शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्यटन निगम के 18 होटलों को बंद करने के आदेश जारी किए हैं. निगम के ये सारे होटल घाटे में चल रहे थे. जिन्हें बीते दिन हिमाचल हाईकोर्ट ने बंद करने के फरमान जारी कर दिए हैं. वहीं, अब इस मामले को लेकर विपक्षी दल भाजपा, प्रदेश सरकार पर हमलावर है. भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने ऐसा जानबूझकर किया है, ताकि वो ये प्रॉपर्टी विदेशी कंपनियों को बेच सके.
सुधीर सरकार ने सरकार पर साधा निशाना
भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने जारी बयान में कहा, "हमारे पहाड़ी प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट द्वारा हिमाचल टूरिज्म के प्रतिष्ठित 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए गए हैं. ये आम चर्चा है कि सरकार ने केस जानबूझकर कमजोर किया, ताकि फॉरेन के ग्रुप्स को ये प्रॉपर्टी बेची जा सके. अगर सरकार हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखती तो ये होटल बंद नहीं होते. ये होटल कई सालों से चले आ रहे हैं और इन होटलों में कर्मचारी काम कर रहे हैं."
घाटे में चल रहे थे निगम के होटल
बता दें कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चायल पैलेस समेत धर्मशाला, मनाली, सोलन, केलांग, कुल्लू और खजियार में स्थित हिमाचल प्रदेश का पर्यटन विकास निगम के 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए हैं. ये वो होटल हैं, जिनमें 30 फीसदी से कम ऑक्युपेंसी रहती है. निगम के ये होटल लंबे समय से घाटे में चल रहे थे.
इन होटलों को किया बंद
- पैलेस होटल, चैल
- होटल गीतांजलि, डलहौजी
- होटल भागल, दरलाघाट
- होटल धौलाधार, धर्मशाला
- होटल कुणाल, धर्मशाला
- होटल कश्मीर हाउस, धर्मशाला
- होटल एप्पल ब्लॉसम, फागू
- होटल चंद्रभागा, केलांग
- होटल देवदार, खज्जियार
- होटल गिरिगंगा, खड़ापत्थर
- होटल मेघदूत, कियारीघाट
- होटल सरवरी, कुल्लू
- होटल लॉग हट्स, मनाली
- होटल हडिम्बा कॉटेज, मनाली
- होटल कुंजम, मनाली
- होटल भागसु मैक्लोडगंज
- होटल द कैसल, नग्गर
- होटल शिवालिक, परवाणू