भोपाल: मध्य प्रदेश में एक बार फिर से परिवहन निगम सरकारी बसों का परिवहन शुरू करने जा रहा है. बसों के परिवहन की कवायद बीते 5 माह से चल रही है. जून में कैबिनेट बैठक के दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसे दोबारा शुरू करने को लेकर एक बैठक ली थी, जिसमें उन्होंने रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे. बता दें कि 2005 में सरकार ने परिवहन निगम बंद कर दिया था, लेकिन तकनीकी रूप से इसे बंद करने का गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था.
प्रदेश में 19 साल बाद फिर शुरू होंगी सरकारी बसें
मुख्य सचिवा कार्यालय के मुताबिक मध्य प्रदेश में पिछले 19 साल से बंद पड़े राज्य परिवहन निगम को दोबारा शुरू करने की कवायद शुरु हो गई है. मुख्यमंत्री ने इसको लेकर परिवहन विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए है. सरकारी बसें कैसे और किन रूट्स पर चलेंगी और इन्हें कौन संचालित करेगा. इसका सिस्टम कैसा होगा इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ड्रॉफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए है. सरकारी बसें शुरू करने की कवायद पिछले 5 महीने से चल रही है.
ग्रामीणों को मिलेगी सुविधा
साल 2005 में परिवहन निगम बंद होने के बाद प्रदेश में परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से निजी हाथों में चली गई थी. जिसके के चलते यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. प्राइवेट बस संचालाकों का काम मुनाफा कमाना है. ऐसे में प्राइवेट बस ऑपरेटर सिर्फ उन्हीं रूटों पर बसें ऑपरेट करते हैं. जहां से यात्री ज्यादा परिवहन करते हैं. वहीं दूरस्थ और ग्रामीण अंचलों में बसें नहीं चलाते हैं क्योंकि मुनाफा नहीं होता है.
महाराष्ट्र मॉडल अपना सकती है राज्य सरकार
इन सभी समस्यायों को देखते हुए मोहन सरकार ने 19 साल बाद फिर से सरकारी बस सेवा शुरू करने का फैसला किया है. राज्य सरकार ने दोबारा से बसों के संचालन की कवायद शुरू कर दी है. जल्द ही सड़कों पर सरकारी बसें दौड़ती हुई नजर आएंगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार बसों के संचालन के लिए मप्र में महाराष्ट्र मॉडल अपना सकती है.
यहां पढ़ें... पुलिस परिवार के बच्चों की बल्ले-बल्ले, मोहन सरकार ने कर दी पढ़ाई की व्यवस्था इंदौर-उज्जैन के बीच जल्द फर्राटा भरेगी वंदे मेट्रो ट्रेन, सीएम मोहन यादव ने की घोषणा |
ऐसा हो सकता है परिवहन विभाग का ड्राफ्ट
इंटर-डिस्ट्रिक्ट रूट्स पर प्राथमिकता के साथ सरकारी बसें चलाई जाएंगी. जहां प्राइवेट बसें नहीं चलतीं या फिर कम हैं, वहां से बस सेवा का विस्तार पड़ोसी राज्यों तक किया जाएगा. अत्याधुनिक सुविधाओं से सरकारी बसें लैस होंगी. बसें पीपीपी मॉडल या फिर सरकारी नियंत्रण में चलेंगी, मप्र परिवहन विकास निगम के पास 29 हजार करोड़ प्रॉपर्टी है, जिसे कॉमिर्शियल उपयोग के लिए निजी कंपनियों को सौंपा जा सकता है. बता दें कि राज्य परिवहन निगम भले ही बंद हो गया है, लेकिन उसकी संपत्ति अभी भी प्रदेश और देश के अन्य राज्यों में मौजूद है. यही कारण है कि सरकार पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर को अपडेट करते हुए प्रदेश के यात्रियों के बेहतर यातायात उपलब्ध कराने के लिए जुट गई है.