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32 मीटर गहरी सुरंग में कूदे मोहन यादव, कहा- जाने अनजाने में पाप हो गया - KANH CLOSE DUCT DIVERSION PROJECT

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में कान्ह क्लोज डक्ट डायवर्जन परियोजना का निरीक्षण किया. इसके लिए वे 32 फीट गहरे टनल में उतरे.

MOHAN YADAV ENTER 32 METER TUNNEL
टनल का निरीक्षण करने को 32 मीटर गहरी टनल में उतरे मोहन यादव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 13, 2025, 9:12 PM IST

उज्जैन: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को 'कान्ह क्लोज डक्ट डायवर्जन परियोजना' का निरीक्षण किया. गुणवत्ता देखने के लिए वे बामोरा गांव स्थित 32 मीटर गहरे शाफ्ट-3 की टनल में उतर गए. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को परियोजना की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और समयसीमा का पालन करने के सख्त निर्देश दिए. 2028 में होने वाले सिंहस्थ में क्षिप्रा नदी के जल के शुद्धिकरण के लिए इस परियोजना पर काम चल रहा है.

इस परियोजना से किसानों को मिलेगा शुद्ध पानी

इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि "2028 के सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके माध्यम से कान्ह नदी का दूषित जल क्षिप्रा नदी के किसी भी हिस्से में नहीं पहुंचेगा. यह परियोजना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि इससे किसानों को सिंचाई के लिए शुद्ध पानी भी उपलब्ध होगा. इसके तहत, कान्ह नदी के पानी को गंभीर नदी के डाउनस्ट्रीम तक शुद्धिकरण के बाद पहुंचाया जाएगा."

'जाने अनजाने में पाप हो गया'

मुख्यमंत्री ने कार्तिक मेला ग्राउंड पर आयोजित कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि "आज का दिन ऐतिहासिक है. अतीत में हुई त्रुटियों के कारण क्षिप्रा का जल प्रदूषित हुआ." उन्होंने बताया कि "1969, 1980, 1992 और 2004 के सिंहस्थ में भी श्रद्धालु गंभीर नदी के पानी से स्नान करने को मजबूर हुए थे. उन्होंने इसे 'जाने अनजाने में हुआ पाप' बताते हुए कहा कि "2014 में नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना शुरू कर इस समस्या का समाधान किया गया. अब इस नई परियोजना से क्षिप्रा का जल प्रवाहमान और शुद्ध रहेगा."

कांग्रेस पर लगाया विलंब का आरोप

मोहन यादव ने परियोजना में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि "पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौन सरकार के कारण नदी जोड़ो परियोजना को अनावश्यक रूप से लटकाया गया. यह अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था, जिसे कांग्रेसी सरकारों ने पूरा होने नहीं दिया." मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर उपस्थित महिलाओं को सुहाग चूड़ा और कंगन तथा बच्चों को पतंगे भेंट की. साथ ही उन्होंने उज्जैन में पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव को प्रोत्साहन देने की बात कही.

उज्जैन: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को 'कान्ह क्लोज डक्ट डायवर्जन परियोजना' का निरीक्षण किया. गुणवत्ता देखने के लिए वे बामोरा गांव स्थित 32 मीटर गहरे शाफ्ट-3 की टनल में उतर गए. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को परियोजना की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और समयसीमा का पालन करने के सख्त निर्देश दिए. 2028 में होने वाले सिंहस्थ में क्षिप्रा नदी के जल के शुद्धिकरण के लिए इस परियोजना पर काम चल रहा है.

इस परियोजना से किसानों को मिलेगा शुद्ध पानी

इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि "2028 के सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके माध्यम से कान्ह नदी का दूषित जल क्षिप्रा नदी के किसी भी हिस्से में नहीं पहुंचेगा. यह परियोजना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि इससे किसानों को सिंचाई के लिए शुद्ध पानी भी उपलब्ध होगा. इसके तहत, कान्ह नदी के पानी को गंभीर नदी के डाउनस्ट्रीम तक शुद्धिकरण के बाद पहुंचाया जाएगा."

'जाने अनजाने में पाप हो गया'

मुख्यमंत्री ने कार्तिक मेला ग्राउंड पर आयोजित कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए कहा कि "आज का दिन ऐतिहासिक है. अतीत में हुई त्रुटियों के कारण क्षिप्रा का जल प्रदूषित हुआ." उन्होंने बताया कि "1969, 1980, 1992 और 2004 के सिंहस्थ में भी श्रद्धालु गंभीर नदी के पानी से स्नान करने को मजबूर हुए थे. उन्होंने इसे 'जाने अनजाने में हुआ पाप' बताते हुए कहा कि "2014 में नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना शुरू कर इस समस्या का समाधान किया गया. अब इस नई परियोजना से क्षिप्रा का जल प्रवाहमान और शुद्ध रहेगा."

कांग्रेस पर लगाया विलंब का आरोप

मोहन यादव ने परियोजना में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि "पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौन सरकार के कारण नदी जोड़ो परियोजना को अनावश्यक रूप से लटकाया गया. यह अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था, जिसे कांग्रेसी सरकारों ने पूरा होने नहीं दिया." मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर उपस्थित महिलाओं को सुहाग चूड़ा और कंगन तथा बच्चों को पतंगे भेंट की. साथ ही उन्होंने उज्जैन में पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव को प्रोत्साहन देने की बात कही.

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