. ने हमें जिंदगी का मकसद बताया है. अहलेबैत वह वसीला है जिनके जरिए हम हर चीज को जान व पहचान सकते हैं. इमामबाड़ा कसरे हुसैनी बिल्लौचपुरा में मौलाना मोहम्मद मियां आब्दी ने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब ने जाते जाते फरमाया था कि हम तुम्हारे दरमियां दो चीजे छोड़ कर जा रहा है. इसके बाद भी यजीद के लोगों ने कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया. इमामबाड़ा लाडोखानम नक्खास में मौलाना सकलैन अब्बास नकवी ने कहा कि कुरान और अहलेबैत एक-दूसरे से जुदा नहीं हो सकते। जो दोनों के साथ होगा वह कामयाब होगा.

यह भी पढ़ें : मोहर्रम: काफिले हुसैनी के जुलूस को देख नम हो गईं अजादारों की आंखें - MOHARRAM 2024

यह भी पढ़ें : पूरी शान ओ शौकत के साथ निकला पहली मोहर्रम का जुलूस, अकीदतमंदों ने मांगी दुआएं - MOHARRAM 2024

लखनऊ : मोहर्रम माह के तीसरे दिन बुधवार को मजलिसों और मातम का सिलसिला देर रात तक चलता रहा. जहां शहर के इमामबाड़ों में पुरुषों ने मजलिसों में शिरकत की. वहीं महिलाओं ने अपने इलाकों के घरों में मजलिस-ओ-मातम करके हजरत फातिमा स.अ. को उनके बेटे का पुरसा दिया. जिसे सुनकर अजादार जारो-कतार रोये और या हुसैन-या हुसैन की सदाएं बुलन्द कर उनका गम मनाया. इसके अलावा मजलिसों में लब्बैक या हुसैन और हुसैन बादशाह के नारों की भी गूंजती रही.

मोहर्रम के आयोजन.
मोहर्रम के आयोजन. (Photo Credit-Etv Bharat)


छोटा इमामबाड़ा हुसैनाबाद में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि रोजे कयामत इंसान का एक एक अंग उसके गुनाहों की गवाही देगा. हमें ऐसी जिन्दगी गुजारनी चाहिए कि न हमारा जिस्म और न हमारी रूह खसारे में रहे. इमामबाड़ा जन्नतमाब तकी साहब चौक में मौलाना सैफ अब्बास ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा किजुल-अशीरा से लेकर जीवन की अंतिम सांस तक अली हमेशा नबी स. के साथ रहे हिजरत की रात में पैगंबर स. की जान बचाई. बद्र में मुसलमानों की जान बचाई और इस्लाम को खंदक में बचाया.

मजलिस को खिताब करते मौलाना.
मजलिस को खिताब करते मौलाना. (Photo Credit-Etv Bharat)

इमामबाड़ा गुफरामाआब चौक में मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि अज़ादारी इमाम हुसैन अ.स की शहादत की यादगार है. जिसे अल्लाह ने कायम किया. उन्होंने कहा कि अगर आज दीन बाकी है और कायम ओ दाएम है तो ये इमाम हुसैन (अ.स) की शहादत की बुनियाद पर है. इमामबाड़ा शहनाजफ हजरतगंज में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना अली अब्बास खान ने कहा कि इलाही निजाम को समझने लिए अल्लाह की सिफात को समझना जरूरी है. पूरी कायनात अल्लाह के हुजूर में हाजिर है.



हुसैनी इमाम बारगाह अलीगंज में मौलाना इब्रााहीम कुम्मी ने कहा कि अहलेबैत अ.स. ने हमें जिंदगी का मकसद बताया है. अहलेबैत वह वसीला है जिनके जरिए हम हर चीज को जान व पहचान सकते हैं. इमामबाड़ा कसरे हुसैनी बिल्लौचपुरा में मौलाना मोहम्मद मियां आब्दी ने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब ने जाते जाते फरमाया था कि हम तुम्हारे दरमियां दो चीजे छोड़ कर जा रहा है. इसके बाद भी यजीद के लोगों ने कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया. इमामबाड़ा लाडोखानम नक्खास में मौलाना सकलैन अब्बास नकवी ने कहा कि कुरान और अहलेबैत एक-दूसरे से जुदा नहीं हो सकते। जो दोनों के साथ होगा वह कामयाब होगा.

यह भी पढ़ें : मोहर्रम: काफिले हुसैनी के जुलूस को देख नम हो गईं अजादारों की आंखें - MOHARRAM 2024

यह भी पढ़ें : पूरी शान ओ शौकत के साथ निकला पहली मोहर्रम का जुलूस, अकीदतमंदों ने मांगी दुआएं - MOHARRAM 2024

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.