भोपाल : मदरसों को निर्देश दिए गए हैं कि वहां बच्चों को धार्मिक शिक्षा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. कैबिनेट बैठक के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने मदरसों और ऐसे ही अन्य धार्मिक शिक्षण संस्थानों पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिया है. इसमें साफ कहा गया है कि वे अपने धर्म की शिक्षा के लिए किसी गैर-मुस्लिम या अन्य धर्म के बच्चे को न तो बाध्य कर सकते हैं और न ही दबाव बना सकते हैं.
स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश
कैबिनेट बैठक के दौरान मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा,'' प्रदेश में किसी भी बच्चे को जबरन उसके धर्म के अलावा दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती. लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि कई मदरसों में हिंदू व गैर मुस्लिम बच्चों को मजहबी तालीम दी जा रही, जो नियमों का उल्लंघन है. इस पर स्कूल शिक्षा विभाग ने धारा 18 (3) के तहत आदेश जारी किया है.''
मुस्लिम बच्चों को लेकर भी ये निर्देश
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में ये फैसला भी लिया गया है कि गैर मुस्लिमों के साथ-साथ मुस्लिम बच्चों के नाम भी अगर फर्जी तरीके से मदरसों में दर्ज हैं तो ऐसे मदरसों पर भी एक्शन होगा. किसी भी धर्म के बच्चे चाहें मुस्लिम हों या गैर मुस्लिम, उन्हें उनके अभिभावकों की अनुमति के बना मदरसों में तालीम नहीं दी जा सकती.
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बच्चों का होगा वेरिफिकेशन
मोहन यादव सरकार ने प्रदेश के सभी मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों का सर्वे और वेरिफिकेशन करने का निर्णय लिया है. स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा, मदरसों में पढ़ रहे छात्रों का भौतिक सत्यापन होगा. आदेश में संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का हवाला देते हुए कहा गया है कि मदरसों में गैर मुस्लिम छात्रों को मजहबी तालीम देने की शिकायतें मिलने के बाद वेरिफिकेशन के निर्देश दिए गए हैं. गौरतलब है कि 100 बच्चों वाले मदरसों को सरकार की ओर से 50 हजार रु से लेकर 60 हजार रुपए तक का अनुदान मिलता है.